राजस्थान दिवस – रंग रंगीला कहा जाने वाला राजस्थान भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है हर वर्ष हजारों लाखों पर्यटक राजस्थान घूमने आते हैं और यहां की कला और संस्कृति देखकर अनायास हो जाते है, इसकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं। एक बार राजस्थान घूम कर जाने वाला व्यक्ति बार-बार राजस्थान आने का मन बनाता है, क्योंकि यहां की संस्कृति मैं अपनापन और और सौहार्द देखने को मिलता है।
राजस्थान का इतिहास भारत का सबसे गौरवशाली इतिहास माना जाता है। यहां के राजपूत शासकों ने हमेशा अपने मातृभूमि की रक्षा की है और इसी वजह से यह पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है, राजस्थान के चोर गिरोह का शौर्य उनका बलिदान और उनका आत्मा स्वर्ग जन्म जन्मांतर तक लोगों को प्रेरणा देता रहेगा।
यहां के राजाओं का बलिदान हो या यहां केसर प्राणियों का जौहर सभी हमें अपनी मातृभूमि को सबसे बढ़कर चाहने की शिक्षा देते हुए दिखाई देते हैं। इसे गौरवशाली इतिहास की वजह से राजस्थान आज विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान रखता है। और इस संदर्भ में राजस्थान दिवस का जिक्र सबसे महत्वपूर्ण है।
राजस्थान दिवस क्यों मनाते हैं? (Why Celebrate Rajasthan Diwas in Hindi?) :
30 मार्च 1949 के दिन राजस्थान की 4 सबसे बड़े रियासतों जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर को एक करके वृहत्तर राजस्थान बनाया गया था। इसी वजह से राजस्थान में हर साल 30 मार्च को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ राजस्थान दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा राजस्थान के किलो में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया, यहां का इतिहास राजस्थान के कण कण में बसा हुआ है।
राजस्थान दिवस मनाने के पीछे के कारण (Reasons Behind Celebrating Rajasthan Diwas in Hindi) :
18 मार्च 1948 से शुरू हुए राजस्थान की रियासतों के एकीकरण को आखिरकार 30 मार्च 1949 को एक नई दिशा मिली थी, राजस्थान दिवस मनाने की सबसे बड़ी वजह भी यही थी, राजस्थान में छोटी-बड़ी कुल 22 रियासतें थी। सभी राजा अपने अपने रियासतों में स्वतंत्र रहना चाहते थे, जिस वजह इन रियासतों को मिलाकर एक राज्य बनाना बहुत ही कठिन कार्य लग रहा था। इस वजह से सभी रियासतों को एक ही बार में मिलाकर राज्य बनाना असंभव काम था।
इसी बात का हल निकालने के लिए राजस्थान के एकीकरण को कई चरणों में बांटा गया। राजस्थान एकीकरण का पहला चरण 18 मार्च 1948 के दिन शुरू हुआ, जिसमें, करौली, धौलपुर, अलवर और भरतपुर को मिलाया गया। एकीकरण के दूसरे चरण में बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, कोटा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ और शाहपुरा रियासतों को मिलाकर संयुक्त राजस्थान संघ 25 मार्च1948 को बनाया गया।
एकीकरण का तीसरा चरण 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर के विलय के साथ पूरा हुआ।
30 मार्च 1949 को चौथा चरण बीकानेर, जयपुर, जोधपुर और जैसलमेर जैसी चारों बड़ी रियासतों को मिलाकर वृहत्तर राजस्थान के रूप में पूरा हुआ।
पांचवा चरण मत्स्य संघ को वृहत्तर राजस्थान मैं मिलाने से 15 अप्रैल 1949 को पूरा हुआ।
एकीकरण के छठे चरण के रूप में सिरोही को 26 जनवरी 1950 को वृहत्तर राजस्थान में मिलाकर पूरा किया गया।
सातवें और अंतिम चरण के रूप में दिलवाड़ा को आबू में मिलाकर और सुनेल टप्पा को मध्यप्रदेश में मिलाकर आखिरकार राजस्थान का एकीकरण पूरा हो गया और इस प्रकार राजस्थान एक राज्य के रूप में उद्भव हुआ।
ये भी पढ़े –
- राणा सांगा के जीवन की पूरी जानकारी
- हाड़ी रानी के जीवन की पूरी जानकारी
- राणा कुम्भा की मृत्यु कैसे हुई?
राजस्थान दिवस मनाने की विशेषता (Features of Celebrating Rajasthan Diwas in Hindi) :
राजस्थान दिवस मनाने के पीछे कई सारी विशेषताएं छिपी हुई है, जैसे इस दिन राजस्थान के लोक संस्कृतियों को कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। राजस्थान दिवस के दिन राजस्थान के गौरवशाली इतिहास और यहां की संस्कृति को दर्शाते लोक गीत गाए जाते हैं और कई सारी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इस दिन राजस्थान में विशेष रूप से लोक कलाओं से लोगों को रूबरू करवाया जाता है ताकि राजस्थान के निवासियों में उनकी संस्कृति का सम्मान और आदर बरकरार रहे।
राजस्थान के इतिहास की विशेषता (Features of the History of Rajasthan in Hindi) :
राजस्थान यानी राजाओं का निवास ऐसी जगह जिसका नाम ही राजाओं के ऊपर पड़ा हो। वहां के इतिहास का गौरव गान हम कैसे कर सकते हैं? राणा सांगा से लेकर राणा प्रताप, वीर दुर्गादास, राव मालदेव, पृथ्वीराज, बीसलदेव, सूरजमल राणा, रतन सिंह, हमीर देव तो बस कुछ गिने-चुने नाम है।
राजस्थान के अनगिनत पूर्वी राजाओं ने अपनी मातृभूमि को बचाने के लिए हमेशा ही शत्रुओं से लड़ाई कर अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान किया है। यहां के वीर छत रानियों के जोहर की गाथा तो पूरे भारत में प्रसिद्ध है। वीरगति प्राप्त करने के बावजूद भी यहां के राजाओं ने अपनी मातृभूमि को किसी का गुलाम नहीं होने दिया, इसी वजह से राजस्थान का इतिहास भारत में अपना विशेष गौरव और पहचान रखता है और यह विशिष्टता राजस्थान के हर शहर में हर किलो में और यहां के लोगों के मन में शोभायमान है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि राजस्थान दिवस सभी राजस्थान के निवासियों के लिए एक बहुत ही गर्व भरा और गौरवशाली दिन होता है। इस दिन को हम राजस्थान के एकीकरण के पूर्ण होने के रूप में भी मनाते हैं और इस दिन कई विद्यालयों और संस्थानों में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
राजस्थान दिवस के दिन हमेशा राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को और यहां के वीरों और उनके बलिदानों को श्रद्धा से याद किया जाएगा। राजस्थान के अमर इतिहास को यहां के लोगों ने जिस प्रकार जीवंत रखा है यह उसी प्रकार उनके मन में हमेशा जीवंत रहे ऐसी कामना है।
Leave a Reply