हमने हमारी पिछली पोस्ट में यह जाना कि वैदिक काल को भारत के इतिहासकार दो हिस्सों में बांटते हैं – ऋग्वेदिक काल या पूर्व वैदिक काल और Uttar Vaidik Kal। हमने अपनी पिछली पोस्ट में पूर्व वैदिक काल जिसे ऋग्वेदिक काल भी कहा जाता है, के बारे में विस्तार से चर्चा की थी। हमने जाना कि कैसे आर्य भारत में आकर बस गए और उन्होंने यहाँ वैदिक सभ्यता की नींव रखी।
हिंदुकुश पहाड़ों के रास्ते भारत आए आर्यों ने आज के पंजाब राज्य, जिसे उस वक़्त सप्त सैन्धव कहा जाता था, आकर बसना शुरू कर दिया था। यहां की उपजाऊ ज़मीन और पानी की उपलब्धता की वजह से इनकी सभ्यता और संस्कृति ख़ूब फली फुली। यहां उन्होंने एक ऐसे समाज की नींव रखी जिसने ना सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व को एक महान तोहफा दिया – संस्कृत भाषा, वेद और उच्च स्तर की सामाजिक व्यवस्था।
वैदिक काल के बारे में विस्तार से जानने के बाद अब हम उत्तर वैदिक काल के बारे में भी विस्तार से जानेंगे।
उत्तरवैदिक काल क्या है? (What is Uttar Vaidik Kal in Hindi?) :
हम उस काल को Uttar Vaidik Kal कहेंगे जिसमें ऋग्वेद के अलावा बाकी तीन वेदों यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की रचना की गई। इन वेदों के अलावा Uttar Vaidik Kal में ब्राह्मण ग्रन्थ, अरण्यक और उपनिषदों को भी रचा गया था। लोहे की खोज इस काल की सबसे बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। इस काल में भूरे मिट्टी के बर्तनों और इन पर प्रारंभिक चित्रकारी के भी प्रमाण मिलते हैं।
ऋग्वेदिक काल के विपरीत उत्तर वैदिक काल में आर्यों ने धिरे धीरे सप्त सैन्धव से निकल कर भारत के बाकी इलाकों में भी फैलना शुरू कर दिया। इन्होंने भारत के पूर्ववर्ती और दक्षिणवर्ती इलाकों को भी अपना घर बनाया। ऋगवैदिक काल में जहां पशुपालन को ज़्यादा अहमियत दी जाती थी, वहीं उत्तर वैदिक काल में आर्यों ने पशुपालन के साथ साथ खेती पर भी ध्यान देना शुरू किया।
उत्तर वैदिक काल में राजनैतिक स्थिति Political Situation in the Uttar Vaidik Kal in Hindi) :
- Uttar Vaidik Kal में राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में जो सबसे बड़े बदलाव हुए वो इस प्रकार हैं –
- छोटे छोटे कबीलों ने अपनी सुरक्षा के लिए एक दूसरे में मिलकर जनपदों की रचना करना शुरू कर दिया। ऋग्वेदिक काल में आर्यों के द्वारा बनाई गई समिति और सभा को खत्म कर दिया गया।
- अथर्ववेद में एक जगह पर राज्याभिषेक का वर्णन मिलता है जिससे पता चलता है कि राजा की शक्तियों में बढ़ोतरी होने लगी थी।
- समिति और सभा का स्थान अब राजदरबार या मंत्रिपरिषद ने लिया था।
- राजा अपने सारे काम अब अपने मन्त्रियों की सलाह और उनके परामर्श से करने लगे थे।
- इस तरह राज्य का सारा प्रशासन राजा और उसके मंत्री चलाते थे।
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उत्तरवैदिक काल में सामाजिक स्थिति (Social status in the Uttar Vaidik Kal in Hindi) :
- Uttar Vaidik Kal के समाज पुरुष प्रधान हुआ करते थे।समाज संयुक्त परिवार में विश्वास करता था।
- उत्तरवैदिक काल में वर्ण व्यवस्था विकृत हो गई। ऋगवैदिक काल में जहाँ व्यक्ति का वर्ण उसके कर्म के आधार पर तय होता था वहीं Uttar Vaidik Kal में यह आदर्श व्यवस्था बिगड़ गयी।
- वर्णों का स्थान अब जातीयों ने ले लिया।
- समाज का लचीलापन खत्म हो गया।
- Uttar Vaidik Kal में औरतों की स्थिति भी अच्छी नहीं रही।
- वर्णाश्रम व्यवस्था की तरह ही एक और व्यवस्था बनाई गई जिसे आश्रम व्यवस्था कहा गया।
- Uttar Vaidik Kal में आश्रमों की संख्या चार रखी गई।
- आश्रम व्यवस्था के बारे में सबसे पहली जानकारी जबालोपनिषद से मिलती है।
- शून्य से पच्चीस वर्ष तक ब्रह्मचर्य आश्रम।
- पच्चीस से पचास वर्ष तक गृहस्थ आश्रम।
- पचास से पिचहत्तर वर्ष तक वानप्रस्थ आश्रम।
- पिचहत्तर से सौ वर्ष की उम्र तक सन्यास आश्रम की व्यवस्था की गई थी।
- जुआ, नृत्य, गायन, संगीत और युद्ध लोगों के मनोरंजन के लिए आयोजित करवाये जाते थे।
उत्तर वैदिक काल में आर्थिक स्थिति (Economic condition in the Uttar Vaidik Kal in Hindi) :
- यह वो समय था जब आर्यकालीन समाज ना तो पूरी तरह गांव कहा जा सकता है ना पूरी तरह शहर।
- इस समय तक कपास की खेती से लेकर कपास से सूत कातने और इससे सूती कपड़े बनाने का काम बहुत ज़्यादा बढ़ गया था।
- शतपथ ब्राह्मण में खेती से जुड़ी सभी तरह की प्रक्रियाओं का वर्णन मिलता है।
- यहीं नहीं, काढक नाम की एक संहिता में चौबीस बैलों की मदद से खिंचे जाने वाले विशालकाय हलों का भी उल्लेख मिलता है।
- Uttar Vaidik Kal तक बाज़ार, व्यवसाय और उद्योग धंधे बहुत अधिक विकसित और फैले हुऐ थे।
- कई तरह के नए उद्योग धंधे पनप रहे थे जिनमें धोबी, चमड़ा बनाने वाले, रथ बनाने वाले, तीर धनुष बनाने वाले, कपड़ा रँगने वाले, कशीदाकारी करने वाले, हथियार बनाने वाले जैसे कई सारे लोग बाज़ारों में मिल जाते थे।
- इस समय में जो सिक्के प्रचलन में थे उन्हें स्तमान और निष्क कहा जाता था।
उत्तर वैदिक काल में धार्मिक जीवन (Religious Life in the Uttar Vaidik Kal in Hindi) :
- यज्ञ Uttar Vaidik Kal में किया जाना वाला सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान बन चुका था।
- यह आर्यों की संस्कृति का सबसे बड़ा आधार था।
- Uttar Vaidik Kal में यज्ञ के साथ साथ अब कई तरह के दुसरे धार्मिक क्रिया कलाप भी किये जाने लगे।
- Uttar Vaidik Kal में विष्णु को मानव जाति का संरक्षक और प्रजापति को इस दुनिया के निर्माता के रूप में पूजा जाने लगा।
- Uttar Vaidik Kal में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की अवधारणा लोगों में बीच फैलने लगी थी।
- इसी दौरान, इस काल में ऋग्वेद के बाद तीन और वेदों को बनाया गया जिन्हें क्रमशः यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद कहा गया। इस काल की विश्व को सबसे बड़ी देन थी वेद। आपने वेदों के बारे में ज़रूर बहुत कुछ पढ़ा और सुना होगा इसलिए अभी हम आपको वैदिक साहित्य से जुड़ी बस कुछ बातें ही बताएँगे –
वैदिक साहित्य का इतिहास (History of Vaidik Sahitya in Hindi) :
वेद : वेद का मतलब ज्ञान होता है। इनसे आर्यों के भारत आगमन और उनकी बसावट, संस्कृति और समाज के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलता है। वेद चार हैं— ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास को वेदों के संकलन का श्रेय दिया जाता है।
वैदिक साहित्य में ऋग्वेद (Rigveda in Vaidik Sahitya in Hindi) :
- ऋग्वेद में कुल दस मण्डल हैं।
- इसमें एक हज़ार अट्ठाइस श्लोक और लगभग दस हज़ार चार सौ बासठ मन्त्र हैं।
- इसके दूसरे और सातवें मण्डलों को सबसे पुराना माना जाता है क्योंकि इनकी रचना सबसे पहले की गई थी।
- इसके पहले और दसवें मण्डल को सबसे आखिर में लिखा गया।
- ऋग्वेद में अग्नि, इंद्र, वरुण और मित्र आदि देवताओं की प्रशंसा में स्तुतियों और प्रार्थनाओं का निर्माण किया गया है।
- प्रसिद्ध गायत्री मंत्र इसी वेद से लिया गया है।
- ऋग्वेद में इन स्तुतियों का पाठ करने वाले ब्राह्मणों को होत्रा या होतृ कहा गया है।
- ऋग्वेद के दसवें मण्डल में प्रसिद्ध ‘पुरुषसूक्त’ का वर्णन मिलता है जिसके अंदर आर्यों की वर्ण व्यवस्था की स्पष्ट व्याख्या दी गयी है।
वैदिक साहित्य में यजुर्वेद (Yajurveda Vaidik Sahitya in Hindi) :
- यजुर्वेद को कर्मकाण्ड से जुड़ी चीजों को समझने के लिए बनाया गया।
- इसमें कुल मण्डलों की संख्या चालीस है।
- इसमें दो हज़ार ऋचाएँ हैं।
- इसकी ऋचाओं का पाठ करने वाले ब्राह्मणों को ‘अध्वर्यु’ पुकारा गया है।
- यजुर्वेद को दो हिस्सों में बांटा गया है –
- पहला, गद्य रूप में बनाया गया कृष्ण यजुर्वेद और
- दूसरा, पद्य रूप में बनाया गया शुक्ल यजुर्वेद।
वैदिक साहित्य में सामवेद (Samaveda Vaidik Sahitya in Hindi) :
- साम का मतलब गाना होता है।
- इसमें लिखी गयी ऋचाओं का पाठ करने वाले ब्राह्मण को ‘उद्गातृ’ के नाम से पुकारा जाता था।
- सामवेद की ऋचाओं की कुल संख्या पन्द्रह सौ उनचास है।
- तीसरे वेद सामवेद को भारतीय संगीत का जनक माना गया है।
वैदिक साहित्य में अथर्ववेद (Atharvaveda Vaidik Sahitya in Hindi) :
- अथर्ववेद को अथर्वा नाम के एक ऋषि ने बनाया और लिखा।
- अथर्व शब्द का मतलब होता है – पवित्र जादू।
- इस वेद में कई तरह की बीमारियां और उनका इलाज, विवाह, प्रणय गीत, राजभक्ति और अन्धविश्वासों के बारे में लिखा गया है।
- वेदों के अलावा इस काल में ब्राह्मण ग्रंथों, आरण्यक, एक सौ आठ उपनिषद्, छह वेदांग, अट्ठारह पुराण, रामायण, महाभारत और स्मृतियों की भी रचना की गई।