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वाद्य यंत्र के नाम, प्रकार और परिभाषा (Type of Vadya Yantra in Hindi)

Vadya Yantra – संगीत हमारे जीवन के हर मोड़ पर हमारे साथ होता है। संगीत एक विद्या है, एक कला है। इसे सीखना और समझना होता है। चाहे कैसा भी पल हो हम संगीत के बिना अधूरे से हैं। संगीत को लेकर सबकी अपनी अपनी पसन्द होती है। संगीत की दुनिया हज़ारों साल पुरानी है। जो संगीत हम सुनते हैं उसे बड़े ध्यान से, बहुत मेहनत से बनाया जाता है और आज की दुनिया के लोग संगीत से काफ़ी वाकिफ़ हैं। आज की पोस्ट में हम आपको वाद्य यंत्र क्या है, वाद्य यंत्र कितने प्रकार के होते है आदि की जानकारी इस पोस्ट के माध्यम से देने की कोशिश करेंगे।

वाद्य यंत्र क्या है? (What is a Vadya Yantra in Hindi) :

संगीत वाद्य यंत्र वो मशीन्स होती हैं जिनको एक विशिष्ट तरीके से बजा कर ध्वनि या धुन को पैदा किया जाता है। इन यंत्रों को Musical Instruments यानी वाद्य यंत्र कहते हैं। ये कई तरह के होते हैं। हर वाद्य यंत्र को बनाने और बजाने का एक खास तरीका होता है तभी लय और सुर बन पाते हैं। अब हम जानेंगे वाद्य यंत्र कितने तरह के होते हैं और उन्हें क्या कहते हैं।

वाद्य यंत्र के प्रकार (Type of Vadya Yantra in Hindi) :

वैसे देखा जाए तो वाद्य यंत्र कई तरह के होते हैं। खास तौर पर अगर हम भारतीय संस्कृति की बात करें तो सैंकड़ों तरह के वाद्य यंत्र आपको दिख जाएंगे। भारत में संगीत बनाने के लिए इस्तमाल किये जाने वाले वाद्य यंत्रों को हम फौरी तौर पर दो भागों में बाँट सकते हैं :

भारतीय शास्त्रीय वाद्य यंत्र और पश्चिमी वाद्य यंत्र।
हम भी कई सारे वाद्य यंत्रों के नाम जानते होंगे। उन्हें बजाना भी सीखा होगा लेकिन इनका सही उत्तर वो लोग ही दे सकते हैं जो संगीत पढ़ते हैं। वो लोग ही इन्हें अच्छे से समझ पाते हैं लेकिन हमारे जैसे लोग जो संगीत शास्त्र के बारे में ज़्यादा नहीं जानते उनके लिए हम आगे अच्छे से इसका विस्तार से वर्णन करेंगे।

वाद्य यंत्र बनावट और ध्वनि के स्तर पर मुख्य रूप से चार हिस्सों या भागों में बांटा जाता हैं। ये इस प्रकार हैं –

  • तत् वाद्य यंत्र
  • सुषिर वाद्य यंत्र
  • आघात/अनवद्ध
  • घन वाद्य यंत्र

अब हम इन चारों प्रकार के वाद्य यंत्रों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करेंगे।

तत् वाद्य यंत्र (Tat Vadya Yantra in Hindi) :

ऐसे वाद्य यंत्र जिनमें किसी धातु के तार लगे होते है, तत् वाद्य यंत्र कहलाते हैं। तत् वाद्य यंत्रों में बाजे को लकड़ी और धातु की मदद से बनाया जाता जाता है जिसमें एक निश्चित दूरी पर तारों को कसा जाता है। इन वाद्य यंत्रों में लगाये गए तारों को झुका कर, खींच कर या धातु के किसी टुकड़े से कम्पन पैदा कर के बजाया जाता है।

भारत में अनगिनत तरह के शास्त्रीय वाद्य (Classical Instruments) और लोक वाद्य (Folk Instruments) मौजूद है। हमारे शास्त्रों में भी ऐसे कई प्राचीन तत् वाद्य यंत्रों का वर्णन हैं जिनमें से अधिकांश या तो अभी के समय में उपलब्ध नहीं हैं या उनका इस्तमाल होना बंद हो गया है। लेकिन ऐसे वाद्य यंत्र जो वर्तमान में प्रचलन में है, उनका विवरण हम आपको हमारी अगली पोस्ट में देंगे। उससे पहले हम वाद्य यंत्रों के प्रकारों को विस्तार से समझेंगें।

तत् वाद्य यंत्र (Tat Vadya Yantra in Hindi) को उनके बजाने के तरीकों के आधार पर चार भागों में बांटा जाता है :

  • नक्काशीदार
  • गैर नक्काशीदार
  • ऐंठन और
  • धनुर।

सुषिर वाद्य यंत्र (Sushir Vadya Yantra in Hindi) :

तत् वाद्य यंत्रों के बाद आते हैं जिन्हें सुषिर वाद्य यंत्र कहा जाता है। सुषिर वाद्य यंत्रों को हवा की मदद से बजाया जाता है। इन यंत्रों में पाइप की आकृति की बनावट वाले छेद करके इनमें हवा की मदद से कंपन पैदा किया जाता है। इन वाद्य यंत्रों की आवाज इनकी बनावट पर निर्भर करती है। बनावट के आधार पर इन वाद्य यंत्रों को हल्की से हल्की और मधुर आवाज पैदा करने से लेकर कानफोडू स्वर और ध्वनियां तक पैदा की क्षमता तक का बनाया गया है । सुषिर वाद्य यन्त्र अंदर से खोखले होते हैं।

अंदर से खाली इन वाद्य यंत्रों में निश्चित दूरी पर बीच-बीच में छेद किए जाते हैं जिन्हें हम ध्वनि पैदा करने के लिए, इन्हें बजाने के लिए बनाए गए नियमों का इस्तेमाल कर के खोलते या बंद करते हैं। सुषिर वाद्य यंत्रों को दो भागों में बांटा जाता है।
हवा को यंत्रों यानी मशीन की मदद से निकालना या भरा जाता है जैसे हारमोनियम और दूसरे तरह के यंत्र जिनमें हम अपने मुंह, सांसो और पेट (श्वसन तंत्र) का विधिवत इस्तमाल कर के हवा भरते या छोड़ते हैं जैसे बांसुरी।

अनवद्ध वाद्य यंत्र (Unvaded Vadya Yantra in Hindi) :

ऐसे वाद्य यंत्र जिन्हें चोट या आघात की मदद से बजाया जाता हो Unvaded Vadya Yantra कहलाते हैं। इन वाद्य यंत्रों को चौड़ाई में कस के बांधे गए चीजों जैसे चमड़े पर हाथ की मदद से ताल देकर सुर उतपन्न किये जाते हैं जैसे चंग। अनवद्ध वाद्य यंत्रों में एक ही चौड़ी पट्टी पर चमड़े को कसके बांधा जाता है जिससे एक तरफ चमड़े की परत होती है और दूसरी तरफ उसका ढांचा होता है। तो जब हाथ का आघात खींचे हुए चमड़े पर लगता है और हवा खाली जगह से आगे होकर निकल जाती है तब सुर पैदा होते हैं। अनवद्ध वाद्य कई तरह के होते हैं

जिनको बजाने के आधार पर अलग-अलग प्रकारों में बांटा जाता है –

  • ऐसे Vadya Yantra जिन्हें छड़ी की चोट से बजाय जाता हो जैसे नगाड़े।
  • ऐसे Vadya Yantra जिन्हें हाथों की मदद से बजाया जाता हो जैसे चंग।
  • ऐसे Vadya Yantra जिन्हें हाथ और छड़ी दोनों की मदद से बजाया जाता हो जैसे तवील।
  • ऐसे Vadya Yantra जिन्हें बजाने के लिए किसी बाहरी चीज़ की नहीं बल्कि बाजे के खुद के किसी हिस्से का इस्तमाल किया जाता हो जैसे डमरू।
  • ऐसे Vadya Yantra जिनके एक हिस्से पर हाथ से और दूसरे हिस्से पर चोट की जाती हो जैसे ड्रम।

घन वाद्य यंत्र (Ghan Vadya Yantra in Hindi) :

ऐसे वाद्य यंत्र जिनका ढांचा सख्त होता है यानी जो आसानी से मूड नहीं सकते जैसे लोहा, पीतल, तांबा, कांसा, चांदी आदि। ऐसे कठोर वाद्य यंत्रों से आवाज निकालने के लिए इनको खुरचा जाता है, आघात किया जाता है या खड़काया जाता है। ऐसे वाद्य यंत्रों की बनावट में एक या एक से ज्यादा कठोर चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे लोहा और लकड़ी (करताल)। ऐसे Vadya Yantra कोई सूर पैदा नहीं करते लेकिन इन्हें संगीत बनाते समय राग उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है जैसे करताल, मंजीरा, घंटी, घुंघरू, लेझिम, काठी और जलतरंग आदि।

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