राजस्थान और यहां की संस्कृति अपने आप में अनूठे हैं। यहां के वीरों ने यहां का इतिहास गौरवशाली बनाया तो वहीं दूसरी ओर यहां लोगों के बीच सौहार्द बढ़ाया यहां की धार्मिक मान्यताओं ने। ऐसा ही एक धार्मिक स्थल है सुंधा माता मंदिर। यहां हर जाति, हर सम्प्रदाय के लोग दर्शन करने आते हैं। इस पोस्ट में हम सुंधा माता धाम के बारे में विस्तार से जानेंगे।
सुंधा माता मंदिर (Sundha Mata Temple in Hindi) :
सुंधा माता मंदिर राजस्थान में लोगों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। यह मंदिर जालौर ज़िले के भीनमाल से बीस किलोमीटर दूर दांतलवास गांव में सुंधा पहाड़ी पर स्थापित है। सुंधा पहाड़ी अरावली की सुरमई वादियों का एक हिस्सा है।
सुंधा माता का इतिहास (Sundha Mata Temple History in Hindi) :
पौराणिक साहित्य के अनुसार सुन्धा पहाड़ी के लिए सौगन्धिका पर्वत, सुगन्ध गिरी और सौगन्धदी पर्वत आदि नामों का उल्लेख मिलता है। इस पर्वत के शिखर पर चामुंडा माता की मूर्ति एक छोटी सी गुफा में स्थित है। स्थानीय लोगों ने सुंधा माता की मूर्ति के नाम पर इस पहाड़ का नाम सुंधा पर्वत रख दिया। सुंधा माता मंदिर में सबसे पहले निर्माण कार्य जालौर के शासक महाराजा उदय सिंह के बेटे चचग देव ने करवाना शुरू किया।
इस निर्माण कार्य का उल्लेख मंदिर परिसर में स्थापित तीन शिलालेखों में से एक शिलालेख से मिलता है जिसके अनुसार ‘सुंधा पर्वत जिसे शास्त्र सुगंध गिरी और मरुस्थल का सुमेरू पर्वत कहते हैं, पर देवी अघटेश्वरी जो चचगदेव की कुल देवी माता चामुंडा के रूप में आराध्या हैं, के मंदिर में मंडप का निर्माण करवाया’।
मुख्य मंदिर पर्वत के सबसे ऊंचे स्तर पर एक छोटी सी गुफा में स्थापित है जिसे अघटेश्वरी देवी का मंदिर कहा जाता है। पौराणिक आख्यान के अनुसार दक्ष महायज्ञ में जब देवी सती ने अपने शरीर की आहुति दी थी तब देवी का मृत शरीर अपने हाथों में उठा प्रभु शिव पूरे ब्रह्मांड में विलाप करते घूम रहे थे। उनके दुख को कम करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से देवी सती के शरीर के टुकड़े कर दिए थे।
ऐसी मान्यता है कि जहां देवी माँ का सिर गिरा था वहीं पर आज सुंधा पर्वत का मंदिर स्थित है। इस मंदिर में देवी के सिर्फ सिर की पूजा की जाती है। मस्तक तो है लेकिन शरीर नहीं बना हुआ है। और यही बिना शरीर के सिर्फ सिर वाली माता अघटेश्वरी देवी माता चामुंडा कहलाती हैं।
सुंधा माता मंदिर का स्थापत्य (Sundha Mata Temple Architecture in Hindi) :
सुंधा माता मंदिर बनाने के लिए सफेद पत्थर और सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर को पहाड़ी के हिस्से काट काट कर बनाया गया है। सुंधा माता मंदिर एक विशाल संगमरमर के चबूतरे पर बनाया गया है। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही आपके दोनों तरफ हरे भरे बाग नजर आते हैं जो आपकी आंखों को सुकून देते हैं। यहां का वातावरण बड़ा ही सुरम्य है। शाम के समय पक्षियों की मधुर आवाज पूरे पहाड़ में गुंजायमान हो जाती है। मंदिर के प्रवेश द्वार के आसपास ही आपको बहुत सारे पूजा सामग्री बेचने वाले, खिलौने बेचने वाले और रेस्टोरेंट्स मिल जाएंगे।
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सुंधा माता मंदिर दर्शन (Sundha Mata Temple Darshan in Hindi) :
सुंधा माता मंदिर, मुख्य मंदिर ज़मीन से 1200 से भी ज़्यादा फुट की ऊंचाई पर बना हुआ है। आप जैसे जैसे मंदिर में ऊपर की तरफ चढ़ाई करते हैं, हरियाली और भी सुंदर हो जाती है। रास्ते में आपको अपने बायीं तरफ एक पतला सा झरना भी मिलेगा जो एक छोटे से गुफा मुख में प्रविष्ट होता दिखाई देता है। थोड़ा ऊपर जाने पर आप उसी झरने को पूरे प्रचंड वेग से बहता हुआ पाएंगे और इस झरने के नीचे आपको लोग आनंद और मस्ती से नहाते भी दिख जाएंगे। प्लास्टिक की थैलियों और बोतलों के अत्यधिक इस्तेमाल की वजह से झरने के आसपास की जगह आजकल उतनी साफ नहीं दिखती है जितनी कुछ सालों पहले हुआ करती थी।
अगर आप रास्ते में कुछ खाने पीने के सामान खरीद रहे हैं तो बंदरों से सावधान हो जाएं!!
यहां आपको बंदरों के कई झुंड देखने को मिलेंगे। मंदिर में सीढ़ियों से होते हुए ऊपर जाते हुए आपको सैकड़ों दुकानें दिख जाएंगी। इन दुकानों पर खिलौने, सजावट की चीजें, मूर्तियां, तस्वीरें और भी बहुत सारे सामान दिखेंगे। ऊपर चढ़ते समय आपको पांच विश्राम स्थल मिलेंगे जहां आप आराम से बैठकर आसपास के नज़ारे का आनंद ले सकते हैं। और जब आप अपने चारों तरफ का नज़ारा देखेंगे तो यकीन मानिए आपको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं होगा। चारों तरफ़ दूर दूर तक पहाड़, रेगिस्तान, पेड़ ऐसे लगेंगे जैसे आप धरती के कलाकार को कोई चित्र बनाते हुए देख रहे हों।
सुंधा माता मंदिर का सौंदर्य (Sundha Mata Temple Beauty in Hindi) :
मंदिर के मुख्य परिसर में पहुचने पर आपको भक्तगणों की लंबी कतार दिखेगी। ऊपर पहुचने पर संगमरमर का बना ऊंचा और विशाल चबूतरा दिखेगा जिसके प्रांगण में सुनहरे रंग से रंगा एक विशाल त्रिशूल भी दिखेगा। मंदिर के अंदर दर्शन करें। यहां पर अनेक धर्मशालाएं बनी हुईं हैं। आप किराया देकर वहां रुक सकते हैं। नहाने और सोने की उत्तम व्यवस्थाएं हैं। सुंधा माता धाम ट्रस्ट भोजनालय में आपको मात्र दस रुपये की एक रसीद कटानी होगी फिर आप बड़े से वातानुकूलित साफ सुथरे हॉल में शुद्ध सात्विक भोजन का आनन्द ले सकते हैं।
यहां पर आपको पूरी, दो सब्ज़ी और स्वादिष्ट दाल और चावल परोसे जाते हैं। नवरात्रि के दिनों में सुंधा माता मंदिर की चहल-पहल और रौनक देखते ही बनती है। पूरा मंदिर परिसर रोशनी से सजाया जाता है और विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। यहां पर नौ दिनों तक गरबा रास का भी आयोजन किया जाता है जिसमें आप स्वेच्छा से भाग ले सकते हैं। पूरी रात भजन संध्याओं का लाभ लेने के लिए राजस्थान ही नहीं वरन गुजरात से भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।
सुंधा माता मंदिर रोचक तथ्य (Sundha Mata Temple Interesting Facts in Hindi) :
राजस्थान राज्य का पहला Rope-Way यहीं सुंधा माता धाम में लगाया गया था। यह रोप – वे राजस्थान का सबसे ऊंचा रोप – वे भी है। इसे आठ सौ मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया है। इस रोप – वे को 2006 में यहां पर स्थापित किया गया था।
सुंधा माता मंदिर कैसे पहुंचे? (How to reach Sundha Mata Temple in Hindi?) :
सुंधा माता धाम घूमने के लिए आप बस या ट्रेन से भीनमाल जा सकते हैं। भीनमाल रेलवे स्टेशन पर उतरकर आपको सुंधा माता धाम जाने के लिए कई सारे जीप मिल जाएंगे। सुंधा माता धाम भीनमाल से सिर्फ 20 किलोमीटर और जालौर से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप सुबह नौ से लगाकर देर शाम तक मंदिर परिसर में घूम सकते हैं। यहां घूमने के लिए किसी भी तरह का कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है।
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