शिक्षा पर निबन्ध – अरस्तू ने कहा था, मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और तब से ही यह पंक्ति मानव और इसके सब्ब्जव और प्रकृति को परिभाषित करती आई है। हम समाज में रहकर इसके उत्थान और विकास की दिशा में निरंतर काम करते रहते हैं और इस योगदान की धुरी होती है शिक्षा। शिक्षा की मदद से ही हम अपने और अपने परिवार की उन्नति कर पाने में सफल होते हैं।
शिक्षा के इसी महत्व को देखते हुए आज की पोस्ट में हम शिक्षा पर निबन्ध एक बहुत ही सुंदर और सरल निबन्ध प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि आप भी इस शिक्षा पर निबन्ध को पढ़ कर शिक्षा और शिक्षा के महत्व पर निबन्ध लिख पाने में समर्थ हो सकेंगे।
शिक्षा पर निबन्ध 100 शब्द में (Shiksha Essay in Hindi 100 Words) :
एक बालक के जन्म लेते ही उसके सीखने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। बालक अपने आसपास के लोगों को देखकर उनकी नकल उतारने की कोशिश शुरू करता है। एक मां को अपने बच्चे की पहली शिक्षिका या गुरु कहा जाता है। बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं, अपने आसपास के वातावरण से प्रत्येक चीज सीखने की कोशिश करते हैं। इसलिए परिवार वालों को चाहिए कि छोटे बालकों के विकास के समय उन्हें ऐसी चीजें दिखाएं जो उन्हें जीवन भर एक अच्छा व्यक्ति बनाए रखने में मदद करें।
शिक्षा से यह अपने समाज का विकास कर सकते हैं, एक शिक्षित व्यक्ति ही अपने और अपने परिवार की आर्थिक सामाजिक और नैतिक परिस्थितियों को सकारात्मक तरीके से बदलने में सफल हो पाता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिक्षा का मानव जीवन में बहुत ही महत्व होता है एक शिक्षित समाज अपने देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान दे पाता है। समाज की उन्नति में ही देश की उन्नति होती है और यह उन्नति शिक्षा और इसके विकास से ही संभव हो पाती है इसलिए मेरा मानना है कि देश में सभी परिवारों को अपने बच्चों को अनिवार्य शिक्षा दिलवानी ही चाहिए।
शिक्षा पर निबन्ध 250 शब्द में (Shiksha Essay in Hindi 250 Words) :
शिक्षा पर निबन्ध की प्रस्तावना (Shiksha Essay in Hindi) :
शिक्षा और इसका महत्व इसी बात से पता लगाया जा सकता है कि हम भले ही विश्व के किसी भी कोने में रहते हो या कोई भी भाषा बोलते हो शिक्षा ग्रहण किया हुआ व्यक्ति, कभी भी दयनीय स्थिति में नहीं पड़ सकता है। शिक्षा मनुष्य को अपने जीवन का सही अर्थ और लक्ष्य समझाने में मदद करती है। शिक्षा हासिल करने के बाद एक व्यक्ति समाज में एक सम्माननीय नागरिक बनता है।
शिक्षा का महत्व (Important of Education in Hindi) :
मनुष्य ने प्राचीन काल से जैसे-जैसे प्रगति की उसकी समझ में आया कि शिकारी से लेकर नगर बसाने तक कि उसकी यात्रा में जो प्रगति उसने हासिल की है, वह आई है दिमाग की चेतना और सोचने समझने की शक्ति की वजह से भारत में आर्यों ने संस्कृत भाषा बनाई, वेद लिखे, पुराण लिखे, उपनिषद लिखें और इस तरीके से उन्होंने अपनी मस्तिष्क की चेतना और अपने विवेक से एक ऐसा समाज बनाया। जो हर दृष्टि से संपन्न विकसित और स्वयंभू था।
वैदिक समाज के बारे में हमें कोई भी बुराई नजर नहीं आती है। क्योंकि उस समय समाज के सभी लोगों को शिक्षा हासिल करने का सहज ही अधिकार मिला हुआ था। ना सिर्फ पुरुषों को बल्कि स्त्रियों को भी शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार मिला हुआ था, तो इस तरह वह समाज बहुत तेजी से फला फूला। जिस समाज में शिक्षक की अहमियत लोगों को पता होती है।
वह समाज बहुत तेजी से प्रगति करता है लेकिन एक ऐसा समाज जहां शिक्षा के महत्व को कमतर समझा जाता है या लोगों तक शिक्षा की पहुंच नहीं होती है। वह समाज बहुत धीमी गति से प्रगति करता है और उस समाज के लोग अपना विकास नहीं कर पाते हैं। इसलिए शिक्षा सबके लिए जरूरी है यह मानव को एक विवेकशील व्यक्ति बनाती है।
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शिक्षा पर निबन्ध का उपसंहार (Shiksha Essay in Hindi) :
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिक्षा का महत्व मानव विकास मानव के जीवन और मानव के उत्थान के लिए कितना आवश्यक है।
शिक्षा पर निबन्ध 500 शब्दों में (Shiksha Essay in Hindi 500 Words) :
शिक्षा पर निबन्ध की प्रस्तावना (Shiksha Essay in Hindi) :
हमने अक्सर सड़कों पर आते जाते कई सारे विद्यालयों को देखा होगा। उनकी इमारतों पर सहज ही हमें “विद्या ददातिम् विनयम्” और “सा विद्या या विमुक्तये” जैसे शब्द पढ़ने को मिले होंगे। लेकिन इन पंक्तियों का मतलब क्या है? संस्कृत में लिखी ये पंक्तियां कुछ और नहीं बल्कि शिक्षा और इसके महत्व के ऊपर प्रकाश डालती है।
समाज को शिक्षा का महत्व और इसकी उपयोगिता समझाने के लिए हम इन पंक्तियों का इस्तेमाल करते हैं। ताकि समाज के हर उस वर्ग तक शिक्षा की पहुंच बन सके। जो इस से वंचित रह जाते हैं, इस प्रकार हम समाज के हर तबके तक शिक्षा पहुंचा सकते हैं जिससे सभी लोग शिक्षित होकर अपना और अपने परिवार का विकास कर सकें।
शिक्षा का मतलब (Meaning of Education in Hindi) :
“विद्या ददातिम् विनयम्” पंक्ति का यह मतलब होता है कि विद्या या शिक्षा एक इंसान को विनयशील बनाते हैं। यहां पर इस पंक्ति का यह मतलब भी होता है कि विद्या ग्रहण कर रहा एक विद्यार्थी अपने स्वभाव में विवेक शीलता मानवता सत्य निष्ठा और देश प्रेम जैसी भावनाओं का विकास करता है।
शिक्षा हासिल करने के बाद एक व्यक्ति अपने देश की प्रगति में योगदान देता है। जिससे ना सिर्फ उस व्यक्ति का बल्कि उस व्यक्ति से जुड़े हर दूसरे व्यक्तियों का भी सामाजिक उत्थान होता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि विद्या इंसान में अच्छे गुणों को विकसित करने का एक माध्यम है।
“सा विद्या या विमुक्तये” इस पंक्ति का यह मतलब होता है कि विद्या वह उपाय है जो एक इंसान को भय गरीबी अनैतिकता अविवेक शीलता जैसे बुराइयों से मुक्त करती है।
एक पढ़ा लिखा व्यक्ति सही और गलत ही समझ अपने दिमाग में विकसित कर लेता है। देश दुनिया में चल रही बातों का उसे ध्यान होता है जिससे वह अपने और अपने समाज में उन बातों को किस तरीके से लागू किया जाए, इस पर विचार करता रहता है इस तरह शिक्षा एक ऐसा हथियार है जो समाज से बुराइयों को दूर करने में हमारी मदद करता है।
शिक्षा का महत्व (Important of Education in Hindi) :
भारतीय समाज में शिक्षा का महत्व हजारों वर्षों से चला आ रहा है। लेकिन भारत के इतिहास के मध्य काल को शिक्षा की प्रगति की दृष्टि से सबसे कम विकसित कहा जा सकता है। इस दौर में लोगों को और खासकर बालिकाओं और महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखा गया। जिससे उनका विकास कुंठित हो गया। महिलाओं में हिना भावनाओं का विकास हुआ और इस वजह से महिलाओं का स्तर समाज के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया।
इससे चिंतित होकर उन्नीसवीं शताब्दी में हमारे समाज सुधारकों ने महिला शिक्षा के महत्व को जानते जानते हुए इस दिशा में कई ठोस कदम उठाए, राजा राममोहन राय ने सती प्रथा को बेन करवाया। महात्मा ज्योतिबा फुले ने महिला शिक्षा के लिए कई सारे स्कूल और कॉलेज स्कूल बनवाए। पंडिता रमाबाई के प्रयासों से महिलाओं को शिक्षा का अधिकार हासिल हुआ।
ऐसे अनेकों उदाहरण हमें हमारे इतिहास में देखने को मिलते हैं और इन्हीं समाज सुधारकों के प्रयासों की वजह से भारत में महिला शिक्षा को फिर से महत्व दिया गया। जैसे ही महिलाओं को स्कूल और कॉलेजों में भेजा जाने लगा। उन्होंने अपनी उन्नति की और इसी का परिणाम था कि आज हम कल्पना चावला, पंडिता रमाबाई, सरोजिनी नायडू, पीटी उषा, किरण बेदी जैसी महिलाओं की उपलब्धियों के बारे में आज भी किताबों में पढ़ते हैं।
यही वजह है कि शिक्षा के महत्व को समझते हुए भारत सरकार ने सन 2005 में मौलिक अधिकारों की सूची में शिक्षा का अधिकार जोड़ते हुए एक बहुत ही ऐतिहासिक निर्णय लिया। इस कानून को हम शिक्षा का अधिकार 2005 के नाम से जानते हैं। इस कानून के लागू होने के बाद भारत सरकार ने प्रत्येक 14 वर्ष के बालकों को अनिवार्य शिक्षा दिलवाने का प्रस्ताव पारित किया। इसी कानून का यह परिणाम था कि गरीब बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए मुफ्त किताबें, मुफ्त यूनिफार्म और मध्यान भोजन जैसे हम मिड डे मील के नाम से जानते हैं कि शुरुआत की।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत सरकार ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए कई सारे कानून और योजनाएं बनाई हैं समाज के लोगों को चाहिए कि वे शिक्षा के महत्व को समझते हुए अपने बच्चों को खासकर बेटियों को स्कूल भेजें। ताकि उनमें भी सही गलत को समझने की नैतिक, अनैतिक के बीच के भेद को समझने की और तार्किक विश्लेषण की शक्ति जागृत हो सके।
शिक्षा पर निबन्ध का उपसंहार (Shiksha Essay in Hindi) :
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिक्षा के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है समाज के लोगों को चाहिए कि वे पढ़ लिखकर अपने समाज का और देश का उत्थान करें और इसके विकास में अपना योगदान दें। शिक्षा, मनुष्य को एक जिम्मेदार नागरिक बनाने में भी मदद करती है शिक्षा हासिल करके एक मनुष्य समाज में सम्मानित पद हासिल करता है वही और शिक्षित व्यक्ति किसी का प्रिय नहीं होता है तो इससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा ना सिर्फ मनुष्य बल्कि पूरे समाज और देश के लिए विकास की कुंजी है।
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