भारत एक प्रगतिशील देश है लेकिन यहां पर हर जाति और वर्ग ने अभी तक उतनी प्रगति नहीं की है जितनी समाज के कुछ गिने-चुने वर्गों ने। इस पोस्ट में हम उन वर्गों की बात करेंगे जो अभी भी समाज की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाए हैं। सरकार के द्वारा कई सारी योजनाएं बनाने और आरक्षण देने के बावजूद इनकी स्थिति में कुछ खास सुधार नहीं हुआ है। तो आइए जानते हैं ऐसे पिछड़े वर्गों के बारे में :
अनुसूचित जनजाति का मतलब क्या होता है? (What is mean of Scheduled Tribe in Hindi?) :
अनुसूचित शब्द का मतलब होता है वह चीज़ जिसे सूचीबद्ध किया गया हो जैसे भारत की भाषाएं,जातियां और जनजातियां।
अनुसूचित जनजाति क्या है? (What is a Scheduled Tribe in Hindi?) :
अनुसूचित जनजाति जिसे अंग्रेज़ी में Scheduled Tribes कहते हैं। इन जनजातियों का उल्लेख भारत के संविधान के दो अनुच्छेदों में मिलता है। अनुच्छेद तीन सौ छियासठ के भाग पच्चीस के अनुसार ‘ऐसे लोगों के जाति वर्गों या समूहों को अनुसूचित जनजाति माना जाएगा जिन्हें संविधान के अनुच्छेद तीन सौ बयालीस के तहत राष्ट्रपति के अनुमोदन से या संसद में संविधान संशोधन बिल पारित करके नए कबीलों को अनुसूचित जनजातियों की लिस्ट में शामिल किया गया हो।
अनुसूचित जनजाति लिस्ट (Scheduled Tribe List in Hindi) :
अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का पता आप इसी बात से लगा सकते हैं कि पिछली जनगणना के अनुसार भारत में सात सौ से भी ज़्यादा अनुसूचित जनजातियाँ है। भारत की कुल आबादी का सत्रह प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित अनुसूचित जनजातियों का बना हुआ है। भारत में ओडिशा और झारखंड ऐसे राज्य हैं जहां सबसे ज्यादा आदिवासी जनजातियों के लोग पाए जाते हैं। इन जनजातियों के लोग भारत के अट्ठारह से भी ज्यादा राज्यों में फैले हुए हैं।
हम आपको यहां पर भारत की सभीScheduled Tribe की जानकारी तो नहीं दे सकते हैं लेलिन कुछ सबसे बड़ी अनुसूचित जनजातियों की लिस्ट इस प्रकार है:
- भील
- गोंड
- खासी
- नागा
- सन्थाल
- बैगा
- कोली (कोळी)
- बंजारा
- कूकी
- भोटिया
- अगरिया
- गुर्जर
- लाम्बा
- गारो
- मुंडा
- कथौड़ी
- थारू
- दफ़ला
- अंडमानी
- निकोबारी आदि।
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अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण के क्या प्रावधान हैं? (Reservation for Scheduled Tribes in Hindi?) :
भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए 7.5 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं।
संविधान के अनुच्छेद छियालीस के तहत राज्य सरकारें अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए और उनके आर्थिक हितों को पूरा करने के लिए उनका खास ख्याल रखेंगीं।
अनुच्छेद दो सौ तियालीस के अनुसार ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जनजातियों के लिए कुछ फिक्स सीटों का प्रावधान किया गया है।
अनुसूचित जनजातियों के लोगों के लिए लोकसभा में भारतीय संविधान के अनुच्छेद तीन सौ तीस के तहत आरक्षित सीटों का प्रावधान किया गया है।
अनुच्छेद तीन सौ बत्तीस राज्यसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों की पैरवी करता है।
भारत सरकार ने बंधुआ मजदूरी उन्मूलन अधिनियम बनाकर अनुसूचित जाति के लोगों से ज़बरदस्ती बंधुआ मजदूरी करवाने को दंडित अपराध माना है।
अनुसूचित जनजाति आयोग (What is Scheduled Tribes Commission in Hindi) :
नया राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग दो हज़ार तीन में अस्तित्व में आया। इसे उन्नब्बे वें संविधान संशोधन, दो हज़ार तीन के अंतर्गत भारत के संविधान के अनुच्छेद तीन सौ अड़तीस में एक नया अनुच्छेद ‘तीन सौ अड़तीस (क) को जोड़कर बनाया गया था।
इस संविधान संशोधन के द्वारा पहले से स्थापित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को अगले साल यानी दो हज़ार चार में दो हिस्सों में बांट कर दो अलग अलग नए विभागों में तब्दील किया गया था। इनमें से पहला विभाग था राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और दूसरा विभाग था राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग।
राष्ट्रीय Scheduled Tribe आयोग में कुल पांच सदस्य होते हैं। इस आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा आयोग में तीन अन्य सदस्यों की भी भर्ती की जाती है। इनका वेतन, पद की अवधि, सेवा शर्तों और इसके अलावा मिलने वाले भत्तों को जनजाति कार्य मंत्रालय के द्वारा मॉनिटर किया जाता है।
अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष कौन है? (Who is the chairman of Scheduled Tribes Commission in Hindi?)
राष्ट्रीय Scheduled Tribe आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन किया जाता है।
वर्तमान में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उणराव हैं और अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष श्रीमती के. कमला कुमारी हैं।
अनुसूचित जनजातियों की मुख्य समस्याएं क्या हैं? (What are the main problems of Scheduled Tribes in Hindi?) :
- अनुसूचित समाज के लोग समाज के मुख्य रिहायशी इलाकों से दूर और ऐसी जगह पर रहते हैं जहां पहुंच पाना थोड़ा मुश्किल होता है जिससे ये लोग समाज और समाज में हो रहे विकास के कार्यों से पीछे रह जाते हैं।
- इस जाति के लोग आर्थिक रूप से पिछड़े होते हैं और यही सबसे बड़ी समस्या है कि ऐसी जनजातियों के लोग और खासकर इनके बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं।
- अनुसूचित जाति के लोग प्रकृति और जंगलों से मिलने वाली चीज़ों पर ही सबसे ज़्यादा निर्भर होते हैं और अभी के समय में तो प्राकृतिक संसाधनों पर भी इनका हक़ नहीं रहा। कम पढ़े लिखे और ज्ञान की कमी की वजह से यह लोग आधुनिक ज़माने में सर्वाइव नहीं कर पाते हैं।
- अनुसूचित जाति के लोगों में राजनीतिक और आर्थिक जागरूकता नहीं होने की वजह से ये लोग अक्सर शोषण का शिकार हो जाते हैं और अपने हक के लिए लड़ने से चूक जाते हैं।
- गरीबी और अशिक्षा की वजह से यह लोग अपने परिवार की ज़रूरतों को अच्छे से पूरा नहीं कर पाते हैं। इस वजह से यह लोग कई सारी बीमारीयों और कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।
- अनुसूचित जाति के लोग पिछड़े इलाकों के होने की वजह से समाज के बाकी लोगों के साथ अच्छे से घुल मिल नहीं पाते हैं इस वजह से इन लोगों में आत्मविश्वास की कमी और हीन भावना बढ़ने लग जाती है। ये लोग खुद को छोटा महसुस करने लगते हैं। ये लोग खुद को समाज में अच्छे से ढाल पाने में भी मुश्किलों का सामना करते हैं।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के कार्य (Functions of National Commission for Scheduled Tribes in Hindi) :
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा यह जाने वाले कुछ प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं :
- अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए बनाई गई नीतियों के बारे में राष्ट्रपति को अवगत करवाना।
- अनुसूचित जाति के लोगों की सुरक्षा उनके अधिकारों की रक्षा हो इस बात का ध्यान रखना।
- भारतीय संविधान के द्वारा अनुसूचित जाति को दिए गए सभी तरह के अधिकारों और सुरक्षा से जुड़े सभी तरह के मामलों की निगरानी और जांच करना।
- अनुसूचित जाति के लोगों की सुरक्षा और उनकी शिकायतों से जुड़े मामलों की जांच पड़ताल करना और आवश्यकता के अनुसार न्याय दिलवाना।
- अनुसूचित जाति के लोगों के विकास और उनके सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को ज़रूरी सलाह देना।
- अनुसूचित जाति के लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए लोक कल्याणकारी योजनाओं को ठोस तरीके से लागू करवाना और इन लोगों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के लिए ज़रूरी कदम उठाना।
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