सरस्वती पूजा पर निबंध – विश्व का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जो विद्या यानी पढ़ाई को एक भगवान की तरह पूजता होगा, केवल भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर ना सिर्फ विद्या बल्कि किताबों को भी उतना ही सम्मान दिया जाता है जितना किसी भगवान को।
जी हां हम बात कर रहे हैं विद्या की देवी सरस्वती की, भारत में विद्या, शिक्षा, पढ़ाई, अध्ययन को भगवान का दर्जा दिया गया है। प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों ने विद्या के महत्व पर विस्तार से चर्चा की है और लोगों को विद्या का महत्व समझाया है।
पढ़ाई की बात हो और सरस्वती माता को याद ना किया जाए ऐसा तो कहीं हो ही नहीं सकता है। विद्यालयों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में लाइब्रेरीओं में या हर उस स्थान पर जहां कॉपियां किताबें रखी जाती हो, सरस्वती माता की तस्वीर मिलना तो आम बात है।
इसी बात की विशेषता समझते हुए आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए सरस्वती पूजा पर निबंध एक बहुत ही सुंदर और सरल निबंध लेकर आए हैं। हमें आशा है सरस्वती पूजा पर निबंध पढ़ने के बाद आपसे सरस्वती पूजा पर निबंध लिख पाने में सक्षम हो सकेंगे।
सरस्वती पूजा पर निबंध की प्रस्तावना (Saraswati Puja Essay in Hindi) :
विद्या की देवी सरस्वती के जन्म दिवस यानी बसंत पंचमी के दिन उनकी पूजा करने का विशेष महत्व है। वसंत ऋतु धरती पर नए पौधों के खेलने फूलों के उगने और पेड़ों पर नई पत्तियां के आने का संकेत होती है और इसी वसंत ऋतु की पंचमी के दिन वसंत पंचमी नामक त्योहार मनाया जाता है।
सरस्वती पूजा के मंत्र (Saraswati Puja Mantras in Hindi) :
|| “या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिताम्
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” ||
इस श्लोक का यह मतलब है कि विद्या की देवी सभी प्राणियों में निवास करें और उन्हें अपने विद्या रूपी आशीर्वाद से साकार करें विद्या रूपी ऐसे देवी को बारंबार नमस्कार है।
सरस्वती माता की पूजा क्यों की जाती है? (Why is Saraswati Mata worshiped in Hindi?)
सरस्वती माता की पूजा करने के पीछे की पौराणिक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना पूरी कर ली, तब उन्हें एहसास हुआ कि इस सृष्टि में तो कोई आवाज ही नहीं है। सब कुछ बहुत नीरस और बेरंग लग रहा है। ब्रह्मदेव यह देखकर चिंतित हो गए, अपनी परेशानी का हल निकालने के लिए वे भगवान विष्णु के पास सलाह मांगने के लिए गए।
तब भगवान विष्णु ने उन्हें इस परेशानी का हल बताते हुए कहा कि आप माता सरस्वती का आह्वान करें। उनकी स्तुति करें, उनके प्रसन्न होने पर उन्हें अपने वीणा बजाने के लिए आग्रह करें। ब्रह्मा देव ने बिल्कुल ऐसा ही किया सरस्वती माता ने प्रकट होकर, अपनी वीणा बजाई तो उस में से सबसे पहला जो स्वर निकला,
वह था “सा” इसी वजह से सप्त स्वरों में सा को प्रथम स्थान दिया जाता है। सरस्वती माता की वीणा बजाते ही निष्क्रिय पड़ी सृष्टि में जैसे किसी ने प्राण डाल दिए हो, नदियों में पानी के बहने की स्वर सुनाई देने लगे। पक्षियों की आवाज सुनाई देने लगी, प्राणियों की आवाज सुनाई देने लगी। हवा की सरसराहट महसूस होने लगी और पृथ्वी रसमयी आनंदित अनेकानेक परोसे गुंजायमान हो गई।
जिस दिन सरस्वती माता ने बिना बजाएगा वसंत पंचमी का दिन था। इसलिए बसंत पंचमी को सरस्वती माता के जन्म दिवस के रूप में मनाए जाने का रिवाज भारत में है।
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सरस्वती पूजा कैसे करें? (How to do Saraswati Puja in Hindi?)
बसंत पंचमी के दिन विद्यालयों में विशेष पूजन का आयोजन रखा जाता है। हम सभी तरह के देवी देवताओं की पूजा करने के लिए उनके विशेष मंदिर में जाते हैं। लेकिन माता सरस्वती का मंदिर हमने शायद ही कहीं देखा होगा।
हम अपने जीवन में सबसे ज्यादा अगर किसी मंदिर में जाते हैं तो वह है सरस्वती माता का मंदिर यानी विद्यालय और हम इस बात से पूरी तरीके से बेखबर होते हैं। हम नित्य प्रतिदिन इस मंदिर में जाते हैं। शिक्षा ग्रहण करते हैं। अपने जीवन में सफल होते हैं और माता सरस्वती का आशीर्वाद हम पर बना रहता है।
कई विद्यालयों के प्रार्थना सभा वाले प्रांगण में माता सरस्वती का छोटा सा मंदिर बनवाया जाता है। विद्यार्थी सुबह-सुबह विद्यालय में प्रवेश करने के बाद माता सरस्वती के चरणों में वंदन करते हैं और फिर प्रार्थना करते हैं। वसंत पंचमी के दिन विद्यालयों में सभा का आयोजन किया जाता है। इसमें विद्यालय के प्राचार्य और सभी वरिष्ठ अध्यापक मिलकर माता सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं।
सबसे सरल तरीके से माता सरस्वती की पूजा करने के लिए माता की मूर्ति को स्नान कराया जाता है। उन्हें पवित्र सफेद वस्त्र पहनाए जाते हैं। पीले रंग के फूलों की माला चढ़ाई जाती है। घी का दिया किया जाता है और फिर सभी विद्यार्थी और शिक्षक गण मिलकर माता सरस्वती की आरती करते हैं और पूजा करते हैं।
गुरुकुल की तरह की विद्यालयों में बसंत पंचमी के दिन हवन का आयोजन किया जाता है, जिसमें भूमि को स्वच्छ कर गंगाजल से पवित्र किया जाता है। ईटों की सहायता से हवन कुंड का निर्माण किया जाता है और बसंत पंचमी के दिन विशेष रूप से आम की लकड़ियों से हवन कुंड को प्रज्वलित किया जाता है।
पवित्र अग्नि में घी लेकर “ॐ नमो सरस्वत्यै स्वाहाः” की 108 बार आहुति दी जाती है। इसके बाद पवित्र राख को इकट्ठा करके उसका तिलक किया जाता है। इस प्रकार माता सरस्वती की विशेष कृपा विद्यार्थियों और हवन करने वालों पर बनी रहती है। बसंत पंचमी के दिन विद्यार्थी और बच्चे भी अपने कॉपी और किताबों की पूजा करते हैं ऐसा करने से माता सरस्वती की कृपा बनी रहती है।
सरस्वती पूजा पर निबंध का उपसंहार (Saraswati Puja Essay in Hindi) :
सरस्वती पूजा पर निबंध में हम इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बसंत पंचमी एक तरफ जहां सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का समय होता है। नवीन हरियाली के छा जाने से वातावरण में सात्विकता सकारात्मकता का संचार होता है। ठीक उसी तरह वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की पूजा अर्चना और हवन करने से सरस्वती माता की कृपा हम पर बनी रहती है। इस दिन सरस्वती माता के मंत्रों का जाप करने से उन्हें पीले पुष्प चढ़ाने से, गुलाल चढ़ाने से भी मन शांत और स्थिर होता है और हम पढ़ाई में अच्छा मन लगा पाते हैं।
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