• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer

NS MANTRA

Learn Something New

  • Home
  • Full Form
  • Hindi Grammar
  • Indian History
  • Rajasthan History
  • Spiritual
  • Technology

राव मालदेव राठौड़ का इतिहास (Rao Maldev Rathore History in Hindi)

राजस्थान की इस धरती पर ना जाने कितने शूरवीरो ने जन्म लिया है। जिन्होंने अपने देश, धर्म और स्वभिमान के लिए विदेशी आक्रमणकारियों की सत्ता हिलाकर रख दी। परन्तु इतिहास के पन्नो में इन वीरो के बारे में ज्यादा कुछ नहीं लिखा गया है। एक ऐसे ही वीर राव मालदेव राठौर जिसने अपने देश, धर्म, और स्वभिमान के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। आज की इस पोस्ट में हम राव मालदेव के इतिहास के बारे में बात करेंगे।

राव मालदेव राठौड़ का जन्म कब हुआ? (When was Rao Maldev Rathore Born in Hindi?)

राव मालदेव का जन्म 5 दिसम्बर, 1511 को मारवाड़ राज्य के मेहरानगढ़ किले में हुआ था। उनकी माता का नाम रानी सजनावती था जो सिरोही राज्य के देवड़ा वंश के शासक जगमाल की पुत्री थी। राव मालदेव राठौड़ अपने पिता राव गांगा की मृत्यु के पश्चात् 21 मई, 1532 को जोधपुर के राज्य सिंहासन पर बैठे। जब मालदेव जोधपुर राज्य के गद्दी पर बैठे।

तब दिल्ली सल्तनत पर मुगल बादशाह हुमायूँ का शासन था। इनका विवाह युवावस्था में ही रानी उमादे के साथ हो गया था लेकिन शादी के पहले ही रात किसी कारणवश रानी उमादे मालदेव से रूठ गई और इसके बाद उमादे ने जीवन भर अपने पति से बात नहीं की।

राव मालदेव राठौड़ की कहानी (Story of Rao Maldev Rathore in Hindi) :

राव मालदेव वीर और साहसी होने के साथ ही बहुत ही ज्यादा महत्त्वाकांक्षी भी था वो अपने जोधपुर राज्य की सीमाओं को दूर- दूर तक फैलाना चाहता था। इसलिए राव मालदेव राठौड़ ने अपने आस पास के राजपूत राज्यों पर हमला करने की योजना बनाई। अपनी इसी योजना के तहत राठौड़ सेना ने सबसे पहले भाद्राजूण पर आक्रमण किया और वहां के शासक सींधल वीरा को युद्ध में हराकर भाद्राजूण पर अधिकार किया।

इस युद्ध के तुरंत बाद जैसलमेर के भाटी शासकों से फलौदी नामक जगह छीन ली। राव मालदेव राठौड़ ने मेड़ता पर चढ़ाई करके वहाँ के स्वामी वीरमदेव को अपने ही राज्य मेड़ता से निकाल दिया। राव मालदेव राठौड़ यही नहीं रुके, उन्होंने अपनी सेना के साथ नागौर राज्य पर चढ़ाई की और वहां के शासक दौलत खान को युद्ध में पराजित किया और नागौर को भी अपने अधिकार में लिया।

इसके बाद राव मालदेव राठौड़ ने सिरवियों को हराकर उन्होंने बिलाड़ा (जो की अभी जोधपुर राज्य के समीप है), अजमेर और सिवाणा के स्वामी राठौड़ डूंगरसी को हराकर सिवाणा पर पर अधिकार कर लिया। इस तरह राव मालदेव राठौड़ ने अपनी योजना के तहत अपने आस पास के राज्य बीकानेर, जालोर, अजमेर, नागौर, टोंक, डीडवाना, जैसलमेर आदि राज्यों को युद्ध में हराकर अपने राज्य में मिला दिया था।

गिरी सुमेल का युद्ध (Battle of Giri Sumail in Hindi) :

राव मालदेव राठौड़ शेरशाह की बढ़ती शक्ति से बहुत ज्यादा चिंतित थे। ऐसी स्थिति में मालदेव शेरशाह सूरी के शत्रु और मुग़ल शासक हुमायूँ की सहायता करने का फैसला किया। वास्तव में मालदेव एक तीर से दो शिकार करना चाहते थे। पहला तो अगर वो शेरशाह के विरुद्ध हुमायूँ की सहायता करेंगे तो हुमायूँ शेरशाह सूरी को युद्ध में हरा देंगे तो वो शेरशाह सूरी का पूरी तरह से अंत हो जाएगा और अफगानो के आक्रमण का खौफ ख़त्म पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा हो जाएगा।

दूसरा और वह हुमायूँ की युद्ध में मदद करके मुगलो से दोस्ती करने में कामयाब हो जाएगा और मुगलो की तरह से होने वाले आक्रमण भी रुक जाएंगे,और इस तरह वो उत्तरी भारत में अपनी सर्वोच्चता साबित कर लेंगे। अत: मारवाड़ शासक मालदेव ने हुमायूँ के पास जनवरी, 1541 में शेरशाह युद्ध में मदद का प्रस्ताव भिजवाया।

ये भी पढ़े –

  • बप्पा रावल के जीवन की पूरी जानकारी
  • महाराणा कुम्भा के जीवन की पूरी जानकारी
  • राणा सांगा के जीवन की पूरी जानकारी

सन् 1542 में मुग़ल शासक हुमायूँ शेरशाह के विरुद्ध राव मालदेव से मदद प्राप्त करने की उम्मीद में मारवाड़ आए और मार्ग में हुमायूँ तीन दिन देरावर के किले में रहे। लेकिन हुमायूँ के किसी ने कान भर दिए इसलिए वो वहाँ से मालदेव से मिले बिना ही सीधा अमरकोट चले गए। इतिहासकर इसको हुमायूँ की सबसे बड़ी भूलो में से मानते है। अगर उस दिन हुमायूँ और मालदेव की संधि हो जाती तो कन्नौज के युद्ध में हूमाँयु की हार ही नहीं होती।

कन्नौज के युद्ध में हूमाँयु के हारने के बाद दिल्ली सल्तनत पर शेरशाह सूरी का राज हो गया, जब शेरशाह दिल्ली की तख्त पर बैठा तब बीकानेर के राव दिल्ली गए और मालदेव विरुद्ध शेरशाह भरने शुरू कर दिए। क्युकी बीकानेर के राजा युद्ध में पहले ही राव मालदेव राठौड़ से हार गए थे तो वो अपने राज्य वापस प्राप्त करना चाहते थे। शेरशाह सूरी रावो के बहकावे में आकर मारवाड़ पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो गया।

1543 में शेरशाह सूरी अपने सेना को लेकर दिल्ली से निकला उसकी सेना में करीब 80 हजार सैनिक थे। वो अपनी सेना लेकर गिरी सुमेल के मैदान में आकर रुक गया। जब ये खबर मारवाड़ के तत्कालीन शासक राव मालदेव राठौड़ के पास पहुँची तो उन्होंने अपनी सेनापति सेना तैयार करने के लिए कहा। मालदेव अपनी सेना लेकर गिरी सुमेल के मैदान में पहुँचा।

इसके बाद दोनों सेनाएँ करीब एक महीने तक आमने सामने खड़ी रही, लेकिन युद्ध नहीं हुआ। इसके बाद शेरशाह ने एक चाल चली उसने स्वर्ण मुद्राओ के थैले मालदेव के सेनापतियो के शिविर रखवा दिए और झूठी खबर उड़ा दी कि कल के युद्ध में राव मालदेव राठौड़ के सेनापति शेरशाह सूरी की तरह से लड़ेंगे। जब इस बात का पता मालदेव को चला तो वो दंग रह गए। उन्होंने अपनी सेना जोधपुर की तरफ मोड़ दी।

लेकिन राव मालदेव राठौड़ के सेनापति जैता और कुम्पा अपने शिविर में उठे तो उनको पता चला कि उनके पीठ पीछे ये घटनाएँ घटित हो गई। वो चाहते तो वापस जा सकते थे। लेकिन उन्होंने युद्ध करने का फैसला किया। दोनों सेनाओं के बीच भयंकर युद्ध हुआ, इतिहासकार लिखते है कि गिरी – सुमेल के युद्ध में जैता – कुंपा ने इतनी बहादुरी से युद्ध लड़ा की शेरशाह की सेना कई किलोमीटर पीछे चली गई।

लेकिन शेरशाह की सेना मालदेव की सेना से काफी बड़ी थी। इस कारण से धीरे – धीरे राजपूत वीर अपनी मातृभूमि शहीद हो गए। अगर राव मालदेव राठौड़ अपने भ्रम के अंदर अपनी सेना को लेकर वापस जोधपुर की तरफ लेकर नहीं जाते तो इस युद्ध का परिणाम कुछ और ही होता।

इस तरह युद्ध गिरी सुमेल के युद्ध में राव मालदेव राठौड़ की हार हुई, इस युद्ध के बाद शेरशाह सूरी ने वापस कभी पलटकर जोधपुर की तरफ नहीं देखा।

Filed Under: Indian History Tagged With: Biography, Rajasthan History, Rajasthan Status

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Latest Posts

भूकंप किसे कहते है? (What is an Earthquake in Hindi?)

हिंदी दिवस पर निबंध (Hindi Diwas Essay in Hindi)

परोपकार पर निबंध (Essay on Paropkar in Hindi)

मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध (Meri Priya Pustak Essay in Hindi)

वृक्षारोपण पर निबंध (Vriksharopan Essay in Hindi)

दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi)

Essay On Peacock In Hindi – मोर पर निबंध

ताजमहल पर निबंध (Tajmahl Essay in Hindi)

होली पर निबंध (Holi Essay in Hindi)

ऑनलाइन शिक्षा का महत्व पर निबंध (Online Shiksha ka Mahatva in Hindi)

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in Hindi)

राजस्थान दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? (When and Why is Rajasthan Diwas Celebrated in Hindi)?

मेरे प्रिय नेता नरेंद्र मोदी पर निबंध (Essay on Narendra Modi in Hindi)

डायरी लेखन क्या है? डायरी कैसे लिखे? (Diary Lekhan in Hindi)

अनुच्छेद लेखन क्या है? अनुच्छेद लेखन कैसे लिखे? (Anuched Lekhan in Hindi)

Categories

  • Culture
  • Forts
  • Full Form
  • Geography
  • Hindi Grammar
  • Indian History
  • Polity
  • Rajasthan History
  • Rajasthan State
  • Review
  • Science
  • Spiritual
  • Technology
  • TUTORIAL
  • Uncategorized
  • Vadya Yantra

Footer

Pages

ABOUT US

CONTACT US

PRIVICY POLICIY

DISCLAIMER 

TERM & CONDITIONS

Copyright © 2022 · Magazine Pro on Genesis Framework · WordPress · Log in