प्रतिवेदन लेखन – हिंदी विषय पाठ्यक्रम के व्याकरण भाग में अलग-अलग कक्षाओं के लिए अलग-अलग तरह की लेखन विधाओं का समावेश किया जाता है। निबंध लेखन, विज्ञापन लेखन, लघु कथा लेखन, रिपोर्ताज, यात्रा वृत्तांत आदि ऐसी ही कुछ प्रसिद्ध लेखन विधियाँ हैं। आज की इस पोस्ट में हम प्रतिवेदन लेखन के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं। अगर आप भी प्रतिवेदन लेखन के बारे में संपूर्ण जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।
प्रतिवेदन लेखन क्या है? (What is Prativedan Lekhan in Hindi) :
प्रतिवेदन लेखन एक प्रकार से एक विस्तृत रिपोर्ट कही जा सकती है। प्रतिवेदन किसी मीटिंग, परीक्षण, सेमिनार या ऐसे ही किसी घटना का विस्तृत और व्यापक ब्यौरा होता है। प्रतिवेदन लेखन वास्तव में एक मीटिंग का शुरू से आखिर तक का सारा लेखा जोखा होता है। एक प्रतिवेदन पढ़कर आप किसी भी मीटिंग में प्रस्तुत लोगों का, मीटिंग की जगह, मीटिंग में की हुई बातें, दिए गए सुझावों और मीटिंग के निष्कर्ष का पता लगा सकते हैं। प्रतिवेदन लंबा और बहुत ही विस्तृत होता है।
प्रतिवेदन और रिपोर्ट में क्या अंतर है? (Difference Between Prativedan & Report in Hindi) :
प्रतिवेदन लेखन को और अधिक अच्छे से समझने के लिए प्रतिवेदन और रिपोर्ट के बीच का अंतर समझना बहुत ही जरूरी है। आप प्रतिवेदन और रिपोर्ट में निम्नलिखित अंतर देख सकते हैं
- प्रतिवेदन लंबा होता है और रिपोर्ट बहुत छोटी होती है।
- प्रतिवेदन सामान्यतः किसी मीटिंग, सेमिनार या वर्कशॉप के बाद ही प्रस्तुत की जाती है जबकि रिपोर्ट का क्षेत्र बहुत विस्तृत है।
- हर क्षेत्र की हर घटना का प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है लेकिन उसकी रिपोर्ट अवश्य बनाई जा सकती है।
- पुलिस मामलों में, अस्पताल के मामले, खेल जगत के समाचार से लेकर सरकार और कानून व्यवस्था तक की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है जो सामान्यतया हम अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में, टीवी पर और रेडियो पर सुनते हैं। जबकि प्रतिवेदन हमेशा लिखित प्रारूप में होता है जिसे मन से नहीं बनाया जा सकता है।
- रिपोर्ट लिखकर, बोलकर या पढ़कर तैयार की जा सकती है लेकिन प्रतिवेदन केवल पूरी निष्पक्षता के साथ लिखित रूप में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
- रिपोर्ट व्यक्तिगत तौर पर भी लिखी जा सकती है लेकिन एक प्रतिवेदन लिखने के लिए एक विशेष टीम या आयोग का गठन किया जाता है।
- रिपोर्ट में घटना की सिर्फ मुख्य बातों पर ही ध्यान केंद्रित किया जाता है जबकि प्रतिवेदन में हर छोटी से छोटी चीज़ का वर्णन स्पष्ट रूप से किया जाता है।
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प्रतिवेदन लिखते समय कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए?
प्रतिवेदन लेखन और रिपोर्ट में अंतर समझने के बाद प्रतिवेदन लिखते समय किन-किन चीजों और बातों का ध्यान रखना चाहिए इस पर चर्चा करते हैं। प्रतिवेदन लिखते समय किन किन बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी है वह इस प्रकार है –
- प्रतिवेदन का शीर्षक स्पष्ट होना चाहिए।
- घटना का स्थान, समय, उपस्थित लोगों की सूची और उनके पद और प्रतिवेदन लिखे जाने का स्थान स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए।
- प्रतिवेदन में लिखी गईं बातों को और विवरणों को बहुत ही स्पष्ट और सरल भाषा में लिखा जाना चाहिए।
- प्रतिवेदन की भाषा क्लिष्ट और भारी भरकम शब्दावलियों वाली नहीं होनी चाहिए।
- प्रतिवेदन को सुव्यवस्थित तरीके से क्रमबद्ध किया जाना चाहिए।
- जिस घटना पर प्रतिवेदन लिखा जा रहा है उसके सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं का समावेश हो जाना चाहिए।
- प्रतिवेदन बिंदुओं के रूप में लिखा जाए तो पढ़ने और समझने में आसानी होती है।
- प्रतिवेदन को लिखने वाले/वालों का मत प्रतिवेदन को लिखते समय ध्यान में नहीं रखा जाना चाहिए अपितु प्रतिवेदन को बहुत ही स्पष्टता, निष्पक्षता और विवेकशीलता के साथ लिखा जाना चाहिए।
- प्रतिवेदन लिखने वाले को अपनी इच्छा और किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया व्यक्त करने से बचना चाहिए।
प्रतिवेदन का महत्व (Important of Prativedan Lekhan in Hindi) :
प्रतिवेदन का मुख्य उद्देश्य घटना विशेष की संपूर्ण और सही सही जानकारी प्रदान करना है। जो घटना जिस क्रम में और जिस सटीकता के साथ हुई थी उसको उसी रूप में पेश करना ही प्रतिवेदन कहलाता है। प्रतिवेदन से हम उस घटना से जुड़ी सभी मुख्य बातों का ब्योरा रखने में सक्षम तो होते ही हैं साथ ही साथ भविष्य में उस घटना से संबंधित किसी भी तरह की जानकारी जुटाने में प्रतिवेदन बहुत ही मददगार साबित होता है।
भूतकाल की घटनाओं पर बनाए हुए प्रतिवेदन वर्तमान में उन घटनाओं की सत्यता और सार्थकता को सिद्ध करने में अपनी भूमिका निभाते हैं वहीं दूसरी तरफ लिखे हुए प्रतिवेदन को पढ़कर एक व्यक्ति उस घटना से जुड़ी अपनी मानसिकता को सही दिशा में मोड़ सकता है। प्रतिवेदन को लिखते समय छल कपट जैसी भावना रखकर संपूर्ण निष्ठा और पारदर्शिता का परिचय दिया जाता है जिसकी वजह से प्रतिवेदन साक्ष्य का एक बहुत ही ठोस अंग बन जाते हैं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रतिवेदन लेखन ना सिर्फ साहित्य का बल्कि आम जीवन में काम आने वाली भी एक महत्वपूर्ण लेखन विधि है। वर्तमान समय में प्रतिवेदन लेखन की आवश्यकता और इसका महत्व बढ़ा ही है जिसकी वजह से छात्रों को प्रतिवेदन लेखन और इससे जुड़ी सभी जानकारियां देने के लिए इसे व्याकरण की एक इकाई की तरह विद्यालयों में पढ़ाया जाता है।
प्रतिवेदन लिखना सीखने के बाद छात्र परीक्षा में बहुत ही अच्छे तरीके से प्रतिवेदन लिख पाने में सक्षम तो होते ही हैं साथ-साथ सामान्य जीवन में भी पत्र पत्रिकाओं में छपने वाले प्रतिवेदनों को पढ़कर हम अपनी विवेकशीलता और घटना के प्रति अपना निष्पक्ष मत बना पाने में सफल हो जाते हैं। इसलिए आधुनिक समय में प्रतिवेदन लिखना और लिखवाना एक बहुत ही महत्वपूर्ण विधा का रूप ले चुकी है। हमें आशा है कि यह पोस्ट पढ़ने के बाद आप ही प्रतिवेदन लेखन में पारंगत हो जाएंगे।
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