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भारत की सभी पंचवर्षीय योजनाओं की सूची (Panchvarshiya Yojana in Hindi)

Panchvarshiya Yojana – एक अप्रैल, उन्नीस सौ इक्यावन से भारत की प्रथम पंचवर्षीय योजना की शुरूआत की गई थी। इसके बाद पंचवर्षीय योजनाओं की एक श्रृंखला भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ की गई। वर्तमाम में इसके अध्यक्ष भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी हैं और श्री राजीव कुमार इसके उपाध्यक्ष हैं।

पंचवर्षीय योजनाएँ क्या है? (What is Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

पंचवर्षीय योजना उस कार्यक्रम को कहते हैं जिसे भारत के प्रधानमंत्री, योजना आयोग, जिसे 2017 के बाद से नीति आयोग के नाम से जाना जाता है, की मदद से प्रत्येक पांच वर्ष के लिए लागू करते हैं। भारतीय संविधान के कई दूसरे पहलुओं की तरह ही पंचवर्षीय योजना को उस समय के अविभाजित सोवियत संघ रूस के संविधान से अपनाया गया था। भारत का प्रधानमंत्री इस आयोग का पदेन अध्यक्ष होता है और योजना आयोग जिसे अभी हम नीति आयोग के नाम से जानते हैं, में प्रधानमंत्री के बाद एक उपाध्यक्ष होता है जो भारत के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं को लागू करवाते हैं। भारत में अभी तक बारह पंचवर्षीय योजनाएं लागू हो चुकी हैं।

प्रथम पंचवर्षीय योजना (Pratham Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

पहली पंच वर्षीय योजना कई मायनों में अहम थी। भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में इसका उद्घाटन किया गया था। इसकी पंच लाइन थी ‘कृषि का विकास’।

इस योजना के प्रमुख लक्ष्य इस प्रकार थे :

  • शरणार्थियों का पुनर्वास
  • खाद्यान्नों और अनाज के मामले में जल्द से जल्द आत्मनिर्भरता
  • मुद्रास्फीति पर नियन्त्रण
  • सर्वांगीण राष्ट्रीय विकास
  • राष्ट्रीय आय के लगातार बढ़ने का आश्वासन
  • इस योजना में कृषि को प्राथमिकता दी गई।

ये भी पढ़े –

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द्वितीय पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

प्रो. पी. सी. महालनोबिस के बनाये हुए मॉडल पर आधारित इस योजना का लक्ष्य भारत में तीव्र औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देना था। इसके लिए भारत सरकार ने भारी तथा प्राथमिक उद्योगों पर सबसे ज़्यादा ध्यान दिया। इन आधारभूत उद्योगों यानी लोहा और इस्पात, अलौह धातुओं, भारी रसायन, भारी इंजीनियरिंग और मशीन-निर्माण उद्योगों को बढ़ावा देने का एक प्लान बनाया गया। इसी योजना के अंतर्गत पांच नए स्टील प्लांट्स का भी शुभारम्भ किया गया।

तीसरी पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

तीसरी योजना के साथ भारत सरकार ने अपना लक्ष्य आत्मनिर्भर एवं स्वयं-स्फूर्ति अर्थव्यवस्था की स्थापना करना रखा। इस योजना ने खेती को सबसे ज़्यादा प्राथमिकता प्रदान की, इसके साथ ही बुनियादी उद्योगों के विकास पर भी ज़ोर दिया ताकि तीव्र आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

तीन वार्षिक योजनाएँ (1966-1969)

वर्ष उन्नीस सौ पैंसठ में भारत-पाकिस्तान युद्ध से पैदा हुई स्थिति, दो साल तक लगातार भीषण सूखा पड़ने, रुपये के अवमूल्यन होने और बढ़ी हुई महंगाई और योजना उद्देश्यों के लिए संसाधनों में कमी की वजह से चौथी योजना को लागू करने में देरी हुई। इसलिए चौथी पंच वर्षीय योजना की जगह 1966 से 1969 तक तीन वार्षिक योजनाएँ बनाई गई। इस अवधि को ‘योजना अवकाश’ कहा गया है।

चौथी पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

चौथी योजना के मूल उद्देश्य इस प्रकार थे :

  • स्थिरता
  • आर्थिक विकास
  • त्मनिर्भरता की प्राप्ति।
  • चौथी योजना में राष्ट्रीय आय को 5.5% वार्षिक औसत वृद्धि दर के साथ हासिल करने का लक्ष्य रखा। बाद में इसमें सामाजिक न्याय के साथ विकास और ‘गरीबी हटाओ’ भी जोड़ा गया।

पाँचवीं पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

इस योजना के दो सबसे बड़े उद्देश्य थे – गरीबी उन्मूलन और आत्मनिर्भरता की प्राप्ति। इसके लिए रोज़गार बढ़ाने और बचत दर में महत्त्वपूर्ण वृद्धि करने की नीति को अपनाया गया। मार्च, 1978 में जनता पार्टी की सरकार ने चार वर्षों के बाद पाँचवीं योजना को समाप्त कर दिया।

छठी पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

छठी योजना को दो बार तैयार किया गया था। जनता पार्टी ने ‘अनवरत योजना’ बनाई।।

छठी योजना के मुख्य बिंदु इस प्रकार है :

  • खेती और इससे जुड़े क्षेत्रों में रोजगार
  • लघु और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा
  • न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम द्वारा निम्नतम आय वर्गों की आय को बढ़ावा आदि। छठी योजना (1980-85) जिसका लक्ष्य एक बढ़ती अर्थव्यवस्था में गरीबी की समस्या पर सीधा प्रहार करना था।

सातवीं पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

सातवीं योजना में अनाज की पैदावार बढ़ाने, रोजगार के क्षेत्रों का विस्तार करने और उत्पादकता को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों पर ज़ोर दिया गया।

आठवीं पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

केन्द्र सरकार में राजनैतिक उठापटक की वजह से यह योजना दो साल की देरी से शुरू की गयी। आठवीं योजना को उस समय अपनाया गया था जब देश में भारी आर्थिक संकट चल रहा था।।

इसके कारण थे-

  • भुगतान के सन्तुलन का संकट
  • बढ़ता हुआ ऋण भार
  • लगातार बढ़ता बजट
  • घाटा बढाती हुई मुद्रास्फीति और उद्योग में प्रतिसार। नरसिंह राव सरकार ने इन समस्याओं से निपटने के साथ राष्ट्रीय आय को बढ़ाने पर भी ज़ोर दिया।
  • विभिन्न पहलुओं में मानव विकास इस योजना का मूल था।

नौवीं पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

इसमें विकास का पन्द्रह वर्ष का खाका शामिल किया गया। इस योजना का प्रमुख लक्ष्य ‘वृद्धि के साथ सामाजिक न्याय और समानता’ था। नौवीं योजना के उद्देश्य इस प्रकार हैं :

  • नौवीं योजना में सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GDP) के 6.5% के लक्ष्य के बजाय केवल 5.4% ही रही। इसलिए नौवीं योजना जीडीपी वृद्धि के लक्ष्य को हासिल करने में नाकामयाब रही।
  • नौवीं योजना में कृषि में वृद्धि दर के 3.9% के लक्ष्य की जगह वास्तविक उपलब्धि केवल 2.1% रही।
  • विनिर्माण क्षेत्र में भी उपलब्धि 3.9% रही, जबकि इसका लक्ष्य 8.2% था।

दसवीं पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

इस योजना में पहली बार राज्यों को शामिल किया गया था। इस योजना में एक राष्ट्रीय विकास दर के विपरीत राज्यवार विकास योजना के मॉडल को अपनाया गया।पहली बार आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक लक्ष्यों को भी इसमें शामिल किया गया।

दसवीं योजना के लक्ष्य इस प्रकार हैं :

  • इस योजना के दौरान जीडीपी में वृद्धि दर 8% पहुँची।
  • निर्धनता अनुपात को 2007 तक कम करके 20% और वर्ष 2012 तक कम करके 10% तक लाने का लक्ष्य
  • वर्ष 2007 तक प्राथमिक शिक्षा को देश के हर कोने में लागू करवाना।
  • वर्ष 2001 और 2011 के बीच जनसंख्या की दसवर्षीय वृद्धि दर को 16.2% तक कम करने का लक्ष्य रखा गया।
  • साक्षरता में वृद्धि 2007 तक 72% और वर्ष 2012 तक 80% करना।
  • वर्ष 2007 तक वनों से घिरे क्षेत्र को 25% और वर्ष 2012 तक 33% तक बढ़ाना।
  • वर्ष 2012 तक पीने योग्य पानी की पहुँच सभी गांवो में तक करना। सारी बड़ी नदियों को वर्ष 2007 तक और बाकी जल क्षेत्रों को वर्ष 2012 तक साफ करवाना।

ग्यारहवें पंचवर्षीय योजना (2007-2012) (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

  • जीडीपी वृद्धि दर को 8% से बढ़ाकर 10% करना और इसे बारहवीं योजना के दौरान 10% तक स्थिर रखना ताकि 2016-17 तक प्रति व्यक्ति आय को दोगुना किया जा सके।
  • कृषि आधारित वृद्धि दर को 4% प्रतिवर्ष तक बढ़ाना।
  • रोजगार के सत्तर लाख नए अवसर पैदा करना।
  • साक्षर बेरोजगारी की दर को 5% से नीचे लाना।
  • 2011-12 तक प्राथमिक स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की दर में 2003-04 के 52.2% के मुकाबले 20% की कमी करना।
  • सात वर्षीय या अधिक के बच्चों व व्यक्तियों की साक्षरता दर को 85% तक बढ़ाना।
  • वर्ष 2009 तक सभी के लिए पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना।
  • 0-3 वर्ष की आयु में बच्चों के बीच कुपोषण के स्तर में वर्तमान के मुकाबले 50% तक की कमी लाना। लिंग अनुपात को बढ़ाकर 2011-12 तक 935 व 2016-17 तक 950 करना।
  • सभी गाँवों तक बिजली पहुँचाना। नवम्बर, 2007 तक प्रत्येक गाँव में टेलीफ़ोन सुविधा मुहैया कराना।
  • देश के वन क्षेत्र में 5% की वृद्धि करना।

बारहवीं पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana in Hindi) :

  • बारहवीं पंचवर्षीय योजना की विषय-वस्तु त्वरित सतत् और संशोधित और अधिक समावेशी विकास की है।
  • इसमें औसत विकास दर 9% निर्धारित की गई है। जिसे संशोधित करके 8.2% कर दिया गया है।
  • कृषि उद्योग तथा सेवा क्षेत्र में विकास दर 9.6 एवं 10% निर्धारित की गई है।
  • निवेश दर तथा बचत दर कुल जीडीपी के क्रमश: 38.7 तथा 36.2% निर्धारित की गई है।
  • बारहवीं योजना में थोक मूल्य सूचकांक में औसत वार्षिक वृद्धि दर 4.5 से 5% तक निर्धारित की गई है। औसत राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी के 3.25% तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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