नारी शिक्षा – आधी आबादी कहे जाने वाली महिलाओं को परिवार की धुरी कहा जाता है। एक महिला जिस तरीके से अपने परिवार का भरण पोषण करती है, और अपने परिवार के सदस्यों के हर क्षेत्र का ख्याल रखती है, उससे यही कहा जा सकता है कि दुनिया का कोई भी पुरुष एक महिला की जगह नहीं ले सकता।
हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथों में भी महिला की महानता को स्वीकार करते हुए कहा गया है कि वह जगह जहां पर नारियों को सम्मान दिया जाता है, उस जगह पर देवताओं की कृपा हो जाती है। महिलाओं के इसी भागीदारी के महत्व को समझने के लिए आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आए हैं, नारी शक्ति पर निबंध। इस निबंध को पढ़ने के बाद आप भी यह जान जाएंगे कि महिलाओं की शिक्षा कितना महत्वपूर्ण समाजिक समस्या है और इसे कैसे सुलझाया जा सकता है।
नारी शिक्षा पर निबन्ध की प्रस्तावना (Nari Shiksha Essay in Hindi) :
नारी इस मानव सभ्यता की रचनाकार है। एक नारी ही सच्चे अर्थों में अपने घर की और समाज की धुरी होती है। भारत के प्राचीन इतिहास की बात करें तो वैदिक काल के दौरान नारियों की स्थिति सबसे अच्छी अवस्था थी। वैदिक काल में महिलाओं को संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया था। वैदिक काल की नारियों को वेद पढ़ने और शास्त्रार्थ करने की भी छूट दी गई थी, लेकिन वैदिक काल के खत्म होते होते भारतीय समाज में स्थितियां बदलने लगी।
मुगल काल तक आते-आते नारियों की स्थिति सबसे दयनीय अवस्था में पहुंच गई। मुगल काल के दौरान नारियों को सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित रहने के लिए कहा गया। इस समय तक भारत में कुछ सामाजिक बुराइयां भी अपना विकराल रूप धारण कर चुकी थी। जिसमें बाल विवाह पर्दा प्रथा और सती प्रथा शामिल है।
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नारी शिक्षा की आवश्यकता (Need of Nari Shiksha in Hindi) :
इन सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए 19वीं शताब्दी में कई आंदोलन चलाए गए। जिसमें नारी शिक्षा को प्रमुख शिक्षा पर सबसे ज्यादा बल दिया गया। महिलाओं की शिक्षा की बात एक बार फिर से उठने लगी, और भारत के कई बड़े नेताओं ने नारियों की शिक्षाओं के लिए भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में स्कूल और कॉलेज खुलवाएं।
लेकिन फिर भी नारियों की दशा में सुधार बहुत धीमी गति से चलता रहा, भारत के आजादी के बाद नारी शिक्षा और समाज में इनके उत्थान के लिए कई सारी योजनाएं चलाई गई। भारत में आज भी पुरुषों और स्त्रियों के लिंगानुपात में बहुत ज्यादा अंतर दिखाई देता है। वहीं दूसरी तरफ साक्षरता दर भी पुरुषों की तुलना में कम है।
इतिहास पर गौर करें तो हमें सशक्त महिलाओं के पात्र बहुत थोड़े मिलते हैं लेकिन औरतों ने अपने हक नारी शिक्षा के लिए लड़ कर अपने स्थिति में सुधार किया है। पहले जहां परिवार अपने घर की लड़कियों को स्कूल भेजने से मना कर देते। वही आज आलम यह है कि हर घर की बेटियां स्कूल जाकर पड़ती है।
नारी शिक्षा का महत्व (Important of Nari Shiksha in Hindi) :
भारत में नारी शिक्षा पर अभी भी बहुत काम करना बाकी है। भारत की धीमी विकास दर इस बात का प्रमाण है, कि यहां का समाज किसी भी तरह के बदलाव को बहुत जल्दी ग्रहण कर पाने में परेशानी का सामना करता है। एक और शिक्षित महिला अपने बच्चों को शिक्षा का महत्व नहीं समझा पाएगी। जिस वजह से उसकी आने वाली पीढ़ी भी शिक्षा के महत्व को जानने से वंचित रह जाएगी। एक पढ़ी लिखी नारी ना सिर्फ अपना, लेकिन अपने परिवार का भी विकास करती है।
एक पढ़ी-लिखी नारी उच्च विचारों वाली और समाज में बदलावों को प्रेरणा देने वाली होती है। भारत के आजादी के आंदोलन में भी लाखों नारियों ने अपना योगदान देकर यह सिद्ध किया कि औरत को सिर्फ घर के काम करने तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए। भारत के 90% से भी ज्यादा राज्य में नारी शिक्षा दर पुरुष साक्षरता दर से कई गुना कम है। इस बात की ओर संकेत करता है कि ग्रामीण इलाकों में आज भी लड़कियों की शिक्षा पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाता है।
भारत में हमेशा ही नारियों का दमन और शोषण हुआ है। विधवा पुनर्विवाह के नाम पर, दहेज प्रथा के नाम पर, सती प्रथा के नाम पर, घुंघट या पर्दा प्रथा के नाम पर, औरत को हमेशा पुरुषों से कमजोर और कमतर ही आंका गया है। लेकिन एक औरत सामर्थ्य और बुद्धिमानी में किसी भी पुरुष से कमतर नहीं होती है।
वर्तमान समय में नारी शिक्षा की स्थिति (Condition of Nari Shiksha in Hindi) :
वर्तमान में नारी शिक्षा की स्थिति, वर्तमान समय में नारियों के प्रति दृष्टिकोण में काफी हद तक बदलाव देखने को मिलता है। वर्तमान समय में कोई भी अपनी बेटियों को पढ़ने से मना नहीं करता है। नारियों ने हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और अपने ज्ञान से अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, वसुंधरा राजे, कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स आदि कुछ ऐसे हैं।
जिन्होंने अपने समाज से जुड़े पूर्वाग्रहों से लड़कर अपना अलग मुकाम बनाया। उन्नति और प्रगति चाहे किसी भी दिशा में हुआ हो या चाहे जीवन जीने की कला हर क्षेत्र में नारियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। इस प्रकार नारियों ने प्राचीन काल की तुलना में बहुत प्रगति कर ली है। लेकिन यह प्रगति केवल शहरों तक ही सीमित है। गांव में आज भी बाल विवाह का प्रचलन है, ऐसे में नारियों की स्थिति और भी दयनीय हो जाती है।
एक और आश्रित नारी कभी भी अपना और अपने परिवार का विकास नहीं कर पाती है। इसलिए भारत सरकार ने नारियों के उत्थान के लिए कई सारी योजनाएं चला रखी हैं।
नारी शिक्षा पर निबन्ध निष्कर्ष (Nari Shiksha Essay in Hindi) :
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत में नारी की स्थिति को ज्यादा अच्छी नहीं कही जा सकती है नारी के शिक्षित होने से समाज समाज के बाकी वर्गों को भी शिक्षित होने की प्रेरणा मिलती है शिक्षित नारी समाज में कई बदलाव लाने के लिए प्रयासरत रहती है। अपनी संतानों को भी अच्छी शिक्षा दिलवाकर एक नारी देश के विकास में अपना सहयोग देती है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि एक शिक्षित नारी समाज की दूरी होती है
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