नागौर का किला – राजस्थान अपने गौरवशाली इतिहास के लिए जितना जाना जाता है उतना ही अपनी स्थापत्य कला और ऐतिहासिक इमारतों के लिए भी समान रूप से मशहूर है। राजस्थान के किलों के बारे में जानने के लिए हम राजस्थानी किलों पर पोस्ट्स की एक श्रंखला बनाने जा रहे हैं जिसकी पहली कड़ी में हम आपके लिए लेकर आए हैं नागौर का किला। इस पोस्ट में हम नागौर दुर्ग से जुड़ी सभी तरह की जानकारी को देने की कोशिश करेंगे। हमें आशा है कि यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही ज्ञानवर्धक साबित होगी।
नागौर का किला (Nagaur Fort in Hindi) :
नागौर का किला, नाग दुर्ग और अहिच्छत्रपुर दुर्ग के नाम से भी जाता है।
नागौर दुर्ग धान्वन दुर्ग और भूमि दुर्ग दोनों तरह का है। धान्वन दुर्ग ऐसा किला होता है जो रेगिस्तान में बनाया गया हो और दूर-दूर तक जिसके चारों तरफ रेत के टीले हों। कँटीले झाड़ झंखाड़ और उबड़ खाबड़ जमीनों से घिरा दुर्ग धान्वन दुर्ग कहलाता है। सीधी और समतल ज़मीन पर बनाये गए दुर्ग को भूमि दुर्ग कहा जाता है।
नागौर दुर्ग का इतिहास (Nagaur Fort History in Hindi) :
राजस्थानी ख्यात साहित्य के अनुसार राजा सोमेश्वर के सामन्त कैमास ने विक्रम संवत बारह सौ ग्यारह में इस किले की नींव रखी थी। इस नाग दुर्ग को वीर अमर सिंह राठौड़ के शौर्य और बलिदानी कहानियों की वजह से राजस्थान के इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान मिला हुआ है।
नागौर किला अपने शुरुआती सालों में नाग वंश के राजाओं के अधिकार में था जिन्हें बाद में परमार वंश के शासकों ने युद्ध में हरा दिया था और इसके बाद यहां पर परमार वंश का राज्य स्थापित हो गया। पुराने समय में नागौर और इसके आसपास का इलाका जांगल क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। इस इलाके के नज़दीक होने की वजह से ही बीकानेर के शासक को जांगलधर बादशाह के नाम से जाना गया।
राजस्थान के कुछ प्रमुख इतिहासकारों का मानना है कि शाकंभरी के चौहानों की शुरुआती राजधानी भी अहिच्छत्रपुर ही हुआ करती थी जिसे हम आज नागौर के नाम से जानते हैं। बिजोलिया से मिले विक्रम संवत बारह सौ छब्बीस के एक शिलालेख में भी यह उल्लेख मिलता है कि शाकम्भरी के चौहान वंश के पूर्वज इसी अहिच्छत्रपुर के ही शासक हुआ करते थे।
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नागौर दुर्ग के ऐतिहासिक साक्ष्य (Historical Evidences of Nagaur Fort in Hindi) :
तबकात-ए-नासिरी और तारीख-ए- फ़रिश्ता के अनुसार विक्रम संवत ग्यारह सौ पिचहत्तर (हिजरी सन् पन्द्रह सौ बारह) में गजनी के बादशाह बहराम शाह ने हिंदुस्तान के कुछ इलाकों को जीतकर मोहम्मद बाहलीन को यहां का गवर्नर नियुक्त किया था। कुछ वक्त के बाद बाहलीन ने गजनी के सुल्तान के खिलाफ विद्रोह कर दिया और खुद को आश्रय देने के लिए ईसी ने नागौर के दुर्ग का निर्माण करवाया था।
बाहलीन शाह ने ही नागौर के इलाके के चारों तरफ एक परकोटे का भी निर्माण करवाया था। कर्नल जेम्स टॉड और डॉक्टर दशरथ शर्मा जैसे इतिहासकारों ने भी नागौर पर मुहम्मद बाहलीन के अधिकार को ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर सही माना है।
नागौर दुर्ग की विशेषता (Features of Nagaur Fort in Hindi) :
नागौर का किला मध्यकाल में सामरिक महत्व की दृष्टि से बहुत ज्यादा अहमियत रखता था क्योंकि नागौर का किला जिंद से दिल्ली जाने वाली रास्ते पर ही पड़ता था। मोहम्मद ग़ौरी ने पृथ्वीराज चौहान तृतीय को तराइन की दूसरी लड़ाई में हराने के बाद नागौर दुर्ग पर अपना अधिकार कर लिया था।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थापित कीर्ति स्तम्भ प्रशस्ति से यह पता चलता है कि महाराणा कुम्भा ने चौदह सौ सड़सठ में इस किले पर अपना अधिकार कर लिया। इस दुर्ग में एक हनुमान मूर्ति थी जिसे महाराणा कुंभा ने कुंभलगढ़ दुर्ग में स्थापित करवाया था। मुगल बादशाह अकबर ने भी इस नागौर फोर्ट में एक दरबार लगाया था जिसमें राजस्थान के कई राजाओं ने उनकी अधीनता में राज्य करना स्वीकार किया था।
लेकिन नागौर का किला सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुआ राजस्थान के वीर शिरोमणि अमर सिंह राठौर के पराक्रम की वजह से। अमर सिंह राठौड़ जोधपुर के महाराजा गजसिंह के बड़े बेटे थे। ये अपने गुस्सैल स्वभाव की वजह से जाने जाते थे। इनके इसी स्वभाव की वजह से ही इनके पिता महाराजा गजसिंह ने इन्हें राजगद्दी सौंपने से मना कर दिया था और इनकी जगह पर राजकुमार जसवंत सिंह को जोधपुर का नया उत्तराधिकारी बना दिया था। मुगल बादशाह शाहजहां ने इनकी वीरता से खुश होकर इन्हें नागौर की जागीर भेंट स्वरूप दी थी।
इसके बाद अमर सिंह राठौड़ ने शाहजहां के आगरा दरबार में एक फौजी बक्शी सलावत खान को अपनी कटार से मौत के घाट उतार दिया था क्योंकि उसने अमर सिंह को गँवार कह दिया। कुछ समय के बाद नागौर का किला जोधपुर के राजा अभय सिंह के भाई बखतसिंह को एक जागीर के रूप में दिया गया जिन्होंने इस दुर्ग का जीर्णोद्धार करवाया। बखतसिंह के काल में नागौर के किले का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ गया था और नागौर उस समय राजस्थान में कला का एक प्रमुख केंद्र बन गया। बखतसिंह के बाद ज़्यादातर वक़्त इस दुर्ग पर राठौड़ वंश के राजाओं ने ही अपना शासन बनाए रखा।
नागौर दुर्ग का स्थापत्य (Architecture of Nagaur Fort in Hindi) :
- नागौर का किला दौहरे परकोटे से घिरा हुआ है।
- नागौर दुर्ग में अट्ठाइस विशाल बुर्ज़ों का निर्माण करवाया गया था।
- नागौर दुर्ग में छह विशाल द्वार बनाए गए हैं जिन्हें क्रमशः सिराई पोल, बिचली पोल, कचहरी पोल, सूरज पोल, धूली पोल और राज पोल कहा जाता है।
- नागौर का किला चारों तरफ से एक गहरी खाई से घिरा हुआ है जिसमें हमेशा पानी भरा रहता है
- नागौर दुर्ग के स्थापत्य की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इस दुर्ग के बाहर से जितने भी तोप के गोले दागे गए थे यह वह इस दुर्ग में बनाए गए महलों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए इसके ऊपर से ही निकल जाते थे। नागौर फोर्ट में शीश महल और बादल महल जैसे अति सुंदर महलों को बनवाया गया है।
- इन महलों में बनाए गए भित्ति चित्र देखते ही बनते हैं।
- नागौर फोर्ट के दूसरे और तीसरे प्रवेश द्वार के बीच का हिस्सा ‘घूघस’ कहलाता है।
- नागौर दुर्ग में एक बहुत ही सुंदर फव्वारा है जिस पर उकेरे गए एक शिलालेख से पता चलता है कि इस फव्वारे का निर्माण मुगल सम्राट अकबर के द्वारा करवाया गया था।
- नागौर का किला रेगिस्तान में धोरों के बीच में बना है इसलिए यहां साल भर पानी की कमी से बचने के लिए यहां पर कई सारे टांकों और कुओं का निर्माण करवाया गया था।
नागौर फोर्ट कैसे पहुंचे? (How to Reach Nagaur Fort in Hindi?) :
अगर आप नागौर का किला घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आप यहां पहुँचने के लिए बस से आ सकते हैं। अगर आप फ्लाइट से नागौर पहुँचना चाहते हैं तो यह आपके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि नागौर तक आपको देश के बाकी इलाकों से सीधी फ्लाइट नहीं मिलेगी। फ्लाइट से आने के लिए आपको जोधपुर एयरपोर्ट उतरना पड़ेगा जो नागौर से 125 किलोमीटर दूर है। अगर आप ट्रैन से आना चाहते हैं तो आपको सबसे नज़दीकी नागौर रेलवे स्टेशन उतरना पड़ेगा जो नागौर फोर्ट से दस मिनट की दूरी पर स्थित है।
नागौर का किला किसने बनाया?
नागौर का किला मुहम्मद बाहलीन ने बनाया।
नागौर फोर्ट घूमने का समय क्या है?
नागौर फोर्ट घूमने का समय सुबह 08:00 से दोपहर एक बजे तक और फिर 02:30 से लेकर शाम के पांच बजे तक आप नागौर का किला घूम सकते हैं।
नागौर फोर्ट का प्रवेश शुल्क क्या है?
नागौर फोर्ट का प्रवेश शुल्क मात्र पन्द्रह रुपये प्रति व्यक्ति (भारतीय नागरिक) और पचास रुपये प्रति व्यक्ति (विदेशी पर्यटक) रखी गयी है।
जोधपुर से नागौर पहुँचने में कितना समय लगेगा?
जोधपुर एयरपोर्ट से कैब करने पर आप लगभग ढाई घंटों में नागौर पहुँच जाएंगे।
ट्रैन से नागौर कैसे पहुंचे?
ट्रैन से नागौर फोर्ट जाने के लिए आप को सबसे नजदीकी नागौर रेलवे स्टेशन पर उतरना पड़ेगा जहां से आप रिक्शा लेकर 10 मिनट में नागौर फोर्ट पहुंच सकते हैं।
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