भारत के प्रमुख दर्रे – हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएं भारत की उत्तरी सीमा बनाती हैं। हिमालय पर्वत भारत की लगभग सभी प्रमुख बारहमासी नदियों का उद्गम स्थल है। हिमालय की पर्वत श्रृंखलाएं जितनी सुरम्य हैं उतनी ही अगम्य भी हैं। और इन्हीं हिमालयी पर्वतों में पाए जाते हैं दर्रे। आज की इस पोस्ट में हम भारत के प्रमुख दर्रे कौन कैन से हैं? और इनकी विशेषताओं के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। हमें आशा है कि आपको हमारी यह भारत के प्रमुख दर्रे पोस्ट बहुत ही ज्ञानवर्धक और रोचक लगेगी।
दर्रा किसे कहते हैं? (What is Mountain Passes in Hindi) :
ऊंचे ऊंचे पहाड़ों और पर्वत श्रृंखलाओं के बीच से गुज़रने वाले पतले रास्ते को दर्रा कहते हैं। प्राकृतिक रूप से बनने वाले ये दर्रे लोगों को, जानवरों को यहां से गुज़रने की सुविधा प्रदान करते हैं। पहाड़ों के बीच से नदी के बहने, चट्टानों के दरकने, ग्लेशियरों के पिघलने, बारिश के बहते पानी की वजह से भी दर्रों के निर्माण में सहायता मिलती है।
कभी कभी एक दर्रा एक सतत पर्वत श्रृंखला के दोनों तरफ की घाटियों को आपस में जोड़कर एक सीधा रास्ता भी बना देता है जो उस पर्वत श्रृंखला को पार करने में मददगार साबित होता है। पर्वत श्रृंखलाएं जब बिना अंतराल की और लगातार होती हैं तब दर्रों की आवश्यकता उनके बीच से रास्ता बनाने के काम में आती है। प्राचीन काल में ये दर्रे व्यापारियों, तीर्थ यात्रियों और एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के लिए मुख्य रूप से काम में लिए जाते थे। भारत के व्यापारी चीन, तिब्बत और उत्तरी पूर्वी देशों तक जाने के लिए इन दर्रों का बहुतायत में इस्तमाल करते थे।
पहाड़ की चोटी की सबसे ऊपरी और ज़बरदस्त संकरी ‘रिज’ पर से होकर चलना काफी चुनौती भरा हो सकता है खास कर तब जब आप अकेले नहीं होते क्योंकि एक रिज पहाड़ के सबसे ऊंचे भाग पर स्थित होती है लेकिन एक दर्रा पहाड़ के बीच या कम ऊंचाई पर होने के साथ ही आपको आराम से लश्कर के साथ भी चलने का मार्ग उपलब्ध कराता है।
एक दर्रा एक रिज जिसे कटक भी कहा जाता है, से कई गुना चौड़ा होता है। पर्वत श्रृंखलाओं के बीच से गुज़रते वक़्त आपको एक से ज़्यादा दर्रे देखने को मिल सकते हैं। पहाड़ी दर्रे दो देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा बनाने वाले पर्वत श्रृंखलाओं के बीच भी दर्रे मिलना आम बात है। उदाहरण के लिए रॉकी पर्वत पर पाया जाने वाला ‘इंडिपेंडेंस दर्रा’ या एंडीज पर्वतमाला का कर्नल दे आईइसरिन दर्रा।
भारत के दक्षिण के प्रायद्वीपीय पठार के दोनों तरफ पाए जाने वाले पश्चिमी घाट और पूर्वी घाटों में भी कई छोटी छोटी पर्वत श्रृंखलाएँ हैं जिनमें कोई भी पहाड़ी दर्रा नहीं पाया जाता है क्योंकि पूर्वी घाट में पाए जाने वाले पर्वतों की श्रृंखलाएं सतत नहीं है।
भारत में कितने दर्रे हैं? (How Many are There Mountain Passes in Hindi?) :
भारत में प्रमुख दर्रे कितने हैं ?और कहां स्थित है? इसकी सम्पूर्ण जानकारी हम आपको नीचे प्रोवाइड करवा रहे हैं :
अंग्रेज़ी भाषा में दर्रों को ‘पास’ (Pass) कहा जाता है जीका अर्थ होता है ‘से गुज़रना’। भारत में पहाड़ी दर्रों को एक विशिष्ट नाम से पुकारा जाता है जिन्हें ‘ला’ (La) कहते हैं। ‘ला’ तिब्बती भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है ऐसा रास्ता जो पहाड़ों के बीच से होकर निकलता हो। यही वजह है कि भारत में पाए जाने वाले सभी प्रमुख दर्रे और उनके नाम के साथ ‘ला’ शब्द जुड़ा हुआ है।
भारत के प्रमुख दर्रे और उनका वर्गीकरण आसान बनाने के लिए हमने उनको सबसे ऊंचे से लेकर सबसे छोटे दर्रे में बांटा है जिससे आपके लिए उनको याद करना सरल हो जाएगा। हमने भारत के प्रमुख दर्रे उनकी ऊंचाई की तरफ वर्गीकृत किया है। हमें आशा है आपको समझने में आसानी होगी।
भारत के सात ज़िलों में दर्रे पाए जाते हैं। विश्व के सभी प्रमुख बड़े और ऊँचे दर्रे हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में ही पाए जाते हैं जो कि भारत के लिए बहुत ही गर्व की बात है।
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भारत के प्रमुख दर्रे (Mountain Passes in India in Hindi) :
- कालिंदी पास : यह गस्तौली और गंगोत्री घाटियों को जोड़ता है। इसे गढ़वाली हिमालय का सबसे प्रसिद्ध ट्रैकिंग पार्क भी कहा जाता है। इस दर्रे में बहुतायत में ग्लेशियर पाए जाते हैं जो कि बहकर गंगोत्री में मिलते हैं और गंगा नदी का स्त्रोत बनते हैं। 5950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पास एक प्रसिद्ध ट्रेकिंग पॉइंट है।
- उमलिंग ला : 5900 मीटर की विशाल ऊंचाई पर हिमालय का एक ऊंचा पर्वतीय दर्रा है। इस दर्रे में भारत के सीमा सड़क संगठन द्वारा दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल यानी वाहन चलाने योग्य सड़क का निर्माण करवाया गया है। यह दर्रा लदाख में स्थित है।
- मुलिंग ला: 5669 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित या दर्रा भारत को तिब्बत से जोड़ता है।
- सिन ला : 5495 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा उत्तराखंड कि पिथौरागढ़ जिले के के कुमाऊं पहाड़ियों में स्थित है।
- बिलाफोंड ला : यह दर्रा विशाल सियाचिन ग्लेशियर के पश्चिम में स्थित एक विशाल पहाड़ी दर्रा है। 5450 मीटर ऊंचाई वाला यह दर्रा भारत और चीन को जोड़ने वाले प्राचीन रेशम मार्ग पर पड़ता था।
- चांग ला दर्रा : 5360 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख की पहाड़ियों को श्योक नदी से जोड़ता है। यहां पर दुनिया का सबसे ऊंचा अनुसंधान केंद्र भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के द्वारा स्थापित किया गया है।
- खारदुंग ला : 5359 मीटर की विशाल ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा भारत के नवनिर्मित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लेह में एक ऊंचा पहाड़ी दर्रा है।
- औडेन्स कोल – यह भिलंगना और रुद्र गैरों की घाटियों को जोड़ने वाला 5350 मीटर ऊंचाई पर स्थित एक दर्रा है जो गंगोत्री और जोगिन रिज को भी जोड़ता है।
- देबसा पास : 5340 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा हिमाचल प्रदेश के और स्पीति कुल्लू ज़िलों को जोड़ता है।
- ट्रेल्स पास : 5200 मीटर की विशाल ऊंचाई पर स्थित यह हिमालय का पहाड़ी दर्रा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और बागेश्वर ज़िलों में नंदा देवी की पहाड़ी चोटियों के बीच स्थित है। इसके अंतिम छोर पर पिंडारी नामक ग्लेशियर स्थित है।
- कोंगका पास : 5171 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा भारत और चीन की वास्तविक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित एक कम ऊंचाई का दर्रा है। यह दर्रा काराकोरम की पहाड़ियों में पाया जाता है।
- बारा-लाचा पास : समुद्र तल से 5000 मीटर की विशाल ऊंचाई पर हिमालय की ज़ांस्कर पहाड़ियों मैं स्थित यह एक ऊंचा दर्रा है जो मनाली राजमार्ग को लेह से जोड़ता है।
- गोयचा ला : 4940 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा भारत के सिक्किम राज्य में स्थित दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत शिखर कंचनजंगा के दक्षिणी पूर्वी हिस्से में स्थित है।
- दीफू पास : मैक मोहन रेखा पर भारत म्यांमार और चीन के विवादित त्रिकोणीय बिंदु पर स्थित 4587 मीटर ऊंचा यह दर्रा भारत के हिमाचल प्रदेश में स्थित है।
- कुंज़ुम ला : 4551 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पहाड़ी दर्रा लाहौल और स्पीति को जोड़ता है।
- चन्शल दर्रा : 4520 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा वर्ष भर में से सिर्फ सात महीने तक खुला रहता है और बाकी समय बर्फ से ढका रहता है। यह दर्रा हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय पर्यटन स्थल शिमला में स्थित है।
- इन्द्रहर पास : हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर के पास स्थित 4411 मीटर ऊंचा यह दर्रा हिमालय की धौलाधर पर्वत श्रृंखला का एक हिस्सा है। यह दर्रा ट्रैकिंग पसंद करने वाले लोगों का एक पसंदीदा ट्रैकिंग पास है।
- जेलेप ला : 4400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह एक ऊंचा पहाड़ी दर्रा है। नाथु ला दर्रे से चार किलोमीटर दक्षिण में भारत के सिक्किम और चीन के तिब्बत के बीच में स्थित है। यह ल्हासा को भारत से जोड़ने का काम करता है।
- फोतु ला : 4100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पहाड़ी दर्रा हिमालय पर्वत श्रृंखला की ज़ांस्कर रेंज में श्रीनगर राजमार्ग को लेह से जोड़ता है। यह दर्रा अन्य प्रसिद्ध ज़ोजी ला दर्रे को पार करने के बाद इस राजमार्ग का सबसे ऊंचाई वाला हिस्सा है।
- ज़ोजी ला : नवनिर्मित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 3800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह एक ऊंचा पहाड़ी दर्रा है। यह दर्रा कश्मीर घाटी को द्रास से जोड़ता है। भारत का राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर एक इसी दर्रे से होकर गुजरता है।
- डोंगखा ला : हिमालय की पर्वत श्रेणियों में 3700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा भारतीय राज्य सिक्किम को तिब्बत से जोड़ता है।
- जालोरी पास : 3132 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह एक विशाल हिमालय पहाड़ी दर्रा है।
- बनिहाल पास : 2832 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बनिहाल पास एक बहुत ही ऊंचा पहाड़ी दर्रा है। यह दर्रा हिमालय के दक्षिणी मैदानों को कश्मीर की घाटियों से जोड़ता है।
अन्य भारत के प्रमुख दर्रे इस प्रकार हैं :
- ग्योंग ला : 5686 मीटर, सियाचिन
- सिया ला 5589 : मीटर, सिचाचीन
- मर्सिमिक पास: 5582 मीटर,
- माना पास : 5545 मीटर, उत्तराखंड
- लनक ला : 5466 मीटर, तिब्बत
- सासर पास : 5411 मीटर, लद्दाख
- लिपुलेख पास : 5300 मीटर, उत्तराखंड
- लमखागा पास : 5284 मीटर, हिमाचल प्रदेश
- नामा पास : 5200 मीटर, उत्तराखंड
- लुंगलाचा ला : 5100 मीटर, लद्दाख
- नाथु ला दर्रा : 4310 मीटर, सिक्किम
- सेला पास : 4300 मीटर, अरुणाचल प्रदेश
- रोहतांग पास : 3978 मीटर, हिमाचल प्रदेश
- शिपकी ला : 3900 मीटर, हिमाचल प्रदेश
- नामिका ला : 3700 मीटर, लद्दाख
- थमार्सेरी पास : 520 मीटर, केरल
- पलक्कड़ : 230 मीटर, केरल
- सेंगोटायी पास : 210 मीटर, केरल
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