आज की पोस्ट में हम आपके लिए मेरी प्रिय पुस्तक पर एक बहुत ही सुंदर और सरल निबंध लेकर आये हैं। अगर आप भी मेरी प्रिय पुस्तक पर एक आकर्षक निबन्ध लिखना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक ज़रूर पढें।
मेरी प्रिय पुस्तक निबंध 250 शब्द (Meri Priya Pustak Essay in Hindi) :
इस धरती पर मौजूद सभी प्राणियों में सबसे बुद्धिमान माने जाने वाले हम इंसान अपनी सोचने समझने की शक्ति की वजह से ही इतना विकास कर पाए हैं। लेकिन सोचने समझने की शक्ति को विकसित करने के लिए हमें बचपन से ही किताबें पढ़ने और किताबें पढ़ने से होने वाले फायदों के बारे में बताया जाता है। मानव जीवन में किताबों के इन्हीं योग दानों की वजह से इन्हें इंसानों का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है। किताबें पढ़ने वाला व्यक्ति अपने ज्ञान की वृद्धि तो करता ही है।
साथ साथ वह अपने जीवन में इस ज्ञान से तरक्की भी करता है इसलिए हमें चाहिए कि हम हमेशा कुछ न कुछ अच्छा पढ़ते रहना चाहिए। मुझे भी किताबें पढ़ना बहुत ही ज्यादा पसंद है मेरे घर पर कई किताबें हैं। लेकिन जो किताब मुझे बार-बार पढ़ना अच्छा लगता है। वह है डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा विंग्स ऑफ फायर यानी अग्नि की उड़ान।
यह किताब मुझे मेरे चाचा जी ने मेरे जन्मदिन पर उपहार के तौर पर दी थी। जब मैंने किताब पढ़ना शुरू किया तो मुझे पता लगा कि डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत को मिसाइल संपन्न बनाने में कितना महान योगदान दिया है। इनके नेतृत्व में बनाई गई अग्नि पृथ्वी नाम मिसाइलों की वजह से भारत की स्थिति बहुत सुदृढ़ हो गई।
बच्चों और युवाओं को दिए गए अपने मोटिवेशनल विचारों की वजह से मैं उन्हें अपना आदर्श मानता हूं। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम कि यह आत्मकथा यह बताती है कि किस तरीके से डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की एक सामान्य बालक से शुरू होकर भारत के राष्ट्रपति पद तक पहुंचने की अनोखी यात्रा का वर्णन बखूबी करती है।
भारत के राष्ट्रपति के रूप में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का कार्यकाल बहुत ही सराहनीय रहा। लेकिन इन्हें पहचान मिली एक महत्वाकांक्षी और परिश्रमी वैज्ञानिक के रूप में भारत में परमाणु परीक्षण को शुरू करवाने और उन्हें सफलतापूर्वक पूरा करवाने का श्रेय भी डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को ही जाता है। उनकी लिखी अन्य किताबें भी युवाओं को समान रूप से प्रेरित करती है।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के विचारों को सुनकर व्यक्ति निराशा भरे जीवन से निकलकर नए उत्साह से अपना जीवन शुरू करने की प्रेरणा हासिल करता है, इसी वजह से मैं डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानता हूं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि दुनिया तकनीकी रूप से चाहे कितनी आगे बढ़ जाए, लेकिन हमारे जीवन में किताबों के योगदान को हम नकार नहीं सकते हैं। किताबे हमें एक जिम्मेदार और देश का एक इमानदार नागरिक बनाने में मदद करती हैं। किताबों की मदद से लोगों को अपने इतिहास वर्तमान परिस्थिति के बारे में तो पता चलता ही है लेकिन साथ ही साथ लो किताबें पढ़कर कानूनों सरकारी योजनाओं और देश विदेश की बातों को भी जान पाते हैं जिससे उनकी ज्ञान में असीम वृद्धि होती है।
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मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध 500 शब्द (Meri Priya Pustak Essay in Hindi) :
मनुष्य इस पृथ्वी पर पाए जाने वाला सबसे बुद्धिमान प्राणी कहलाता है। मनुष्य की बुद्धि ही इसे दूसरे प्राणियों से सर्वश्रेष्ठ बनाती है। हम मनुष्य ही सही गलत नैतिक अनैतिक आदि चीजों के बीच में अंतर कर पाते हैं। हमें अच्छे और बुरे का ज्ञान नीति धर्म और इमानदारी सिखाई जाती हैं और इसमें मदद करती हैं किताबें। किताबों की इसी खूबी की वजह से इन्हें मनुष्य का सच्चा मित्र भी कहा जाता है। किताबों की इन्हीं विशेषताओं की वजह से लोग अपने घरों में भी किताबों का संकलन करना पसंद करते हैं और इन सब में कौन कोई किताब उन्हें सबसे ज्यादा पसंद होती है।
मेरी प्रिय पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता पर निबंध
मैंने आज तक बहुत सारी किताबें पढ़ी है सभी बहुत अच्छी और ज्ञानवर्धक रही है। लेकिन जो किताब मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगती है वह है महाभारत। महाभारत को महर्षि वेदव्यास नमक ऋषि ने लिखा था। भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में कम से कम एक बार तो यह पुस्तक अवश्य पड़ता है। यह हिंदू धर्म मानने वालों की एक बहुत ही पवित्र पुस्तक मानी जाती है महाभारत को महर्षि वेदव्यास ने संस्कृत भाषा में लिखा था यह पुस्तक हमें अपने पारिवारिक संबंधों संगी साथियों के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से रहने की शिक्षा देती है। महाभारत में हमें अपने गुरुजनों मित्रों सगे संबंधियों माता पिता और सरदारों के साथ अच्छा व्यवहार करने की सीख दी गई है।
महाभारत पुस्तक का सबसे प्रसिद्ध हिस्सा है श्रीमद्भगवद्गीता। भगवत गीता महाभारत का ही एक हिस्सा है लेकिन इसे पृथक किताब के रूप में भी पढ़ा जाता है। गीता में कुल 18 अध्याय दिए गए हैं और इसे मूल रूप से संस्कृत भाषा में लिखा गया था। गीता में भगवान श्री हरि कृष्णा और पांडवों की तरफ से लड़ रहे धुरंधर अर्जुन के बीच के संवादों का संकलन है। श्रीमद्भगवद्गीता के सभी अध्यायों में कृष्ण भगवान अर्जुन को कर्म करने के महत्व के बारे में बताते हैं।
कौरव और पांडवों की सेनाएं जब आमने-सामने एक दूसरे से युद्ध करने को तैयार खड़ी थी। तब अर्जुन को यह देख कर बहुत दुख हुआ कि वह अपने ही परिवार के लोगों को मारने जा रहा है तब भगवान श्री कृष्णा अर्जुन के मन का डर मिटाने के लिए उसे युद्ध की वास्तविक स्थिति समझाने के लिए उसे जो उपदेश देते हैं वही उपदेश आगे जाकर गीता में संकलित किए गए।
महाभारत एक ऐसी किताब है जिसमें हम जीवन जीने की मूल्यों को भलीभांति सीख पाते हैं। महाभारत की कथा लोगों को आपस में ईमानदार रहने परिवार के बड़ों का आदर करने अनैतिक गतिविधियों से दूर रहने और हमेशा सच के रास्ते पर चलने की सीख देती है। महाभारत हमें अभी सिखाती है कि जब परिवार के एक सदस्य पर संकट आए तो दूसरों को उनकी मदद करनी चाहिए।
परिवार में जब अपनापन आदर और सम्मान रहेगा तब ही परिवार के लोग सच्चे अर्थों में उन्नति कर पाते हैं। परिवार के वृद्धजन परिवार की एकता की धूरी होते हैं। महाभारत हमें यह भी सिखाती है कि जल्दबाजी में लिए गए कुछ फैसलों की वजह से किस तरीके से लोगों के जीवन में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है इसलिए किसी भी तरह का फैसला करने से पहले हमें यह विचार कर लेना चाहिए कि उसका परिणाम क्या होगा? इस तरीके से महाभारत हमें ना सिर्फ एक अच्छा इंसान बनाने में मदद करती है। बल्कि यह परिवार में सुख शांति और इसके सदस्यों की भूमिका को भी बहुत अच्छे से समझाती है।
श्रीमद्भगवद्गीता वर्तमान समय में प्रासंगिकता का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय ही नहीं कई विदेशी शिक्षण संस्थान इसे अपने विद्यार्थियों को मैनेजमेंट की पढ़ाई के दौरान प्रमुखता से पढ़ाते हैं। श्रीमदभगवत गीता में कही गई बातें पढ़कर और समझ कर हम इस विश्व में लोगों को मानवता का पाठ पढ़ा सकते हैं महाभारत का हर एक पात्र एक विशिष्ट प्रकार के भाव और जीवन के पड़ाव को दर्शाता है महाभारत से हमें सबसे बड़ी सी किया मिलती है कि परिवार की एकता ही इसके सदस्यों की उन्नति का सबसे बड़ा कारक होता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि महाभारत निश्चित थी एक पढ़ने योग्य पुस्तक है सभी बच्चों को महाभारत में बताए गए मूल्य से अवगत करवाना चाहिए ताकि उनमें परिवार और समाज दोनों की अहमियत और योगदान के बारे में पता लगाया जा सके। इसीलिए महाभारत को केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं समझा जाना चाहिए बल्कि इसे नैतिक मूल्यों और आदर्शों को सिखाने वाली एक इकाई मानना चाहिए।
मेरी प्रिय पुस्तक निबंध 250 शब्द (Meri Priya Pustak Essay in Hindi) :
इस धरती पर मौजूद सभी प्राणियों में सबसे बुद्धिमान माने जाने वाले हम इंसान अपनी सोचने समझने की शक्ति की वजह से ही इतना विकास कर पाए हैं। लेकिन सोचने समझने की शक्ति को विकसित करने के लिए हमें बचपन से ही किताबें पढ़ने और किताबें पढ़ने से होने वाले फायदों के बारे में बताया जाता है। मानव जीवन में किताबों के इन्हीं योगदानों की वजह से इन्हें इंसानों का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है। किताबें पढ़ने वाला व्यक्ति अपने ज्ञान की वृद्धि तो करता ही है।
साथ साथ वह अपने जीवन में इस ज्ञान से तरक्की भी करता है इसलिए हमें चाहिए कि हम हमेशा कुछ न कुछ अच्छा पढ़ते रहना चाहिए। मुझे भी किताबें पढ़ना बहुत ही ज्यादा पसंद है मेरे घर पर कई किताबें हैं लेकिन जो किताब मुझे बार-बार पढ़ना अच्छा लगता है वह है डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा विंग्स ऑफ फायर यानी अग्नि की उड़ान।
यह किताब मुझे मेरे चाचा जी ने मेरे जन्मदिन पर उपहार के तौर पर दी थी। जब मैंने किताब पढ़ना शुरू किया तो मुझे पता लगा कि डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत को मिसाइल संपन्न बनाने में कितना महान योगदान दिया है। इनके नेतृत्व में बनाई गई अग्नि पृथ्वी नाम मिसाइलों की वजह से भारत की स्थिति बहुत सुदृढ़ हो गई बच्चों और युवाओं को दिए गए अपने मोटिवेशनल विचारों की वजह से मैं उन्हें अपना आदर्श मानता हूं।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम कि यह आत्मकथा यह बताती है कि किस तरीके से डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की एक सामान्य बालक से शुरू होकर भारत के राष्ट्रपति पद तक पहुंचने की अनोखी यात्रा का वर्णन बखूबी करती है।
भारत के राष्ट्रपति के रूप में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का कार्यकाल बहुत ही सराहनीय रहा। लेकिन इन्हें पहचान मिली एक महत्वाकांक्षी और परिश्रमी वैज्ञानिक के रूप में भारत में परमाणु परीक्षण को शुरू करवाने और उन्हें सफलतापूर्वक पूरा करवाने का श्रेय भी डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को ही जाता है। उनकी लिखी अन्य किताबें भी युवाओं को समान रूप से प्रेरित करती है डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के विचारों को सुनकर व्यक्ति निराशा भरे जीवन से निकलकर नए उत्साह से अपना जीवन शुरू करने की प्रेरणा हासिल करता है। इसी वजह से मैं डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानता हूं।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि दुनिया तकनीकी रूप से चाहे कितनी आगे बढ़ जाए लेकिन हमारे जीवन में किताबों के योगदान को हम नकार नहीं सकते हैं किताबे हमें एक जिम्मेदार और देश का एक इमानदार नागरिक बनाने में मदद करती हैं। किताबों की मदद से लोगों को अपने इतिहास वर्तमान परिस्थिति के बारे में तो पता चलता ही है लेकिन साथ ही साथ लो किताबें पढ़कर कानूनों सरकारी योजनाओं और देश विदेश की बातों को भी जान पाते हैं जिससे उनकी ज्ञान में असीम वृद्धि होती है।
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