माँ शब्द सुनते ही सब के चेहरों पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है। माँ के हाथ के कहने का स्वाद कोई किसी हाल में नहीं भूल सकता है। माँ का प्यार, उनकी ममता और उनका समय सब बच्चों की परवरिश करने में, उन्हें संस्कार सिखाने में, उनमें अच्छी आदतें डालने में, बड़ों का सम्मान करना सीखने में बीत जाता है।
इस पोस्ट में हम मेरी माँ निबंध लेकर आए हैं, हमें आशा है कि यह निबंध आपके लिए मददगार साबित होगा इस निबंध को पढ़कर मेरी माँ निबंध इतना ही सरल और सुंदर लिख पाने में सफल हो सकेंगे।
मेरी माँ निबंध 10 lines (Meri Maa Nibandh 10 line in Hindi) :
- मेरी माँ दुनिया की सबसे प्यारी और अच्छी माँ है।
- मेरी माँ का नाम श्रीमती सुप्रिया जोशी है।
- मेरी माँ घर के सभी लोगों का भीत ख्याल रखती है।
- मेरी माँ सुबह सबसे पहले उठकर मेरा टिफिन बनाती है।
- मेरी माँ दिन भर काम करके बहुत थक जाती है, इसलिए शाम को मेरे पापा और मैं उनके काम में मदद करवाते हैं।
- मेरी माँ सिलाई करना भी जानती है। में बड़ी होकर उनसे सिलाई ज़रूर सीखूँगी।
- मेरी माँ मुझे स्कूल भेजने के बाद घर का सारा काम करती है।
- मेरी माँ रोज़ शाम को मुझे पास के ठाकुरजी मंदिर लेकर जाती है। हम वहां आरती करते हैं और घर आ जाते हैं।
- मेरी माँ मुझे बहुत अच्छी – अच्छी बातें सिखाती है।
- मेरी माँ से मैं बहुत बहुत प्रेम करती हूँ।
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मेरी माँ निबंध 100 शब्दों में (Meri Maa Essay in Hindi 100 Words) :
मेरी माँ का नाम श्रीमती उषा देवी वर्मा है। मेरी माँ एक अध्यापिका है। मैं मेरी माँ के साथ उनकी ही स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ता हूँ। मेरी माँ विद्यार्थियों को गणित विषय पढ़ातीं हैं। मेरी माँ सुबह साढ़े चार बजे उठ जाती है। वे सबका खाना बना कर मुझे स्कूल के लिए तैयार करतीं हैं। मेरी माँ के चाय पीने के बाद साढ़े सात बजे हम दोनों स्कूल बस में बैठ कर अपने विद्यालय जाते हैं।
मेरी माँ एक बहुत अच्छी अध्यापिका हैं। वे मेरी कक्षा को भी गणित पढ़ाने आतीं हैं। स्कूल से वापस आने के बाद मेरी मां कुछ देर आराम करती है। मैं भी उनके साथ में आराम कर लेता हूं। शाम की चाय बनाने के बाद मेरी मां मुझे होमवर्क करने में मदद करती है।
इसके बाद वे डिनर बनाने में लग जाती हैं,रात का सारा काम निपटाने के बाद मेरी मां मुझे 1 घंटे के लिए पढ़ाती हैं। मेरी मां बहुत मेहनती है। मैं भी बड़ा होकर उन्हें की तरह एक मेहनती इंसान बनना चाहता हूं। मेरी मां मेरा सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत है मैं उन्हें बहुत प्रेम करता हूं।
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मेरी माँ निबंध 200 शब्दों में (Meri Maa Essay in Hindi 200 Words) :
मां दुनिया की वो इंसान होती है, जो हमेशा अपने बारे में सबसे आखिर में सोचती है। एक माँ के लिए अपने बच्चों की खुशी, उनकी जरूरतों को पूरा करना, घर के लोगों की सब जरूरतों को पूरा करना, सबका ध्यान रखना ही पहली प्राथमिकताएं होती हैं। हर कोई बस यही सोचता है कि एक महिला एक मां है तो दूसरों की खुशियों का ध्यान तो रखना ही पड़ेगा।
लेकिन वह लोग यह नहीं सोचती कि मां की खुशियों का ध्यान रखने वाला तो इस दुनिया में कोई होता ही नहीं है। क्योंकि जैसे जैसे बच्चे बड़े होते हैं वह अपनी मां की कदर करना कम कर देते हैं, ऐसे में वर्तमान समय में बच्चों को भी अपनी मांओं की खुशियों का और उनकी जरूरतों का ख्याल रखना चाहिए।
इसलिए मैं अपनी मां का बहुत ख्याल रखती हूं। मेरी मां बैंक में काम करती है। मेरे पापा 8:00 बजे ऑफिस जाते हैं और मैं 7:30 बजे स्कूल जाती हूं, तो मम्मी को सुबह 4:00 उठना पड़ता है, वह सबसे पहले सब का खाना बनाती है। मम्मी को इतना सारा काम करते देख मुझे कभी-कभी बहुत दुख होता है इसलिए मैं हर संभव कोशिश करती हूं कि अपनी मां का जितना हो सके काम में हाथ बंटाऊ।
शाम को 5:00 बजे जब मेरी मां बैंक से थक हार कर वापस आती है। तो मै उनके लिए हमेशा चाय बना कर लाती हूं। यह देख कर उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और इससे मुझे बहुत सुकून मिलता है। सब बच्चों को अपने माँ की मदद करनी चाहिए, क्योंकि मां तो कभी नहीं कहेगी। मेरी खुशियों का ध्यान रखो। मेरी जरूरतों का ध्यान रखो या मैं थक जाती हूं तो मेरा काम में हाथ बटाओ, मां ऐसा कभी नहीं कहती इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी मां की स्वास्थ्य का और छोटी-छोटी जरूरतों का ख्याल रखें।
मेरी माँ निबंध 500 शब्दों में (Meri Maa Essay in Hindi 500 Words) :
दुनिया में अगर कोई सबसे ज्यादा निस्वार्थ है तो वह है मां, अपनी जरूरतों और आवश्यकताओं को पूरा ना करके एक-एक पैसा जोड़कर अपने बच्चों की खुशियों और उनकी आवश्यकता ओं का ध्यान रखना, मां अपना सबसे बड़ा कर्तव्य समझती है। एक मां ही होती है जो बिना किसी के बोले उनकी परेशानी समझ लेती है। अगर माँ हमें डांट भी देती है तो उसका बुरा नहीं मानना चाहिए, क्योंकि डांट पड़ेगी तभी तो माँ प्यार करेगी ना! इसलिए हमें कभी भी अपनी मां को दुखी नहीं करना चाहिए या उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहिए।
मां सृजनकर्ता है। वह नए जीवन का सर्जन करती है। भूख प्यास सब भुला कर अपने बच्चों को बड़ा करती है। अपनी जरूरतों को दरकिनार कर के वो सबसे पहले अपने बच्चों की हर छोटी बड़ी ज़रूरतों को पूरा करने में अपना जीवन बिता देती है। मां को त्याग और ममता की मूर्ति शायद इसी वजह से ही कहा जाता है। मां पूरा जीवन दूसरों की देखभाल में व्यतीत कर देती है। लेकिन फिर भी मैं इसी में ही अपनी खुशी समझती है। घर के बाकी सदस्यों को मां का सम्मान करना चाहिए और उनकी देखभाल करना चाहिए।
मेरी मां का नाम श्रीमती गायत्री बेन प्रजापत है। मेरी मां हमारे शहर के समाचार पत्र में खबर लिखने का काम करतीं हैं। वे एक जर्नलिस्ट हैं। वे काम की वजह से बहुत व्यस्त रहतीं हैं। मेरी मां सुबह 5:00 बजे उठ जाती है। मैं नहा धोकर सबके लिए नाश्ता और खाना तैयार करती हैं। मेरे मम्मी पापा मैं और मेरा छोटा भाई हम चारों बैठकर सुबह जल्दी नाश्ता कर लेते हैं, इसके बाद मैं और मेरा भाई स्कूल चले जाते हैं और मम्मी पापा ऑफिस चले जाते हैं।
हम दोनों स्कूल से आने के बाद खाना खाते हैं। होमवर्क करने के बाद सो जाते हैं, इसके बाद 4:00 बजे उठ जाती हूं, मेरी मम्मी शाम को 6:00 बजे आती है। मैं उनके लिए चाय बनाती हूं तो फिर हम बैठकर ढेर सारी बातें करते हैं। मुझे पता है मेरी मम्मी के ऑफिस में बहुत सारा काम होता है। यह सब भी हमेशा यह कोशिश करती हैं कि हमारे साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिता सकते हैं।
शाम का खाना बनाने में पापा उनकी मदद करते हैं, हम चारों एक साथ बैठकर खाना खाते हैं। मेरे घर में खाना खाने के समय टीवी नहीं देखते, क्योंकि खाना खाने के समय को हम एक दूसरे के दिन की बातें बताकर व्यतीत करते हैं। इस तरह मेरे मम्मी – पापा कोशिश करते हैं कि वह हमारे साथ ज्यादा समय बिता सकें और हमें यह बात पता है इसलिए मैं कभी भी बेवजह जिद नहीं करती हूं।
मेरे मम्मी – पापा मेरी और मेरे भाई की जरूरतों का पूरा ख्याल रखते हैं। मैं भाई छोटा है, इसलिए शरारती है। लेकिन मै शरारत कभी भी नहीं करती हूं। मैं अपने मम्मी पापा का बहुत आदर और सम्मान करती हूं मुझे मेरी मां से बहुत ज्यादा प्रेम है।