खेल मानव शरीर के लिए बहुत ही ज़रूरी गतिविधि होते हैं। खेलों से हम स्वस्थ और तंदुरुस्त बने रहते हैं। जो लोग नियमित तौर पर खेल खेलते हैं वे कम बीमार पड़ते हैं। उनका शरीर भी स्वस्थ बना रहता है। विद्यालयों में विद्यार्थियों को खेलों का महत्व समझाने के लिए कई तरह की गतिविधियां करवाई जाती हैं जैसे खेलकूद कालांश और कई सारी प्रतियोगिताएँ। निबन्ध प्रतियोगिता भी ऐसी ही एक गतिविधि है जिसमें बालकों को एक विषय पर अपने विचार प्रकट करने के लिए कहा जाता है। आज की इस पोस्ट में हम ऐसा ही एक विषय लेकर आये हैं – मेरा प्रिय खेल। इस पोस्ट में हम आपको मेरा प्रिय खेल विषय पर निबन्ध लिखना सिखाएंगे।
मेरा प्रिय खेल क्रिकेट (Mera Priya Khel Cricket Essay in Hindi) :
मेरा प्रिय खेल क्रिकेट है। यह खेल मुझे अत्यंत प्रिय है। में रोज़ शाम को अपने दोस्तों के साथ पास की कॉलोनी के मैदान में क्रिकेट खेलने जाता हूँ। यह मैदान बहुत बड़ा है। वहां और भी कई सारे बच्चे खेलने आते हैं। क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी विराट कोहली मेरे आदर्श खिलाड़ी हैं। मैं उनसे बहुत प्रेरणा हासिल करता हूँ।
मेरा प्रिय खेल क्रिकेट खेल के नियम :
- क्रिकेट को खेलने के लिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। क्रिकेट से जुड़े कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार हैं :-
- एक क्रिकेट टीम में कप्तान के साथ ग्यारह खिलाड़ी होते हैं।
- क्रिकेट का मैदान अंडाकार होता है।
- क्रिकेट कब मैदान का घेरा एक सौ सैंतीस दशमलव सोलह से अधिक नहीं होना चाहिए।
- खिलाड़ी जहां खड़े होकर बल्लेबाज़ी केते है उसे पिच कहा जाता है।
- क्रिकेट की बॉल का वजन 165 ग्राम होना जरूरी है।
- क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाला बल्ला 38 इंच से अधिक लंबा नहीं होना होता है
- क्रिकेट के खेल में दो अंपायर होते हैं।
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मेरा प्रिय खेल क्रिकेट कैसे खेलते हैं?
क्रिकेट एक आउटडोर खेल है। जिसमें 11 – 11 खिलाड़ियों की दो टीमें होती है। इस खेल में लकड़ी का एक बल्ला और एक गेंद होती है। जिससे बैट और बॉल कहा जाता है। बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ियों के पीछे लकड़ी की तीन लंबी लंबी डांडिया होती है। जिसे स्टंप कहा जाता है, गेंदबाजी करने वाला खिलाड़ी अगर अपने बॉल से स्टंप को छू लेता है, तो बल्लेबाजी करने वाला खिलाड़ी आउट माना जाता है। यह खेल दो पारी में खेला जाने वाला होता है।
इसमें एक टीम बल्लेबाजी करती है और दूसरी टीम क्षेत्ररक्षण यानी फील्डिंग का काम करती है। क्रिकेट में दो एंपायर होते हैं लेकिन कभी-कभी निर्णय लेने के लिए थर्ड एंपायर की आवश्यकता होती है। जो मैदान में मौजूद ना होकर टीवी स्क्रीन के माध्यम से अपना फैसला देता है, और उसका फैसला अंतिम माना जाता है। क्रिकेट तीन तरीके से खेला जाता है और तीनों की तरह के नियम अलग-अलग हैं। पहले बल्लेबाजी करने उतरी टीम में जितना स्कोर बनाया है, दूसरी टीम को जीतने के लिए उससे बड़ा स्कोर हासिल करना होता है।
क्रिकेट खेल कितने प्रकार का होता है?
क्रिकेट खेल तीन प्रकार का होता है जिसमें पहला है टेस्ट मैच,
दूसरा है टी20, और तीसरा है एकदिवसीय क्रिकेट।
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मेरा प्रिय खेल फुटबॉल (Mera Priya Khel Football Essay in Hindi) :
मेरा प्रिय खेल फुटबॉल है। यह खेल मुझे अत्यंत प्रिय है। में रोज़ शाम को अपने दोस्तों के साथ पास की कॉलोनी के मैदान में फुटबॉल खेलने जाता हूँ। यह मैदान बहुत बड़ा है। वहां और भी कई सारे बच्चे खेलने आते हैं। फुटबॉल के दिग्गज खिलाड़ी लियोनेल मेसी मेरे आदर्श खिलाड़ी हैं। मैं उनसे बहुत प्रेरणा हासिल करता हूँ। यह खेल अपनी रफ्तार के लिए जाना जाता है फीफा विश्वकप की दीवानगी लोगों में देखते ही बनती है।
मेरा प्रिय खेल फुटबॉल खेल के नियम :
- फुटबॉल का मैदान आयताकार होता है जिसकी लंबाई अधिकतम 110 मीटर और चौड़ाई अधिकतम 75 मीटर हो सकती है।
- फुटबॉल मैदान के दोनों तरफ 11 नेट होती है जिसे गोल पोस्ट कहा जाता है हर टीम में एक गोलकीपर होता है जो विपक्षी टीम की गेंद को अपने गोलपोस्ट में जाने से रोकता है। इस खेल में गोल करने से संबंधित कुछ नियम है जिन्हें तो इनके को पेनल्टी शूटआउट आदि के नाम से जाना जाता है।
मेरा प्रिय खेल फुटबॉल कैसे खेलते हैं?
फुटबॉल को खेलने के लिए 2 टीम होती है, जिनके 11 खिलाड़ी मैदान में होते हैं। दोनों टीमों के बीच में टॉप करवाया जाता है और इसके बाद गेंद को मैदान के बिल्कुल बीच में रखकर इस किक मारकर खेल शुरू किया जाता है, यह खेल 90 मिनट का होता है जिसमें 45 – 45 मिनट के 2 हिस्से होते हैं। जिन्हें हाफ कहा जाता है।
जो टीम सबसे ज्यादा गोल करने में कामयाब हो जाती है वह टीम विजेता मानी जाती है। लेकिन कभी-कभी यह खेल 90 मिनट से ज्यादा का चलता है जब किसी भी टीम का कोई गोल नहीं होता है, इसे एक्स्ट्रा टाइम कहा जाता है। एक्स्ट्रा टाइम देने के बाद भी अगर मैच बिना किसी नतीजे के रहता है, तो पेनल्टी शूटआउट के द्वारा मैच का फैसला किया जाता है और यह तब तक की जाती है, जब तक कि कोई एक टीम अपना पहला गोल ना कर ले।
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मेरा प्रिय खेल बैडमिंटन (Mera Priya Khel Badminton Essay in Hindi) :
मेरा प्रिय खेल बैडमिंटन है। यह खेल मुझे अत्यंत प्रिय है। मै रोज़ शाम को अपने दोस्तों के साथ मेरी कॉलोनी के कंपाउंड में बैडमिंटन खेलने जाता हूँ। वहां और भी कई सारे बच्चे खेलने आते हैं। बैडमिंटन की दिग्गज खिलाड़ी सायना नेहवाल मेरी आदर्श खिलाड़ी हैं। मैं उनसे बहुत प्रेरणा हासिल करता हूँ।
मेरा प्रिय खेल बैडमिंटन खेल के नियम
बैडमिंटन के खेल का मैदान आयताकार होता है जिसकी लंबाई 44 फीट और चौड़ाई 17 फीट होती है इस मैदान के बिल्कुल बीच में एक सीधी रेखा बनाई जाती है। जिसके ऊपर एक जाली लगाई जाती है, इस जाली को नेट कहा जाता है।
इसके दोनों तरफ खिलाड़ी खड़े – खड़े ही पूरा खेल खेलते हैं। इस खेल को खेलने के लिए एक रैकेट और एक सटल कॉल जिसे चिड़िया बल्ला कहा जाता है, का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें शटल कॉक का वजन साडे 5 ग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। और रैकेट की लंबाई 27 इंच होती है।
मेरा प्रिय खेल बैडमिंटन कैसे खेलते हैं?
बैडमिंटन एक आयताकार मैदान पर खेला जाता है। जो मुख्य दया सीमेंट लकड़ी मिट्टी या घास का मैदान होता है। इसमें दो खिलाड़ी एक दूसरे के विपक्ष में खेलते हैं, इसमें कोई टीम नहीं होती है। बस एक खिलाड़ी होता है, जो दूसरे खिलाड़ी के विपक्ष में खेलता है। इस खेल की कोई समय सीमा नहीं होती है। एक खेल में 21 – 21 पॉइंट के तीन दौर होते हैं। जो भी खिलाड़ी हर दौर में पहले 21 पॉइंट हासिल कर लेता है वह अगले दौर में चला जाता है। इस तरीके से यह खेल पूरा होता है अक्सर या खेल कई घंटों तक चलता है क्योंकि खिलाड़ी एक दूसरे को पॉइंट हासिल करने से रोकते हैं।
कई बार यह खेल 29 पॉइंट तक भी चला जाता है। यह खेल दो पुरुष प्रतिभागियों के बीच में दो महिला प्रतिभागियों के बीच में खेला जाता है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसमें युगल खेल भी होते हैं। जिसमें 2 महिलाओं की टीम एक दूसरे की विपक्ष में दो पुरुषों की टीम एक दूसरे के विपक्ष में और होती है। इसमें मिश्रित खेल भी होता है. जिसमें एक पुरुष और एक महिला की टीम विपक्षी पुरुष और महिला की टीम के खिलाफ खेल खेलते हैं।
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मेरा प्रिय खो खो (Mera Priya Khel Kho Kho Essay in Hindi) :
मेरा प्रिय खेल खो खो है। यह खेल मुझे अत्यंत प्रिय है। में रोज़ शाम को अपने दोस्तों के साथ मेरी कॉलोनी के मैदान में खो खो खेलने जाता हूँ। वहां और भी कई सारे बच्चे खेलने आते हैं। खो खो के दिग्गज खिलाड़ी विराट कोहली मेरे आदर्श खिलाड़ी हैं। मैं उनसे बहुत प्रेरणा हासिल करता हूँ।
मेरा प्रिय खेल खो – खो खेल के खलेने के नियम
खो खो का मैदान आयताकार होता है, इस मैदान की लंबाई 29 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर होती है। खो खो की एक टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं। यह मैच 2 पारियों में या 4 परियो में खेला जाता है और हर पारी के लिए 9 मिनट का समय आरक्षित किया गया है। मैदान के बिल्कुल बीच में 30 सेंटीमीटर चौड़ी पट्टी होती है।
जिसकी दोनों तरफ लकड़ी के 2 खंभे लगाए जाते हैं। इसमें एक टीम के खिलाड़ी बैठे होते हैं और दूसरे दिन के खिलाड़ी एक दूसरे को पकड़ने की कोशिश करते हैं। जिस टीम के खिलाड़ी विरोधी टीम के खिलाड़ियों को पकड़ने के लिए जाते हैं, उन्हें एक्टिव चेज़र कहा जाता है और जो खिलाड़ी बैठे होते हैं उन्हें चेज़र कहा जाता है।
मेरा प्रिय खेल खो खो कैसे खेलते हैं?
खो खो खेलने के लिए 12 – 12 खिलाड़ी एक टीम के लिए नियुक्त किए जाते हैं। 1 दिन के खिलाड़ी एक दूसरे की विपरीत दिशा में बैठते हुए सीधी लाइन बनाते हैं। जिस टीम के खिलाड़ी जमीन पर बैठे हुए हैं, उसी टीम के एक खिलाड़ी को विरोधी टीम के दूसरे खिलाड़ियों को तू कर आउट करना होता है। इसके लिए बैठी हुई टीम के खिलाड़ी को एक पर थप्पा देकर और खूब कहकर उसकी जगह पर बैठना होता है, और जो खिलाड़ी बैठा हुआ होता है। वह विरोधी टीम के खिलाड़ी को पकड़ने के लिए भागता और उस पर ये खेल चलता रहता है। इसके एक शर्ट को पूरा करने के लिए 9 मिनट दिए जाते हैं।
मेरा प्रिय खेल हॉकी (Mera Priya Khel Hockey Essay in Hindi) :
मेरा प्रिय खेल हॉकी है। यह खेल मुझे अत्यंत प्रिय है। में रोज़ शाम को अपने दोस्तों के साथ मेरी कॉलोनी के मैदान में क्रिकेट खेलने जाता हूँ। वहां और भी कई सारे बच्चे खेलने आते हैं। हॉकी के दिग्गज खिलाड़ी विराट कोहली मेरे आदर्श खिलाड़ी हैं। मैं उनसे बहुत प्रेरणा हासिल करता हूँ।
मेरा प्रिय खेल हॉकी खेल के नियम
हॉकी के खेल का मैदान आयताकार होता है। जिसकी लंबाई 91 दशमलव 40 और चौड़ाई 54 दशमलव 24 मीटर होती है। मैदान में खींची गई सभी रेखाओं की लंबाई को 8 सेंटीमीटर का रखा जाता है। मैदान की चौड़ी लाइन को गो कहलाती है। मैदान की लंबी लाइन साइड लाइन कहलाती है।
मैदान के दोनों तरफ लाइनों के बीच में ही आकार का क्षेत्र बनाया जाता, इन दोनों के पीछे गेंद को जाने से रोकने के लिए नेट लगाई जाती है, महिलाओं के हॉकी खेलने का मैदान इस पुरुषो के मैदान से कुछ छोटा होता है। हॉकी का खेल 75 मिनट के लिए खेला जाता है। जिसके लिए मध्यांतर 5 मिनट का रखा जाता है। हॉकी की बॉल का वजन 163 ग्राम न्यूनतम होना चाहिए और यह सफेद रंग की होती है, हॉकी के खेल की दंडी को स्टिक कहा जाता है।
मेरा प्रिय खेल हॉकी कैसे खेलते हैं?
हॉकी खेलने के लिए दोनों टीमों में 11 खिलाड़ियों को रखा जाता है फिर को निष्पक्ष तरीके से और खेल की भावना से करवाने के लिए दो अंपायरों को खेल पर निगरानी रखनी होती है। बाल को हमेशा छड़ी की मदद से ही मारना होता है हाथ से पैर से छड़ी को मारना अंकों की कटौती करवा सकता है।
चलते खेल के दौरान किसी भी टीम को तीन से अधिक खिलाड़ी बदलने का मौका नहीं दिया जाता है। खिलाड़ियों को स्टिक की मदद से बॉल को विपक्षी टीम के नेट में डालने का प्रयास करना होता है। जिस टीम के पास सबसे ज्यादा अंक होते हैं, उस टीम को विजेता घोषित कर दिया जाता है।
मेरा प्रिय खेल बास्केटबॉल (Mera Priya Khel Basketball Essay in Hindi) :
मेरा प्रिय खेल बास्केटबॉल है। यह खेल मुझे अत्यंत प्रिय है। में रोज़ शाम को अपने दोस्तों के साथ मेरी कॉलोनी के मैदान में बास्केटबॉल खेलने जाता हूँ। वहां और भी कई सारे बच्चे खेलने आते हैं। बास्केटबॉल के दिग्गज खिलाड़ी माइकल जॉर्डन मेरे आदर्श खिलाड़ी हैं। मैं उनसे बहुत प्रेरणा हासिल करता हूँ।
मेरा प्रिय खेल बास्केटबॉल खेल के नियम
बास्केटबॉल एक इंडोर गेम है, यानी इसे स्टेडियम के अंदर ही खेला जाता है इसका मैदान आयताकार और ठोस सतह वाला होता है। इसके मैदान की चौड़ाई 15 मीटर और लंबाई 28 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। बास्केटबॉल के मैदान को कोर्ट कहा जाता है और इस मैदान के चारों तरफ दो 2 मीटर की एक रेखा खींची जाती है।
यह खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है और हर टीम में 5 खिलाड़ी होते हैं। यह खेल 50 मिनट तक खेला जाता है जिसमें 2 पारियां होती है, प्रत्येक पारी 20 मिनट की होती है, और मध्यांतर को 10 मिनट का रखा जाता है, बास्केटबॉल की गेंद का भार 625 ग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
मेरा प्रिय खेल बास्केटबॉल कैसे खेलते हैं?
मैदान के दोनों तरफ एक खंबे पर जाली या नेट का खुली हुई थाली के समान बास्केट होता है और खिलाड़ियों को विपक्षी बास्केट में गेंद को डालकर ज्यादा से ज्यादा शेयर करना होता है। खेल के दौरान प्रतीक टीम अपने विपक्षी टीम में गोल करने और अपनी बास्केट की सुरक्षा करने का काम करती है। इस खेल में गेंद को पैरों से मारने का प्रावधान नहीं है।
इस खेल में गेंद को विशुद्ध रूप से केवल हाथों की सहायता से ही बास्केट में डाला जा सकता है और बोल को पास किया जाता है। खिलाड़ी बॉल को अपने पास 30 सेकंड से ज्यादा समय तक रोक कर नहीं रख सकता है। प्रत्येक गोल पर की टीम को 2 अंक दिए जाते हैं, खेल तभी प्रारंभ होता है जब दोनों टीम के पांचों खिलाड़ी मैदान पर होते हैं।
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