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खिलजी वंश का इतिहास (Khilji Vansh in Hindi)

Khilji Vansh मध्य काल का दिल्ली सल्तनत पर हुकूमत करने वाला एक मुस्लिम राजवंश था जिसकी स्थापना जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने सन 1290 में गुलाम वंश के आखिरी शासक समसुद्दीन क्यूमर्श की धोखे से मारकर की थी। Khilji Vansh का शासन काल सिर्फ 30 सालो का था Khilji Vansh का पहला शासक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी था।

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (Jalal-ud-din Khalji in Hindi) :

  • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का जन्म 12 अक्टूबर 1220 अफगानिस्तान के छोटे से गांव कळत-ए-गिलजे में हुआ था। इसका बचपन गरीबी में गुजरा, अपनी से परेशान होकर हिन्दुस्तान आने का फैसला किया और यहाँ आके उसने एक सैनिक के रूप में नौकरी शुरू कर दी, अपनी काबिलियत के दम पर वो जल्दी ही सेनापति बन गया।
  • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने गुलाम वंश के शासक समसुद्दीन क्यूमर्श की अयोग्यता को देखकर उसे धोखे से मार दिया। इस तरह जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने Khilji Vansh की स्थापना की।
  • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी दिल्ली सल्तनत का ऐसा प्रथम मुस्लिम शासक था, जिसने हिन्दु धर्म के लोगो के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण अपनाया और हिन्दू लोगो पर लगने वाले जजिया कर को भी हटा दिया था।
  • मंगोलिया से आए कुछ मुस्लमान दिल्ली में बसना चाहते थे इस फरियाद को लेकर जब वो जलालुद्दीन फिरोज खिलजी के दरबार में गए तो जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने उन्हें दिल्ली में बसने के लिए कुछ जमीन दे दी, इन मंगोल मुसलमनो को बाद में नवीन मुसलमान कहा गया।
  • सन 1290 में जलालुद्दीन की अलाउद्दीन खिलजी के बीच कुछ बहस हो गई इससे आग बबूला होकर अलाउद्दीन खिलजी ने अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या कर दी। और खुद Khilji Vansh का अगला सुल्तान बन गया।

ये भी पढ़े –

  • गुलाम वंश का इतिहास
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अलाउद्दीन खिलजी (Jalaluddin khilji in Hindi) :

  • अलाउद्दीन खिलजी का जन्म 1266-67 ई. अफगानिस्तान में हुआ था। उसके पिता का नाम शिहाबुद्दीन खिलजी था, जोकि Khilji Vansh के शासक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी का भाई था। तो इस तरह जलालुद्दीन खिलजी रिश्ते में अलाउद्दीन खिलजी का चाचा था।
  • जब जलालुद्दीन फिरोज खिलजी 1290 में दिल्ली का सुल्तान बना तब उसने अपनी बेटी की शादी अल्लाउद्दीन के साथ करा दी और उसे अपने दरबार में अमीर-ए-तुजक पद उपहाड में दे दिया । 1291-92 ई. बलबन समर्थक मलिक छज्जू ने जलालुद्दीन खिलजी के खिलाफ विद्रोह कर दिया तब जलालुद्दीन खिलजी ने अलाउद्दीन को विद्रोह का दमन करने के लिए भेजा, अल्लाउद्दीन खिलजी ने अपनी काबिलियत का परिचय देते हुए आसानी से इस विद्रोह को कुचल दिया। इस युद्ध के जीत की ख़ुशी में जलालुद्दीन ने उसे कड़ा मानिकपुर का सूबेदार नियुक्त बना दिया।
  • Khilji Vansh के सुल्तान जलालुद्दीन के आदेश पर सन 1292 ई. में अलाउद्दीन ने भिलसा पर आक्रमण करके वहां का सारा खजाना लूट लिया।
  • सुल्तान जलालुद्दीन से छिपाकर 1294 ई. में अलाउद्दीन ने देवगिरि पर आक्रमण किया और देवगिरि के राजा को हराकर वहां से अपार धन सम्पत्ति प्राप्त की। जब इस बात का पता जलालुद्दीन खिलजी को चला तो उसने अल्लाउद्दीन खिलजी को दरबार में उपस्थित होकर देवगिरि से लुटे हुए सारे धन को राज्य खजाने में जमा कराने को बोला, जब अल्लाउद्दीन खिलजी दरबार में उपस्थित होकर देवगिरि से लुटा हुआ सारा धन राज्य के खजाने में दे दिया। इसके बाद जलालुद्दीन ने रात में एक जलसा रखा था इस जलसे के दौरान जलालुद्दीन खिलजी की अलाउद्दीन खिलजी के साथ बहस हो गई,इसके बाद 19 जुलाई, 1296 को धोखे से सुल्तान जलालुद्दीन की हत्या करके अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत और Khilji Vansh का नया शासक बन गया।
  • अलाउद्दीन की सेना जब गुजरात अभियान पर थी तब सेना का नेतृत्व नुसरत खां कर रहे थे, वहां पर उसने मालिक काफूर को देखा जो की एक गुलाम था उसकी प्रतिभा को देखकर नुसरत खान अचंभित रह गया, उसने उस गुलाम मालिक काफूर को एक हजार दीनार में खरीद लिया। ये मालिक काफूर आगे चलकर अपनी प्रतिभा के बल पर Khilji Vansh की सेना में सेनापति बना गया। मालिक काफूर को एक हजार दीनार में ख़रीदा गया था इसलिए कुछ इतिहासकार मालिक काफूर को ‘हजारदीनारी’ भी कहते है ।
  • अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत और Khilji Vansh का प्रथम सुल्तान था, जिसने दक्षिण भारत के राज्यों पर विजय पताका फहराई। अल्लाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति मालिक काफूर को देवगिरि राज्य पर आक्रमण करने को भेजा। मालिक काफूर की सेना को देखकर देवगिरि राज्य के राजा रामचंद्र देव ने बिना लड़े ही आत्मसमपर्ण कर दिया। इसके बाद कर्नाटक राज्य पर आक्रमण करके उस भी Khilji Vansh के अंदर मिला लिया। मालिक काफूर यही नहीं रुका, उसने तेलंगाना राज्य पर भी भीषण आक्रमण करके उसे भी Khilji Vansh में मिला दिया।
  • अलाउद्दीन खिलजी कुतुबमीनार से भी बड़ी मीनार बनाना चाहता था इसलिए उनसे सन 1311 ई. में कुतुबमीनार के ही निकट उससे दो गुने आकार की एक मीनार बनवाने का कार्य प्रारम्भ किया था, परन्तु वह उसे पूरा नहीं कर सका, उससे पहले ही उसकी मृत्यु हो गई थी।
  • अलाउद्दीन खिलजी मंगोलो के बार बार होते आक्रमणों से परेशान हो गया था इसलिए उसने अपनी सेना को मजबूत बनाने का निश्चय किया ताकि वो मंगोलो के आक्रमणों को रोक सके। अपनी सेना को मजबूत बनाने के लिए उसने अपनी बाजार नियंत्रण प्रणाली पर जोर दिया। उसने राज्य के कर व्यवस्था को नियन्त्रण के लिए दीवान-ए-रियासत, शहना-ए-मण्डी की नियुक्ति की। इससे राज्य की आय में वृद्धि हुई, अलाउद्दीन ने अपनी सेना को मजबूत बनाया। उसने मंगोलो के चार आक्रमणों को विफल कर दिया।
  • अलाउद्दीन ने अलाई दरवाजा, हॉज खास, सीरी फोर्ट, जमात खाना जैसी बड़ी बड़ी मस्जिदो का निर्माण करवाया।
  • कुछ इतिहासकार उसे भारत का सिकन्दर भी कहते है। क्युकी उसने मंगोलो के आक्रमण को सफलतापूर्वक रोका। अल्लाउद्दीन खिलजी ने Khilji Vansh की सीमओ को उत्तर में कश्मीर और दक्षिण में तेलंगाना और कर्नाटक फैलाया था।
  • अल्लाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था, जिसने पहली बार स्थायी सेना की स्थापना की और अपने सैनिकों को नकद वेतन दिए जाने की शुरूआत की। पहली बार घोड़ों को दागने की प्रथा तथा सैनिकों के लिए ‘हुलिया प्रणाली’ की शुरूआत अल्लाउद्दीन खिलजी ने की थी ।

क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी (Qutbuddin Mubarak Shah in Hindi) :

क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी Khilji Vansh का आखिरी शासक था। अपने पिता अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बाद 1316 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठ था। लेकिन क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी अपने पिता की तरह चालाक और काबिल नहीं था इसी चीज का फायदा उसके प्रधानमंत्री ने उठाया और 1320 ईस्वी में इसकी हत्या कर दी और इस खिलजी वंश का अंत हो गया।

khilji Vansh ka Sansthapak kaun tha?

khilji Vansh ka Sansthapak जलालुद्दीन फिरोज खिलजी था उसने गुलाम वंश के आखिरी शासक समसुद्दीन क्यूमर्श को धोखे से उसकी हत्या करके खिलजी वंश की स्थापना की। दिल्ली सल्तनत पर खिलजी वंश की हुकूमत 1290 से 1320 तक की थी।

Khilji Vansh ka Aakhri Shasak kaun tha?

Khilji Vansh ka aakhri Shasak कुतुबुद्दीन मुबारक शाह था वो वो शासन चलाने के काबिल नहीं था। इसलिए प्रधानमंत्री हत्या कर दी थी

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