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जयपुर का किला (Jaipur Forts History in Hindi)

राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने स्थापत्य के लिए विशिष्ट तौर पर जाना जाता है। गुलाबी नगरी जयपुर में स्थापत्य कला के नमूने अतुल्य है और उनमें से एक है जयपुर का किला जिसे जयगढ़ भी कहते हैं। आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे जयपुर के किले के बारे में तो इस पोस्ट को अंत तक ज़रूर पढें।

जयपुर का किला (Jaipur Forts History in Hindi) :

ऐसी मान्यता है कि आमेर के दक्षिण की तरफ वाले पहाड़ पर महाराज मानसिंह प्रथम ने सोलह सौ ईसवी में एक किला बनवाना शुरू किया था। महाराजा मानसिंह प्रथम के बाद उनके उत्तराधिकारीयों मिर्ज़ा राजा जयसिंह और सवाई जयसिंह के द्वारा इस किले का निर्माण कार्य पूरा करवाया गया। मिर्ज़ा राजा जयसिंह के नाम पर इस नए किले का नाम जयगढ़ रखा गया।

राजस्थान के कुछ इतिहासकारों का मानना है कि आमेर के शासक मिर्ज़ा राजा जयसिंह ने ही इस किले का निर्माण करवाया था और उन्हीं के नाम पर इस किले का नाम जयगढ़ पड़ा।

जयपुर किले का इतिहास (Jaipur Forts History in Hindi) :

जयपुर के शासकों के अकबर के समक्ष अधीनता स्वीकार कर लेने की वजह से जयपुर पर कभी भी कोई बड़ा आक्रमण या सैन्य अभियान नहीं चलाया गया। यहां पर रखी गई एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी तोप जयबाण का भी इस्तेमाल सिर्फ एक ही बार किया गया था जब इसे बनाकर इसका परीक्षण करने के लिए ले जाया जा रहा था। इस किले का निर्माण 1727 में करवाया गया था।

लेकिन इस निर्माण के पीछे की सबसे बड़ी वजह थी आमेर किले की सुरक्षा और इसकी घेराबंदी। मुग़ल शासकों की अधीनता से पहले जयपुर पर कच्छवाहा नरेशों का शासन था लेकिन बाद में मुग़ल सल्तनत का हिस्सा बनने के बाद जयगढ़ को मुख्य रूप से मुग़ल सेना के लिए हथियार और शस्त्रों की आपूर्ति करने वाला किला बना दिया गया था।

जयपुर किले का स्थापत्य (Architecture of Jaipur Forts in Hindi) :

इसे लाल बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। जयपुर का किला तीन किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यहां से पूरे जयपुर का बहुत ही विहंगम दृश्य दिखाई देता है। चील का टीला नाम की पहाड़ी पर स्थित इस खूबसूरत किले के तीन मुख्य प्रवेश द्वार हैं।

पहला दरवाज़ा जिसे अवनी दरवाज़ा कहते हैं आमेर के महलों की तरफ जाता है। दूसरा दरवाज़ा डूंगर दरवाज़ा है जो नाहरगढ़ की तरफ जाता है और तीसरा दरवाज़ा भैरू दरवाज़ा कहलाता है। सवाई जयसिंह ने जयपुर किले में एक छोटा दुर्ग भी बनवाया था जिसे विजयगढ़ी कहते हैं।

जयपुर के किले में कई महल भी बनवाये गए हैं जिनमें राणावत जी का चौक, सूर्य मंदिर, ललित मंदिर, खिलबत निवास जिसे दीवान-ए-खास कहा जाता था, सुभट निवास जिसे दीवान-ए-आम भी कहा जाता था, आराम मंदिर, लक्ष्मी निवास और विलास मंदिर प्रमुख हैं। जयपुर के किले में दो प्राचीन मंदिर भी बनवाये गए थे जो पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र हैं।

ये भी पढ़े –

  • बीकानेर का किला
  • जोधपुर का किला
  • आमेर का किला

जयपुर किले का विशेषता (Jaipur Forts Feature in Hindi) :

जयपुर का किला के अंदर मध्यकालीन भारत का एक विशाल संग्रहालय भी बना हुआ है। इसी किले के अंदर उत्तरी भारत का एकमात्र तोपे बनाने वाला विशाल कारखाना भी था। इसी तोपखाने में सवाई जयसिंह द्वारा एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी तोप ‘जयबाण’ जिसे जयवान भी कहा जाता है, बनवाई गई थी जो वर्तमान में जयपुर किले में रखी हुई है। इस तोप की नाल बीस फुट लंबी है।

ऐसा माना जाता था कि इस किले में आमेर और जयपुर के कच्छवाहा शासकों का राजकीय खज़ाना भी रखा हुआ था। भारत की आज़ादी के बाद जब सन उन्नीस सौ पिचहत्तर में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा आपातकाल लगाया गया था तब इस किले में एक उन्होंने एक बहुत बड़ी सैन्य टुकड़ी भेज कर व्यापक स्तर पर खुदाई अभियान चलाया था।

हालांकि इस खुदाई अभियान से कोई खज़ाना तो नहीं मिल पाया लेकिन इसकी वजह से जयपुर का किला कुछ समय के लिए देश विदेश में चर्चा का मुख्य विषय ज़रूर बन गया था। इस किले में मनोरंजन के लिए बनवाया गया कठपुतली घर भी मौजूद है। इस दुर्ग की एक और विशेषता है इसके अंदर बनवाये गए पानी के विशाल टांके।

इसके छोटे दुर्ग विजयगढ़ी में सवाई जयसिंह ने अपने छोटे भाई विजयसिंह जो इतिहास में चिमाजी के नाम से जाने जाते हैं, को कैद में रखा था। जयगढ़ कुछ खास राजनैतिक कैदियों को रखने के लिए विशेषतः काम मे लिया जाता था। बाद में विजय गढ़ी को सिलह खाने यानी शस्त्रागार कर रूप में इस्तमाल किया जाने लगा। जयपुर के किला एक रहस्यमयी किला कहलाता था।

जयगढ़ कैसे पहुंचे? (How to reach Jaipur Forts in Hindi) :

  • जयपुर का किला पहुंचने के लिए आप बस, ट्रैन और हवाई जहाज़ से भी पहुंच सकते हैं।
  • जयपुर का किला घूमने के लिये अगर आप हवाई जहाज़ से आना चाहते हैं तो जयपुर के सांगानेर हवाई अड्डे के लिए भारत के सभी प्रमुख हवाई अड्डों से फ्लाइट की सुविधा है।
  • जयपुर का किला घूमने के लिए भारतीय पर्यटकों के लिए पैतीस रुपये प्रति व्यक्ति और विदेशी पर्यटकों के लिए प्रति व्यक्ति पिचासी रुपये का शुल्क रखा गया है। जयपुर का किला आप सुबह नौ बजे से लगाकर शाम के पांच बजे तक घूम सकते हैं। शनिवार के दिन यह रात के आठ बजे तक खुला रहता है।
  • अगर आप बस से जयपुर का किला घूमना चाहते हैं तो जयपुर के लिए आपको प्राइवेट और रोडवेज दोनों तरह की बसे मिल जाएंगी।
  • जयपुर के लिए भारत के हर प्रमुख रेलवे स्टेशन से आपको ट्रैन की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी।

जयपुर का किला किसने बनवाया?

जयपुर का किला मिर्जा राजा जयसिंह ने बनवाना शुरू किया और इसका निर्माण कार्य सवाई जयसिंह द्वितीय ने पूरा करवाया था।

एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी तोप कौन सी है?

एशिया महाद्वीप की सबसे बड़ी तोप का नाम जयपाल है जिसे जयपुर के किले में रखा गया है इसकी नाल की लंबाई 20 फीट है।

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