ब्रह्म देव को इस सृष्टि, पेड़ पौधे, और पृथ्वी का रचयिता कहा जाता है। आज हम इस पोस्ट के माध्यम से यह जानेंगे कि ब्रह्म देव की उत्पत्ति कैसे हुई? या दूसरे शब्दों में कहे तो ब्रह्मा जी का जन्म कैसे हुआ?
हमारे वेदों और पुराणों में भगवान ब्रह्मा को इस सृष्टि का रचयिता माना गया है। हमारे हिन्दू धर्म शास्त्रों में इस सृष्टि के संचालन के लिए त्रिदेवों की व्यवस्था की गई है। यह त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश। भगवान ब्रह्मा को इस सृष्टि का रचयिता, भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार और भगवान शिव यानी महेश को सृष्टि का विनाशक और संहारक माना गया है। लेकिन क्या आपको पता है इनकी उत्पत्ति कैसे हुई??
इस पोस्ट के माध्यम से हम सबसे पहले भगवान ब्रह्मा की उत्पत्ति के बारे में जानेंगे।
ब्रह्म देव की उत्पत्ति कैसे हुई? (How did Brahma born in Hindi) :
ब्रह्मा की उत्पत्ति को लेकर कईं कहानियाँ हमारे हिन्दू धर्म शास्त्रों में मिलती है जिनमें से कुछ का वर्णन हम यहां करेंगे।
प्रथम मान्यता के अनुसार – शतपथ ब्राह्मण के अनुसार ब्रह्मा का जन्म ‘ब्राह्मण’ नामक परमसत्ता शक्ति जिसे सर्वशक्तिमान या सर्वोच्च शक्ति भी कहा जाता है, और सर्वोच्च स्त्रैण ऊर्जा जिसे माया कहा जाता है की ऊर्जाओं के संयोजन से हुआ था। ब्राह्मण ने जब ब्रह्मांड बनाने के बारे में सोचा तो उन्होंने सबसे पहले पानी बनाया और उसमें अपने बीज को रखा। इस बीज से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई।
दूसरी मान्यता के अनुसार – ब्रह्मा की उत्पत्ति की अन्य मान्यता यह कहती है कि निराकार मूर्तिरहित परमब्रह्म ने अपने शरीर की ऊर्जा से शक्ति नामक स्त्रैण ऊर्जा की उत्पत्ति की। इन्हीं परब्रह्म ऊर्जा और शक्ति ऊर्जा ने वन में विचरते हुए यह इच्छा व्यक्त की कि उन्हें अपने जैसी एक और रचना करनी चाहिए जिसे हम सृष्टि के निर्माण और उसके कार्यभार का काम सौप सकें।
ऐसा विचार कर के एकेश्वर और शक्ति ने एकेश्वर के वाम अंग पर अमृत का लेप कर दिया। उस वाम स्थान से एक पुरुष रूपी काया प्रकट हुई। उसे सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा समस्त ब्रह्मांड में व्यापित होने के कारण आज से तुम विष्णु के नाम से जाने जाओगे। भगवान विष्णु की रचना करने के बाद परमसत्ता परब्रह्म ने अपने दाहिने अंग से ब्रह्मा को उत्तपन्न किया। और उत्तपन्न करते ही ब्रह्मा को विष्णु की नाभिकमल में अवस्थित कर दिया। इस तरह हिरण्यगर्भ यानी ब्रह्मा की उत्पत्ति विष्णु भगवान के उस नाभिकमल से हुई।
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तीसरी मान्यता के अनुसार – भगवान ब्रह्मा को हमारे हिन्दू धर्म शास्त्रों और पुराणों में निराकार, शरीर विहीन सदाशिव का पुत्र बताया गया है। एक बार की बात है भगवान विष्णु और ब्रह्म देव के बीच इस बात को लेकर तकरार हो गयी कि वे दोनों एक दूसरे के सृष्टिकर्ता और निर्माता हैं। ब्रह्म देव ने कहा मैं विष्णु का रचनाकर्ता हूँ और विष्णु भगवान ने कहा ब्रह्म देव की उत्पत्ति मेरे नाभि कमल से हुई है इसलिए मैं ब्रह्मा का सृष्टिकर्ता हूँ।
इस पर उन दोनों की बातें सुनकर निराकार परम् ब्रह्म उनके बीच में प्रकट हुए और उन्होंने उन दोनों को कहा कि तुम दोनों मेरे ही पुत्र हो। तुम दोनों का सृजन मैंने किया है। तुम दोनों का जन्म इस ब्रह्मांड और सृष्टि के नियमनुसार संचालन और पालन पोषण करने के लिए हुआ है। मैंने ब्रह्मा को इस विश्व की उत्पत्ति का काम सौंपा है। और विष्णु को इस विश्व के पालन पोषण का काम सौंपा है। शिव की उत्पत्ति इस विश्व में संहारक के रूप के लिए हुई है। अतः हे पुत्रों, तुम तीनों मेरा ही अंश हो। मैं ही इस ब्रह्मांड का रचयिता और निराकार परमब्रह्म सदाशिव हूँ।
हमें आशा है कि आप भगवान ब्रह्मा की उत्पत्ति कैसे हुई यह जान गए होंगे। हम आगे आने वाली पोस्ट्स में विष्णु भगवान की उत्पत्ति कैसे हुई और भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई, इसकी जानकारी भी शेयर करेंगे।