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गुलाम वंश का इतिहास (Gulam Vansh in Hindi)

Gulam Vansh मध्य भारत में दिल्ली सल्तनत पर राज करने वाला पहला मुस्लिम राजवंश था। तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद मोहम्मद गौरी ने दिल्ली सल्तनत की गद्दी कुतुबुद्दीन ऐबक को सौंपकर वापस अपने देश चला गया था। Gulam Vansh के शासको ने दिल्ली की सल्तनत पर 1206 से लेकर 1290 तक शासन किया था। इस पहले अभी तक कोई भी मुस्लिम वंश और किसी भी मुस्लिम शासक ने इतने वर्षो तक दिल्ली सल्तनत पर शासन नहीं किया था। Gulam Vansh की शुरुवात कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 में की थी।

कुतुबुद्दीन ऐबक (Qutb al-Din Aibak in Hindi) :

  • कुतुबुद्दीन ऐबक का जन्म सन 1150 में कज़ाकिस्तान नामक देश में हुआ था। कुतुबुद्दीन ऐबक का बचपन बहुत ही गरीबी में गुजरा। मोहम्मद गोरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को एक गुलाम के रूप में ख़रीदा था जो बाद में अपनी प्रतिभा के बल पर सेनानायक हो गया। कुतुबुद्दीन ऐबक ने लाहौर को पहले अपनी राजधानी बनाया थी और लेकिन लाहौर से कुतुबुद्दीन ऐबक को दक्षिण भारत के राज्यों को संभालने में दिक्कत आ रही थी तब कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली को दूसरी अपनी राजधानी को बनाया। कुतुबुद्दीन ऐबक ने मलिक तथा सिपहसालार जैसी उपाधियाँ भी धारण की।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने सन 1207 में सिपने कुतुबमीनार का निर्माण कार्य शुरू करवाया था। कुतुबमीनार का नाम इसमनद सूफी सन्त ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारत की प्रथम मस्जिद (कुव्वत-उल-इस्लाम) दिल्ली में और राजस्थान राज्य के अजमेर जिले मेंअढ़ाई दिन का झोंपड़ा बनवाया।
  • वर्तमान पाकिस्तान के लाहौर में कुतुबुद्दीन ऐबक चौगान (पोलो) खेलते हुए घोड़े से गिर गया था इसकी वजह से उसकी मृत्यु हो गई थी।

ये भी पढ़े –

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शम्सुद्दीन इल्तुतमिश (Shamsuddin iltutmish History in Hindi) :

  • कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के पश्चात् उसके पुत्र आरामशाह को Gulam Vansh के सिंहासन पर बैठाया गया, परन्तु आरामशाह अयोग्य और नाकारा शासक था जो दिल्ली सल्तनत सँभालने के काबिल नहीं था । इसलिए Gulam Vansh की गद्दी को कुतुबुद्दीन ऐबक के दामाद Shamsuddin iltutmish को सौपी गई।
  • Shamsuddin iltutmish कुतुबमीनार को बनवाकर पूरा किया और दिल्ली सल्तनत को सुदृढ़ व स्थिर बनाया।
  • ‘Shamsuddin iltutmish’ ने ‘इक्ता’ व्यवस्था शुरू की। इक्ता व्यवस्था के तहत दिल्ली सल्तनत के सभी सैनिकों व गैर-सैनिक अधिकारियों को नकद वेतन के बदले भूमि प्रदान करने का प्रचलन करवाया। यह भूमि ‘इक्ता’ तथा इसे लेने वाले ‘इक्तादार’ कहलाते थे। ‘इल्तुतमिश ने चाँदी के ‘टका’ तथा ताँबे के ‘जीतल’ का प्रचलन किया एवं दिल्ली में टकसाल स्थापित की।
  • Shamsuddin iltutmish दिल्ली का पहला मुस्लिम शासक था जिसने ‘सुल्तान’ उपाधि धारण कर स्वतन्त्र सल्तनत स्थापना की। उसने बगदाद के खलीफा से दिल्ली सल्तनत के सुल्तान रूप में मान्यता प्राप्त की थी और Shamsuddin iltutmish बग़दाद के खलीफा से मान्यता प्राप्त करने वाला प्रथम मुस्लिम शासक बना।
  • Shamsuddin iltutmish चालीस योग्य तुर्क सरदारों के एक दल जिसे ‘चालीसा’ नाम था उसका गठन किया, जिसने इल्तुतमिश की सफलताओं में अपना बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
  • 1221 ई. में चंगेज खाँ के नेतृत्व में मंगोल सेना, ख्वारिज्म के राजकुमार जलालुद्दीन मंगबरनी का पीछा करते हुए दिल्ली की सीमा तक आ पहुँची थी। ख्वारिज्म के राजकुमार जलालुद्दीन मंगबरनी ने Shamsuddin iltutmish से शरण देने विनती की। लेकिन इल्तुतमिश ने ख्वारिज्म के राजकुमार जलालुद्दीन मंगबरनी को दिल्ली में शरण देने से इन्कार कर दिया। इल्तुतमिश अपनी अकलमंदी और चतुराईपूर्वक नीति से दिल्ली सल्तनत को मंगोलों के आक्रमण से बचा लिया।
  • ‘इल्तुतमिश के चार पुत्र (बहराम शाह, अलाउद्दीन मसूदशाह तथा नासिरुद्दीन महमूद मिनहाजुद्दीन सिराज) और एक पुत्री (रजिया सुल्तान) थी उसके चारो बेटे सल्तनत चलाने के काबिल नहीं थे इसलिए इल्तुतमिश ने अपनी बेटी रजिया को Gulam Vansh का उत्तराधिकारी घोषित किया।

रज़िया सुल्तान (Razia Sultana in Hindi) :

  • रजिया दिल्ली सल्तनत की और Gulam Vansh की प्रथम व अन्तिम मुस्लिम महिला शासक थी। रजिया सुल्तान ने सैनिको की तरह अपनी वेशभूषा धारण की और मुस्लिम औरतो की तरह परदा करना बन्द कर दिया और रजिया सुल्तान हाथी पर चढ़कर जनता के बीच जाकर मेलजोल करना शुरू कर दिया।
  • रज़िया सुल्तान घोड़े पर बैठकर युद्ध लड़ने के लिए जाती थी। रजिया सुल्ताना ने अबीसीनिया का एक निवासी था जिसका नाम गुलाम मलिक जलालुद्दीन याकूत था उसको आवश्यकता से अधिक महत्त्व दिया और उसे ‘अमीर-ए-आखुर’ पद दिया। जो की दरबारों के अमीरो को अच्छा नहीं लगा इसलिए वो लोग रज़िया सुल्तान के खिलाफ साजिश रचने लग गए और इसी बीच एक बार रज़िया सुल्तान अपने पति के साथ जंगल से गुजर रही थी तभी स्थानीय लोगो ने उसपे हमला कर दिया और इसी लड़ाई के दौरान रज़िया सुल्तान की मौत हो गई।
  • रजिया की मौत के बाद उसके भाई बहराम शाह Gulam Vansh की गद्दी पर बैठा, उसके बाद Gulam Vansh का अगला शासक अलाउद्दीन मसूदशाह बना फिर नासिरुद्दीन महमूद ने शासन किया, परन्तु ये रज़िया के सारे भाई अयोग्य थे और Gulam Vansh को आगे बढ़ाने के काबिल नहीं थे इस बात का फायदा उठाकर बलबन ने इनसे सत्ता हथिया ली।

गयासुद्दीन बलबन (Ghiyas Ud Din Balban in Hindi) :

  • गयासुद्दीन बलबन जन्म 1207 में मध्य एशिया में हुआ था Ghiyas Ud Din Balban का बचपन गुलामी में बिता लेकिन बाद में वो अपनी काबिलियत के दम पर इल्तुतमिश के ‘चालीसा’ अर्थात् ‘चहलगानी’ का सदस्य बन गया । Ghiyas Ud Din Balban वास्तविक नाम बहाउद्दीन था Ghiyas Ud Din Balban ने नसीरुद्दीन महमूद को Gulam Vansh की गद्दी से हटाकर ग्यासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली सल्तनत और gulam vansh की गद्दी पर बैठा। पूर्व सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद ने Ghiyas Ud Din Balban को ‘उलूग खाँ’ की उपाधि प्रदान की।
  • बलबन के समय “चहलगानी” के सरदार बहुत ताकतवर हो गए थे और ये लोग दिल्ली सल्तनत के खिलाफ साजिश करने लग गए थे इसलिए Ghiyas Ud Din Balban ने उन सरदारों के खिलाफ ‘लौह एवं रक्त’ की नीति चलाई। इसके बाद Ghiyas Ud Din Balban ने ‘चालीसा’ को नष्ट कर दिया।

Gulam Vansh ka Sansthapak kaun tha? (Who was the founder of Gulam Vansh in Hindi) :

Gulam Vansh ka Sansthapak कुतुबुद्दीन ऐबक था। जब मोह्हमद गौरी ने तराइन के युद्ध में चौहान वंश के शासक पृथ्वीराज को हरा दिया था तब मोहम्मद गौरी ने दिल्ली सल्तनत की बागडौर कुतुबुद्दीन ऐबक के हाथो में दे दी गई थी। जब कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठा तो उसने गुलाम वंश की शुरुवात की।

Gulam Vansh ka Antim Shasak kaun tha? (Who was the Last Ruler of Gulam Vansh in Hindi) :

गुलाम वंश का अंतिम शासक Ghiyas Ud Din Balban का पुत्र समसुद्दीन क्यूमर्श था समसुद्दीन क्यूमर्श एक अयोग्य शासक था इसलिए खिलजी वंश के संस्थापक फ़िरोज़ खिलजी ने समसुद्दीन क्यूमर्श की हत्या कर दी और इस तरह 1290 में Gulam Vansh का अंत हो गया।

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