गाज माता की कहानी पढ़ने, सुनने और गाज माता का व्रत रखने से हमारी सारी इच्छाएँ पूरी होती है तो इसलिए गाज माता की कथा को पूरा पढ़े, गाज माता आपके मन की सारी मनोकामनाएँ पूरी करेगी।
गाज माता की कहानी (Gaaj Mata ki Kahani in Hindi) :
एक समय की बात है एक राज्य में एक राजा राज्य करता था। उस राजा के कोई संतान नहीं थी। दुनिया भर की धन-दौलत होने के बावजूद भी राजा-रानी की कोई संतान नहीं होने की वजह से वह दोनों बहुत दुखी रहते थे। एक दिन जब रानी अपने दास-दासियों और सैनिको के साथ राज्य भ्रमण करने निकली तो रास्ते में उन्होंने कुछ औरतों को पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करते हुए देखा तो उन्होंने अपने दासी से कहा कि वहां जाकर देखो कि वह औरतें क्या कर रही हैं? रानी की दासी कुछ समय बाद वापस आई और रानी से कहा कि ये औरतें तो किसी गाज माता की पूजा और गाज माता की कहानी कह रही थी।
ये भी पढ़े –
- एकलव्य की मृत्यु कैसे हुई? भगवान कृष्ण ने एकलव्य को क्यों मारा?
- हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ था?
- जानिए शनिदेव के जन्म की कथा, कैसे हुई शनिदेव की दृष्टि टेढ़ी?
हमने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि गाज माता का व्रत करने और गाज माता की कहानी कहने से गाज माता हमारी सारी इच्छाएं और सारी मनोकामना पूरी करती हैं। तब रानी ने वापस राजमहल आकर अपने मंदिर में जाकर भगवान के सामने बैठी और बोली हे, गाज माता अगर मैं माता बन गई तो मैं आपके नाम का कढ़ाई भर के हलवा बनाऊंगी और गाज माता की कहानी कहूँगी। गाज माता ने उसकी मन्नत सुनकर उसकी मनोकामना पूर्ण की। रानी गर्भवती हो गई नौ महीने के बाद राजा रानी के घर में एक बहुत ही सुंदर और हष्ट पुष्ट बालक ने जन्म लिया।
राजा रानी पुत्र पैदा होने की खुशी में इतना डूब गए की गाज माता से करी हुई मन्नत के बारे में वे दोनों भूल गए, रानी की इस बात पर गाज माता बहुत क्रोधित हो गई। गाज माता ने रानी को अपनी मन्नत याद दिलाने के लिए बहुत जोर की आंधी चलाई। रानी का बेटा जो आंगन में पालने में सो रहा था वह आंधी बालक को पालने सहित अपने साथ उड़ा कर ले गई। आंधी ने उस पालने को एक गरीब भील के घर के आगे रख दिया। जब भील और उसकी पत्नी जंगल से लकड़ियां काट कर वापस आए तो उन्होंने अपने घर के बाहर एक सुंदर बालक को पालने में रोते हुए पाया।
ये भी पढ़े –
- इस वजह से भगवान विष्णु ने लिया था मत्स्य अवतार
- जानिए धरती पे क्यों लेना पड़ा था भगवान विष्णु को राम अवतार
उन दोनों के भी कोई संतान नहीं थी तो उन्होंने इस बालक को भगवान का आशीर्वाद समझ कर अपना लिया। वे दोनों बड़े प्रेम से इस बालक का पालन पोषण करने लगे। उसी राज्य में एक धोबी रहता था। वह धोबी राजा और भील के कपड़े धोता था। जब वह धुले हुए कपड़े राज महल पहुंचाने गया तो उसने देखा कि वहां बहुत अफरा तफरी मची हुई है। जब उसने वहां के किसी सेवक से पूछा तो सेवक ने बताया कि राजकुमार अभी तो आंगन में पालने में सो रहे थे।
एक बड़ी जोर की आंधी आई और राजकुमार को पालने सहित उड़ाकर ले गई अब सब लोग यह कह रहे हैं कि गाज माता ने अपना प्रकोप बालक पर दिखाया। तब उस धोबी ने उस सेवक को बताया कि आज मैंने उस भील के घर के अंदर से एक बालक के रोने की आवाजें सुनी थी। बालक के रोने की आवाज आज से पहले उसके घर में कभी नहीं सुनाई दी थी। सेवक ने जब यह बात अपने राजा को बताई तो राजा ने अपने ढेर सारे सेवक उस भील और भीलनी को लाने भेजें।
ये भी पढ़े –
- कब, कैसे और कहां प्रकट हुए भगवान शिव, पढ़ें पौराणिक कथा
- राधा की मृत्यु कैसे हुई थी? – जानिए, असली सच्चाई
राजा के सेवक जब भील और भीलनी को राज महल ले आए, तब राजा ने उन्हें पूछा की तुम मुझे बताओ यह बालक पालने समय तुम्हारे आंगन में कैसे आया? तब भील ने बताया कि है महाराज मैं और मेरी पत्नी तो जंगल में लकड़ियां काटने गए थे। जब हम शाम को वापस आए तो हमने एक सुंदर बालक अपने घर के आगे पालने में सोते हुए पाया, हमारे कोई संतान नहीं है इसलिए हमने इस बालक को भगवान का आशीर्वाद समझ कर अपने बेटे की तरह पालना शुरू किया।
मैं और मेरी पत्नी दोनों ही गाज माता का व्रत करते हैं और गाज माता की कहानी कहते। है उन्हीं के आशीर्वाद स्वरुप हमें यह पुत्र प्राप्त हुआ है। रानी ने जैसे ही गाज माता का नाम सुना उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। रानी को तुरंत अपनी मन्नत याद आ गई कि कैसे उन्होंने गाज माता से मन्नत मांगी थी कि जब गाज माता उन्हें पुत्र देंगी तो वह गाज माता के नाम का कढ़ाई भर के हलवा बनाएंगी और गाज माता की कहानी कहेगी।
ये भी पढ़े –
रानियां बताने लगी कि मेरी ही भूल के कारण मैंने अपना बेटा गवा दिया। रानी अभिलाष कर की गाज माता से क्षमा याचना करने लगी कि है माता मुझे क्षमा कर दो मैं पुत्र मोह में भूल गई थी कि मुझे आपके नाम हलवा बनाना है और गाज माता की कहानी कहनी है, यह पुत्र तो आपका ही दिया हुआ है। मैं बहुत धूमधाम से आपकी मन्नत को पूरा करूंगी और गाज माता की कहानी कहूँगी।
हे माता मुझे मेरा पुत्र वापस दे दो, गाज माता ने रानी का विलाप और पश्चाताप सुनकर उसे क्षमा कर दीया। राजा और रानी ने भील दंपत्ति की ईमानदारी और सच्चाई से खुश होकर उन्हें ढेर सारा धन दान दिया। भील दंपत्ति को भी गाज माता की कृपा से एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
रानी ने राज महल में बहुत धूमधाम से गाज माता की सुंदर मूर्ति बनवाई और बड़े प्रेम से मूर्ति का श्रृंगार किया और गाज माता की कहानी कही। राजा ने राज्य में मुनादी फिर वादी की कल राज्य का कोई भी परिवार अपने घर खाना नहीं बनाएगा। पूरे राज्य के लोग दिन का पहला भोजन हमारे यहीं पर करेंगे।
राजा और रानी ने बड़े धूमधाम से अपनी मन्नत पूरी की और राधे के सभी लोगों ने राजमहल में आकर भोजन ग्रहण किया। सभी ने गाज माता को प्रणाम किया और सुख समृद्धि और लंबी आयु की कामना की है गाज माता आपने जिस प्रकार रानी से उसका पुत्र छीन कर दिल को दे दिया ऐसा किसी के साथ भी मत करना और आपने जिस तरीके से भील दंपत्ति के परिवार में सुख समृद्धि और खुशहाली का वातावरण किया बस सभी के घर में करना।
गाज माता की कहानी कहने वाले को और गाज माता की कहानी सुनने वाले को और गाज माता की कहानी का हुकारा भरने वाले की सभी की मनोकामना को पूरा करना। गाज माता अपनी कृपा दृष्टि हम सभी पर बनाए रखना।
।। बोलो गाज माता की जय ।।
Leave a Reply