परोपकार पर निबंध – भारतीय समाज में बच्चों को बचपन से ही अच्छे संस्कार देने का चलन रहा है बचपन से ही हमारे अंदर सद्भावना दया सहानुभूति और परोपकार जैसी अच्छी भावनाओं को साकार किया जाता है ताकि जब हम बड़े हो सके तो हम एक अच्छे इंसान बन पाए परोपकार की भावना इन सब में सर्वोपरि कही जा सकती है।
क्योंकि यही वह भावना है जिससे हम निस्वार्थ भाव से अपने समाज के सेवा और उन्नति कर पाते हैं इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज किस पोस्ट में हम परोपकार विषय पर कई निबंध लेकर आए हैं। अगर आप भी परोपकार पर एक बहुत ही सुंदर निबंध लिखना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।
परोपकार पर निबंध 10 lines (Essay on Paropkar in Hindi) :
- परोपकार मनुष्य को अच्छा व्यक्ति बनाने में मदद करता है।
- परोपकार की सहायता से इंसान दूसरों की मदद करना सीखता है।
- परोपकारी व्यक्ति कुछ शब्द रूपी सिंबल होता है का सब जगह सम्मान होता है।
- परोपकारी व्यक्ति सबके लिए पूजनीय होता है।
- एक परोपकारी इंसान है गरीब दुखी और मूक प्राणियों की मदद करने के लिए आगे आता है।
- छोटे बच्चों को परोपकार का महत्व बताकर उन्हें भी एक अच्छा नागरिक बनाया जा सकता है।
- परोपकार के सहायता से लोग अधिक से अधिक मात्रा में दूसरों की मदद करते हैं और समाज के बाकी लोगों के लिए आदर्श स्थापित करते हैं।
- परोपकार की भावना के साथ मनुष्य अपने ज्ञान दयालुता और सहानुभूति की मदद से अपने आसपास के लोगों को प्रेरित करते हैं।
- परोपकार की भावना रख कर ही हम दीन दुखियों की मदद कर पाने में सक्षम होते हैं।
- परोपकार मनुष्य को एक ज़िम्मेदार व्यक्ति और आदर्श नागरिक बनाता है।
परोपकार पर निबंध 150 शब्द (Essay on Paropkar in Hindi) :
मनुष्य का मानव जीवन बहुत ही मूल्यवान होता है। परोपकार की मदद से मनुष्य अपने जीवन को सार्थक बनाता है। परोपकार की मदद से हम अपने आसपास के लोगों की मदद करना सीखते हैं। प्रकृति में पैरों से लगाकर नदियों तक और मिट्टी से लगाकर पशु पक्षियों तथा हर कोई हमारी जरूरतों को पूरा करता है इसलिए इन सब की देखभाल करना और इन्हें संरक्षण देना हमारा कर्तव्य है।
भूखे लोगों को रोटी खिलाना, पक्षियों को दाना डालना, बुजुर्गों की मदद करना, अपने से बड़ों का आदर करना, लोगों से सम्मान पूर्वक बातकरना आदि चीजें एक परोपकारी मनुष्य ही कर सकता है। परोपकार से मनुष्य के जीवन में सील और नैतिकता का प्रवेश होता है। परोपकार की भावना मनुष्य जाति को सर्वधर्म समभाव का पाठ पढ़ाती है।
धरती और इस पर पाए जाने वाले सभी संसाधनों को नुकसान नहीं पहुंचाना भी एक परोपकारी व्यक्ति की पहचान है। परोपकार की मदद से हम अपनी सभ्यता में शांति और स्थिरता ला सकते हैं। अपनी शक्ति के अनुसार दूसरों की निस्वार्थ सेवा करना ही परोपकार का मुख्य अर्थ है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इस धरती पर मनुष्य के अस्तित्व का सबसे बड़ा कारण है। परोपकार की भावना का होना परोपकारी व्यक्ति कभी भी दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाता और सभी के साथ मिलजुल कर रहता है।
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परोपकार पर निबंध की प्रस्तावना (Essay on Paropkar in Hindi) :
हमारी भारतीय संस्कृति में दूसरों की मदद करना है और निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा में अपना सुख समझना सर्वोपरि कर्तव्य माना गया है। भारतीय संस्कृति में परोपकार की भावना को हमें बचपन से ही सिखाया जाता है। परोपकार की भावना रखने वाले व्यक्ति हमेशा समाज में सम्मान पाते हैं और ऐसे लोगों की निस्वार्थ भावना की वजह से समाज में भी वे आदर पाते हैं।
परोपकार का महत्व
परोपकार हमारी संस्कृति और परंपराओं में रचा, बसा एक बहुत ही अद्भुत शब्द है। परोपकार का शाब्दिक मतलब होता है दूसरों का उपकार करना या दूसरों की मदद करना। भारतीय परिवार में बच्चों को उनके बचपन से ही परोपकार की भावना पैदा करना सिखाया जाता है ताकि वे बच्चे बड़े होकर समाज में अपनी शक्ति के अनुसार दूसरों की मदद करके समाज सेवा में अपना योगदान दे सकें।
परोपकार की भावना रखने वाले लोग दूसरों के लिए आदर्श स्थापित करते हैं। परोपकार की भावना के होने की वजह से हम लोग नासिर मनुष्यों की बल्कि पशु पक्षियों की भी सहायता करने में सक्षम हो पाते हैं। दूसरों की मदद करने वाले लोग काम की बड़ाई नहीं करते हैं। जिस वजह से उन्हें निस्वार्थ सेवा भावना पैदा हो जाती है।
बचपन से ही बच्चों को परोपकार का महत्व सीखाने से वे शीलवान और दूसरे लोगों के साथ साथ प्रकृति, वन्यजीव और पक्षियों के प्रति विनयशील, दयावान और कोमल हृदय वाले व्यक्ति बनते हैं।
परोपकार की आवश्यकता
वर्तमान समय में मनुष्य भौतिक सुख सुविधाओं में इतना खो चुका है कि परोपकार दया करुणा जैसी भावनाएं लोग भूलते जा रहे हैं। घर-घर तक पहुंच चुके इंटरनेट की सुविधा ने लोगों के मन से करुणा दया परोपकार सहानुभूति जैसे भावों को निकाल दिया है। वर्तमान समय के लोगों में परोपकार की भावना और दया भावना देखने को नहीं मिलती है।
सड़क पर घायल किसी जीव को देखकर लोग उसके पास से होकर गुजर जाते हैं किसी व्यक्ति की दुर्घटना होने पर लोक सबसे पहले उसे अस्पताल पहुंचाने और प्राथमिक उपचार देने के बजाय फोटो और वीडियो लेने में ज्यादा मशगूल होते हैं।
दूसरों की मदद करना तो जैसे आज का इंसान भूल ही गया है इसीलिए लोगों के मन में परोपकार की भावना को फिर से जगाने के लिए उन्हें मानवीय मूल्य और नैतिक मूल्यों को सिखाने की जरूरत है और इसकी शुरुआत हम विद्यालयों में छोटे बच्चों को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देकर कर सकते हैं, इस प्रकार विद्यार्थियों में दया परोपकार की भावना तो पैदा होगी ही साथ ही साथ में बड़े होकर एक अच्छे और जिम्मेदार नागरिक भी बन सकेंगे।
परोपकार पर निबंध का उपसंहार (Essay on Paropkar in Hindi) :
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मनुष्य के जीवन में परोपकार दया और करुणा की भावना का होना बहुत ही जरूरी है। परोपकार की भावना से ओतप्रोत होकर ही मनुष्य एक दूसरे की मदद करने के लिए आगे आएंगे और इस प्रकार हमारा समाज उन्नति की ओर अग्रसर हो सकेगा।
लोगों के अंदर दूसरों के लिए दया और मदद की भावना जागृत करने के लिए घर के और परिवार के सदस्य को ही अपने बच्चों को यह सब सिखाने की पहल करनी होगी। इस इस प्रकार के प्रयासों को करने के बाद हम अपने बच्चों में परोपकार की भावना को जागृत करने में सफल हो सकेंगे।
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