स्वच्छता पर निबंध – हिंदी भाषा को पढ़ते समय हिंदी के व्याकरण को भी उतना ही अच्छे से पढ़ना पड़ता है। हिंदी व्याकरण में सन्धियाँ, समास, उपसर्ग, प्रत्यय, प्रार्थना पत्र, छंद और अलंकारों के साथ साथ पढ़ना पड़ता है निबन्ध। निबन्ध लिखने के भी कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करके ही आप एक अच्छा निबन्ध लिख सकते हैं। और आपको उन नियमों की जानकारी होनी चाहिये।
आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आये हैं स्वच्छता पर निबंध। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप अवश्य ही स्वच्छता पर निबंध विषय पर अच्छे से और एक आकर्षक निबन्ध लिख पाएंगे।
इस पोस्ट में आप स्वच्छता पर निबंध से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं जैसे स्वच्छता क्या है?, स्वच्छता का क्या अर्थ है? स्वच्छता की विशेषताएं, स्वच्छता की आवश्यक जैसे बिंदुओं पर भी अच्छे से निबन्ध लिख पाएंगे।
स्वच्छता पर निबंध : प्रस्तावना
स्वच्छता यानी साफ-सफाई। छोटे बच्चों को अक्सर साफ सफाई का महत्व सिखाया जाता है क्योंकि स्वच्छता की नीव छोटे बच्चों में बचपन से डालना जरूरी है। तभी आगे जाकर वे एक ज़िम्मेदार नागरिक बन सकेंगे। स्वच्छता मानव जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयाम है।
स्वच्छता पर निबंध : स्वच्छता क्या है?
अपनी, अपने परिवार की, अपने आस-पड़ोस की, व्यवहार की, देश की, गांवों की, आचार विचार की, सोच की, वाणी की, कपड़ों की और साथ ही साथ शरीर की साफ सफाई रखना स्वच्छता कहलाती है। स्वच्छता को अपना कर हम अपने समाज और अपने घरों को एक बीमारी मुक्त जगह बनाते हैं।
स्वच्छता पर निबंध : स्वच्छता का अर्थ
स्वच्छता का सबसे आसान मतलब है साफ सफाई। स्वच्छ माहौल स्वस्थ जीवन जीने का सबसे पहला कदम होता है। स्वच्छता का अर्थ यह भी लगाया जा सकता है कि शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, राजनैतिक, आध्यत्मिक और सांस्कृतिक परिवेशों से ऐसे तत्वों को हटाना, जिनकी वजह से हमारा देश और हमारा समाज संक्रमित होता है।
ऐसे लोगों को आचार और ईमानदारी का पाठ पढ़ाना जो अपने देश के प्रति अपना कर्तव्य नहीं समझते। ऐसे माहैल को बढ़ावा देना, जिसमें हर व्यक्ति खुद को भारत का ज़िम्मेदार और देशभक्त नागरिक समझ कर अपने देश को बीमारी मुक्त और गंदगी मुक्त बनाने की दिशा में लगा रहे।
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स्वच्छता पर निबंध : स्वच्छता की आवश्यकता
हमारे प्राचीन शास्त्रों और धर्म ग्रन्थों में भी साफ सफाई के महत्व के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है। अगर आपने अपनी सामाजिक विज्ञान की किताब में ध्यान दिया होगा तो आपने हड़प्पा सभ्यता के बारे में तो ज़रूर पढा होगा। हड़प्पा और मोहेंजोदड़ो की नगर योजना को ऐसा बनाया गया था, कि घरों से निकले दूषित और गंदे पानी की निकासी के लिए ढकी हुई और भूमिगत नालियों का आविष्कार किया गया था।
सड़कों के किनारे कूड़ेदान लगाए गए थे और सड़कों के चारों तरफ पेड़ पौधे लगाने के प्रमाण भी पाए गए हैं ,तो इस समय यह पता चलता है कि जब 5000 साल पहले के लोग स्वच्छता के लिए इतने ज्यादा जागरूक थे, तो वर्तमान में लोगों की कचरा फैलाने की आदत को कैसे कम किया जा सकता है? भारत में गांव शहरों मैं हम जगह-जगह कचरे के ढेर देखते हैं।
जहां पर मक्खियां गाय कुत्ते घूमते रहते हैं। आजादी से पहले और बाद में भी कई बार प्लेग जैसी महामारी फैलने के साक्ष्य मिलते हैं। ऐसे बीमारियों की वजह से उस वक्त हजारों लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और यह बीमारी ऐसे ही कूड़े और कचरे के ढेरों के निस्तारण ना होने की वजह से फैली थी। तो अपने इतिहास से प्रेरणा लेकर हम अपना घर अपना आस-पड़ोस साफ तो रखी सकते हैं।
ऐसे लोगों को जागरूक करने की जरूरत है जो गली के एक तरफ कचरे के ढेर को बढ़ावा देते रहते हैं और बीमारियों को न्योता देते हैं मलेरिया डेंगू और कई सारी ऐसी बीमारियां हैं जो गंदगी की वजह से फैलती है खासकर बारिश के मौसम में विदेशों में गलियों और सड़कों की साफ-सफाई के लिए और कचरा फैलाने के लिए बहुत ही कठोर नियम बनाए गए हैं। भारत को ऐसे देशों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
कचरे का निस्तारण और इसे फैलने से रोकना कोई ऐसा काम नहीं है। जिसमें हजारों करोड़ों रुपए खर्च होते हो आवश्यकता है तो बस लोगों को जागरूक करने की और कड़ाई से नियमों का पालन करवाने की।
स्वच्छता पर निबंध : स्वच्छता का महत्व
साफ जगहों पर रहने से मन प्रसन्न रहता है। बीमारियां तो दूर रहती ही हैं, ऐसी जगहों पर रहने का भी मन करता है। स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा देकर हम अपने घर और आस पड़ोस कनकई सारी बीमारियों से तो ऐसे ही बचा लेंगे। साफ सफाई का एक और महत्वपूर्ण योगदान यह है कि लोग अपने रहने की जगहों के आस पास भी सफाई रखना सीख गए हैं। पहले से ज़्यादा लोग अब सफाई के प्रति जागरूक हुए हैं।
स्वच्छता का एक सकारात्मक पहलु यह भी है कि लोग अब चलते फिरते कहीं भी कचरा नहीं फैलाते हैं। हर जगह कूड़ेदान लग जाने की वजह से लोग उसका इस्तमाल करना सीख गए हैं। स्वच्छता के महत्व को इस बात से समझ सकते हैं कि जब लोग साफ़ रहते हैं साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं तो उन्हें देखकर मन प्रसन्न होता है।
साफ सुथरा घर मेहमानों को भी अच्छा लगता है और वहां रहने वाले लोगों को आत्मिक प्रसन्नता प्रदान करता है। हमारी भारतीय संस्कृति साफ-सफाई को बहुत ज्यादा महत्व देती है और इसीलिए हमारे धर्म शास्त्रों ने साफ सफाई के महत्व को बढ़ावा देने के लिए यह बात बताइ कि जिस घर में साफ सफाई होती है स्वच्छता होती है जिस घर के लोग साफ-सुथरे रहते हैं वहां लक्ष्मी का निवास होता है और यह सच भी है।
अगर लोग साफ-सुथरे नहीं रहेंगे स्वच्छ नहीं रहेंगे तो उनमें आलस कामना करने की इच्छा नहीं रहती और ऐसे लोग मेहनत से पैसा कमाने की जगह ऐसे काम कर बैठे हैं। जो अवैध कहलाते हैं इसलिए सस्ता कमाना जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है। स्वच्छ लोग से लोगों से बात करना उनके आसपास रहना सभी के मन को प्रसन्नता देता है तो इस प्रकार हम भी साफ-सुथरे रहकर अपने आसपास की जगह में खुशियां और स्वच्छता के महत्व का संदेश फैला सकते हैं
स्वच्छता पर निबंध : स्वच्छता के लिए भारत में शुरू की गई योजनाएं
स्वच्छता पर निबंध : स्वच्छ भारत अभियान
स्वच्छता के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए हमारे देश भारत के 15 हवे प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने एक राष्ट्रीय आंदोलन चलाया जिसे प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत अभियान को 2 अक्टूबर 2014 को पूरे भारत में लागू किया था। इस अभियान को शुरू करने के लिए उन्होंने स्वयं नई दिल्ली के किला के वाल्मीकि बस्ती से सफाई अभियान को शुरुआत कर लोगों को भी अपने आस-पड़ोस को साफ सुथरा रखने का संदेश दिया गया था।
जिसके बाद भारत के कई बड़े नेताओं और नामी-गिरामी हस्तियों ने अपने आसपास के इलाकों में सफाई अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने और प्रेरणा देने का काम किया था। स्वच्छ भारत अभियान के अलावा भारत में प्रधानमंत्री शौचालय योजना का भी आगाज किया गया। प्रधान मंत्री कोष से भारत के उन घरों को कुछ धनराशि दी गई, जो खुले में शौच जाने को मजबूर थे। आज उनके घरों में शौचालय नहीं थे।
इस सारी शौचालय योजना की सफलता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज भारत के लगभग सभी गांव में ज्यादातर घरों में शौचालय है। और लोगों ने खुले में शौच जाने को पूरी तरीके से बंद कर दिया है।
इसके अलावा सरकार ने कई बार प्लास्टिक की थैलियों पर रोक लगाने के लिए कानून बनाए लेकिन लोग इसका कड़ाई से पालन नहीं करते भारत के कुछ राज्यों में इसे अनिवार्य कर दिया गया है और लोगों को प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल पूरी तरीके से बंद कर दिया गया है।
लेकिन इस दिशा में अभी बहुत काम करना बाकी है। प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो हमेशा ऐसा ही रहता है। प्लास्टिक की थैलियों की वजह से धार्मिक स्थलों पर्यटन स्थलों समुद्री किनारे झरने आशिक और ऐसी कई सारी जगहों पर प्लास्टिक की वजह से प्लास्टिक उनकी मृत्यु का कारण बन जाती है।
इसलिए यह हमारा मौलिक कर्तव्य है कि हम मानव प्रजाति के साथ-साथ दूसरी प्रजातियों के वी के संरक्षण की दिशा में भी काम करें जिससे प्रकृति का समन्वय और संतुलन बना रहे इसके लिए हम प्लास्टिक की थैलियों की जगह कपड़े की थैली और कागज की थैलियों का इस्तेमाल कर सकते हैं कपड़े की थैलियां तो हम घर पर भी बना सकते हैं और इन से पर्यावरण को कोई नुकसान भी नहीं होता।
इसी प्रकार भारत सरकार ने एक और अभियान चलाया था जिसे वृक्षारोपण अभियान कहा जाता है भारत की कई स्कूलों कॉलेजों सरकारी कार्यालयों मैदानों और सार्वजनिक बागों में लोगों ने बहुत उत्साह से वृक्षारोपण किया था विश्व पर्यावरण दिवस पर भी बहुत सारे लोग उत्साह रोपण करते हैं लेकिन फिर भी हम अभी उतना रुक लगाने में सफल नहीं हो पाए हैं जितने कि भारत में होने चाहिए हमें वृक्षारोपण की दिशा में भी अभी बहुत काम करना बाकी है।
स्वच्छता पर निबंध : निष्कर्ष
इस प्रकार हमने स्वच्छता पर निबंध में जाना कि साफ सफाई और स्वच्छता का मनुष्य जीवन में क्या महत्व है? बिना साफ सफाई रखें मानव जाति उन्नति नहीं कर सकती है प्रकृति और अपने आसपास का वातावरण साफ रखना हमारी पहली जिम्मेदारी है क्योंकि यही हमारे भविष्य को भी निर्धारित करती है।
अगर आज हम अपने धरती और अपने वातावरण को इतना प्रदूषित कर देंगे कि आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती एक ना रहने योग्य जगह बन जाए ऐसी परिस्थितियां ना बने उसके लिए हमें चाहिए कि हम अपने अपने घरों की अपनी गलियों सड़कों गांवों शहरों और अपने देश की साफ सफाई का ध्यान रखें और इस प्रकार हम भारत को एक स्वच्छ सुंदर स्वस्थ देश बनाने में अपना योगदान दे सकेंगे।
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