दहेज प्रथा पर निबंध – भारत प्राचीन काल में विश्व का सबसे सभ्य और विकसित देश के रूप में जाना जाता था। भारत की छवि ऐसी पता लगाई जा सकती है कि म्यानमार, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि जगहों पर भी हिंदू सभ्यता के होने के प्रमाण मिले हैं। लेकिन यही हिंदू सभ्यता अपने ही देश भारत में इतने विकृत होती चली गई की आज भारत के ही लोगों द्वारा अपने ही समाज को बुरा बताया जा रहा है।
समाज में स्वस्थ, बदलाव और शेर ताल आने के लिए बनाई गई परंपराओं मैं इतना विकृत रूप धारण कर लिया है कि संविधान में कानून बनाने के बावजूद इनका आज तक कोई तरीके से उन्मूलन नहीं हो पाया है। ऐसे ही एक सामाजिक बुराई है दहेज प्रथा।,
दहेज प्रथा जैसी बुराई के ऊपर विस्तार से प्रकाश डालने के लिए और लोगों को इस बारे में जागृत करने के लिए ही आज की पोस्ट में हम दहेज प्रथा पर निबंध सरल भाषा में प्रस्तुत कर रहे हैं हमें आशा है कि दहेज प्रथा पर निबंध पढ़कर आपको भी दहेज प्रथा जैसी बुराई के उन्मूलन के लिए प्रेरणा मिलेगी।
दहेज प्रथा पर निबंध की प्रस्तावना (Dahej Pratha Essay in Hindi) :
दहेज प्रथा वर्तमान भारत की सबसे बड़ी सामाजिक बुराइयों में से एक है। भारत में सभी धर्मों के सभी संप्रदायों के लोग अपने बेटे को दहेज देते हैं। कुछ संपन्न लोग इसे अपनी इच्छा और बेटी के प्रति प्यार समझते हैं। लेकिन कुछ मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए दहेज एक बोझ बन जाता है। लड़की वालों की बढ़ती हुई मांगों को पूरा करने के लिए पिता लाखों का कर्जा ले लेते हैं और इस करके तले उनकी पूरी जिंदगी निकल जाती है।
लेकिन दहेज प्रथा का औचित्य आखिर क्या है? क्यों समाज के लोगों ने इसे इतना बढ़ावा दे रखा है कि यह बेटियों की जान तक लेने पर उतारू हो जाता है। एक दंपत्ति अपनी बेटी को पाल – पोस कर बड़ा करते हैं उसकी शादी करवाते हैं और ससुराल वालों की मांगों के आगे उन्हें मजबूरन झुकना पड़ता है और बेटे के ससुराल वाले उनकी इस मजबूरी का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, इस सामाजिक बुराई का जल सेजल उन्मूलन होना आवश्यक है।
दहेज प्रथा का इतिहास (History of Dahej Pratha in Hindi) :
दहेज प्रथा के सबसे पुराने प्रमाण वैदिक काल से प्राप्त होते हैं। लेकिन यह प्रमाण आज की दहेज प्रथा से किसी भी तरह से संबंध रखते नहीं दिखाई देते हैं। वैदिक कालीन समाज में पिता द्वारा अपनी बेटी को उसके विवाह के समय एक या दो उपहार दिए जाते थे। जिस पर उसकी बेटी के ससुराल वालों का कोई अधिकार नहीं होता था।
विदाई से पहले तक यह भी तय नहीं किया जाता था कि पिता अपने पुत्र को उपहार में क्या देने वाले हैं? वैदिक काल के खत्म होते होते ही पिता द्वारा दिया जाने वाला यह उपहार पुत्री धन के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने लगा। इस समय तक अपनी बेटी को शादी के समय कुछ धनराशि देने का भी प्रचलन बढ़ा।
मध्यकाल तक आते-आते यह उपहार व्यवस्था अपना विकृत रूप धारण कर चुकी थी। बड़े-बड़े साम्राज्य के राजाओं ने अपनी पुत्रियों के विवाह के समय अपार धन राशि लुटाने का प्रचलन शुरू किया। यहां पर राजपूत राजाओं क नाम विशेष तौर पर लिया जाता है। राजपूत राजाओ ने अपनी पुत्रियों के विवाह पर उन्हें अतुल्य धनराशि देकर समाज और अपने मित्र राजाओं और सामंतों के बीच में अपना सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए प्रथा शुरू की। वर्तमान समय में दहेज प्रथा अपने सबसे निकृष्ट और विकृत रूप में समाज में अपने पांव पसार चुकी है।
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दहेज प्रथा के दुष्प्रभाव (Side Effects of Dahej Pratha in Hindi) :
भारत में हर साल 5000 से ज्यादा महिलाएं दहेज प्रथा की वजह से घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। आजादी के समय से बनते आ रहे कानूनों से भी इस प्रथा को कम करने का थोड़ा सा भी प्रयास नहीं किया गया। सरकार कानून बनाती रहती है लेकिन लोग उसे कभी भी गंभीरता पूर्वक कभी नहीं लेते हैं। आलम तो यह हो गया है कि साल दर साल दहेज प्रथा और बेटे को दहेज देने की होड़ बढ़ती ही जा रही है।
लोग दहेज के नाम पर आजकल करोड़ों खर्च करने में भी नहीं हिचकते। बेटी को दहेज देना समाज में एक प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है कि जो पिता अपने बेटे को ज्यादा दहेज देगा। समाज उसका उतना ही ज्यादा सम्मान करेगा। दहेज प्रथा की स्थिति की भयावहता इसी बात से पता की जा सकती है कि पिता अपनी पुत्री को दहेज देने के लिए कर्ज लेकर या लोन लेकर भी लड़के वालों की मांगों को पूरा करने पर मजबूर हो गए हैं।
दहेज की वजह से कई सारी बेटियों को ससुराल वालों की तरफ से प्रताड़ित किया जाता है। भारत में कई मामले देखने को मिलते हैं जब से दहेज की वजह से ही बहुओं को मारा पीटा जाता है। यहां तक की आत्महत्या के मामले भी सामने आते रहे हैं।
कुछ परिवार तो दहेज के इतने भूखे होते हैं कि वह अपनी बहुओं को जान से मारने तक से पीछे नहीं हटते। बहू को जला देने, घर से निकाल देने या क़त्ल करने से भी ऐसे लोग पीछे नहीं हटते और किस लिए सिर्फ कुछ चीजों के लिए, कुछ पैसों के लिए और भारत के सभी लोग इस तमाशे को चुपचाप देखते रहते हैं।
भारत के लोग जब हर बड़ी सामाजिक बुराई के लिए सड़कों पर निकल आते हैं तो दहेज प्रथा के लिए कोई कुछ ऐसा क्यों नहीं करता। दहेज प्रथा के लिए भी लोगों को सड़कों पर उतरना चाहिए। कैंडल मार्च करनी चाहिए। हड़ताल करनी चाहिए, धरना प्रदर्शन करना चाहिए। लेकिन दहेज प्रथा एक ऐसी विकृति हो गई है जिसे भारत से खत्म करना लगभग नामुमकिन सा लगने लगा है।
दहेज प्रथा उन्मूलन के उपाय (Remedies for Dahej Pratha in Hindi) :
दहेज प्रथा उन्मूलन के लिए कुछ जरूरी और ठोस उपाय इस प्रकार हैं :-
- माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी बेटियों को इस बात के लिए बचपन से ही शिक्षित करें कि दहेज प्रथा एक बुराई है और ऐसे परिवार को चुनने की गलती ना करें, जो मीठी मीठी बातों के चक्कर में दहेज लेने के लिए लालायित हो।
- माता-पिता अपनी बेटियों को उतना शिक्षित करें, जितना वह अपने बेटों को शिक्षित करना चाहते हैं। बचपन से ही बेटियों को मजबूत और अपना पक्ष लेना सिखाना होगा, जिससे कि बड़ी होकर भी अपना पक्ष दम ले सके और अपने जीवन के फैसले बिना किसी पर आश्रित हुए ले सके।
- बेटियों को दहेज के खिलाफ शिक्षा देना, उतना ही जरूरी है जितना बेटों को दहेज प्रथा की बुराइयों से अवगत करवाना। हमें हमारे घर के बेटों को भी यह समझाना चाहिए कि दहेज प्रथा एक बुराई है और इसका उन्मूलन होना जरूरी है।
- अपनी बेटी के लिए आए हुए रिश्ते भले ही कितने ही अच्छे हो, लेकिन अच्छे रिश्तो के चक्कर में आप अपनी बेटी की जिंदगी से दहेज के नाम पर बर्बाद तो नहीं ही करना चाहेंगे, इसलिए ऐसे परिवारों को साफ मना कर दे जो इशारों इशारों में भी दहेज लेने देने का संकेत देते हो।
- अपनी बेटियों को उनके फैसले खुद लेने और फैसलों पर कायम रहना सिखाना चाहिये। बेटियां अपने पैरों पर खड़ी हो सकें, तो किसी के ऊपर आश्रित होने की जरूरत ही नहीं पड़े, बेटियों को इतना पढ़ाओ है कि वह अपने और अपने परिवार के बहन निकालने के लिए सक्षम हो सके।
- अपने आसपास के परिवारों को एक जगह बुलाकर गली मोहल्ले या कॉलोनी वाले, एक सभा या वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन करें और सभी माता-पिता को इस पर खुलकर चर्चा करने का अवसर प्रदान करें। जिसे आप ही नहीं आपके आसपास के लोगों में भी दहेज प्रथा एक बुराई है यह संदेश स्पष्ट तौर पर पहुंचना चाहिए।
दहेज प्रथा पर निबंध का उपसंहार (Dahej Pratha Essay in Hindi) :
इस प्रकार हम दहेज प्रथा पर निबंध में कह सकते हैं कि किस तरह से दहेज प्रथा भारतीय समाज मैं अपनी जड़े गहरी कर चुकी है। अनेकानेक नियम बनाने के बावजूद दहेज प्रथा की वजह से हो रही घरेलू हिंसा के मामलों को जानने समझने के बाद भी भारतीय समाज, अभी भी इसे कोई सीख लेता नहीं दिखाई देता है। दहेज प्रथा भारतीय समाज पर एक ऐसा कलंक है जिसे समूल नष्ट करने की आवश्यकता है। दहेज प्रथा की रोकथाम के लिए पूरी कड़ाई से नियमों का पालन करने और करवाने से ही इस बुराई से मुक्ति मिल सकती है।
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