चित्तौड़गढ़ का किला – राजस्थान के ऐतिहासिक स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूनों की श्रृंखला में आज हम फिर हाज़िर हैं एक और कहानी के साथ। अब तक हमने नागौर के किले और तारागढ़ के बारे में जानकारियां हासिल की। अगर आप भी इनके बारे में जानना चाहते हैं तो नीचे दी गई लिंक्स पर जरूर क्लिक करें। आज हम जिस किले की बात करने जा रहे हैं उसे किसी पहचान की आवश्यकता नहीं है।
चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान के सभी किलों और महलों का शिरोमणि कहलाता है। इसकी स्थापत्य कला अपने आप में ही बेजोड़ है। जी हां, हम बात कर रहे हैं चित्तौड़गढ़ किले की। इस पोस्ट में हम चित्तौड़गढ़ किले से जुड़ी सारी जानकारी विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।
चित्तौड़गढ़ का किला (Chittorgarh Fort in Hindi) :
चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान के सभी दुर्गों का सरताज है। क्या आपको पता है कि चित्तौड़गढ़ दुर्ग भारत ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा दुर्ग है? यह यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में भी शामिल है। यह अट्ठाइस किलोमीटर तक फैला हुआ है जबकि इसकी दीवार की परिधि तेरह किलोमीटर तक फैली हुई है। इसका इतिहास अतुलनीय है। यहां का गौरव, वीरता और शौर्य की अनोखी मिसाल पेश करते हैं।
यहां के शासकों ने जी जान लगाकर इस दुर्ग की रक्षा में अपने प्राण गंवा दिए। इतना ही नहीं यहां की रानियों और क्षत्राणियों ने दुश्मन सेनाओं से अपने सतीत्व की रक्षा करने के लिए इस दुर्ग में जलती चिता में कूदकर अपने प्राणों की आहुतियाँ दे दी और चित्तौड़गढ़ दुर्ग को इतिहास में हमेशा के लिए अमर कर दिया। चित्तौड़गढ़ दुर्ग के यह वीरता पूर्ण किस्से ‘साके’ कहलाते हैं। चित्तौड़गढ़ दुर्ग को अरावली पर्वतमाला के एक विशाल शिखर पर बनाया गया है। यह पहाड़ समुद्र तल से अट्ठारह सौ पचास फीट ऊंचाई पर स्थित है। इसे गंभीरी और बेडच नदियों के संगम स्थल पर बनाया गया है।
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चित्तोड़गढ़ दुर्ग का इतिहास (Chittorgarh Fort History in Hindi) :
चित्तौड़गढ़ दुर्ग विश्व में जितना प्रसिद्ध है उतना ही प्रसिद्ध यहां का इतिहास है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग के सैन्य महत्व की वजह से और दिल्ली से मालवा जाने वाले रास्ते पर पड़ने की वजह से इस दुर्ग पर अधिकार करने के लिए सैकड़ों बार शत्रु सेना ने इस पर आक्रमण किए। यहां के वीरों ने Chittorgarh Fort की रक्षा में केसरिया बाना पहन कर वीरगति पाई।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग के प्रमुख युद्ध इस प्रकार हैं:
अलाउद्दीन खिलजी और चित्तौड़गढ़ के राणा रतन सिंह के बीच तरह सौ तीन में एक भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में राणा रतन सिंह और बाकी राजपूतों ने चित्तौड़गढ़ का किला की रक्षा में अपनी जान गंवाई और रानी पद्मिनी की अगुवाई में यहां की वीरांगनाओं अग्नि जौहर किया। इस किले को जीतने के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने अपने बेटे खिज्र खां को यहां का प्रशासन सौंप दिया। खिलजी ने चित्तौड़गढ़ का किला का नाम बदलकर खिजराबाद रख दिया।
इसके बाद छोटी आयु के महाराणा विक्रमादित्य और गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के बीच में पन्द्रह सौ चौतीस ईसवी में एक और युद्ध हुआ जिसमें फिर यहां के राजपूतों ने अपना खून बहाया और वीरांगनाओं ने जौहर किया। इसी युद्ध से पहले वह प्रसिद्ध किस्सा हुआ था जिसमें रानी कर्मावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेज कर मदद की मांग की थी।
सन पंद्रह सौ सड़सठ में महाराणा उदय सिंह और मुगल बादशाह अकबर के बीच में एक अन्य युद्ध हुआ। इस युद्ध में परम् वीर जयमल मेड़तिया और रावत पत्ता सिसोदिया के साथ कल्ला राठौड़ ने अपने अप्रतिम शौर्य का प्रदर्शन करते हुए वीरगति प्राप्त की। चित्तौड़गढ़ की भैरवपोल और हनुमान पोल के बीच में वीर कल्ला और ठाकुर जयमल की छतरियां बनवाई गई हैं। इस युद्ध का कारण यह था कि महाराणा उदय सिंह ने मालवा के पदभ्रष्ट शासक बाज़ बहादुर को अपने यहां शरण देकर अकबर को अपना शत्रु बना लिया। उदय सिंह की हार के बाद यह किला अकबर के अधिकार में आ गया।
चित्तोड़गढ़ दुर्ग के ऐतिहासिक साक्ष्य (Historical Evidences of Chittorgarh Fort in Hindi) :
चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण चित्रांग नामक मौर्य शासक के द्वारा करवाए जाने का प्रमाण कुमारपाल चरित में मिलता है। एक जैन प्रशस्ति में भी ऐसा ही एक उल्लेख मिलता है जिसके अनुसार Chittorgarh Fort का निर्माता चित्रांगद मौर्य शासक है। तो इस तरह से चित्रांग मौर्य और चित्रांगद मौर्य दोनों एक ही व्यक्ति हैं और इन्होंने ही Chittorgarh Fort का निर्माण करवाया था।
वीर विनोद और कुमार प्रबंध में भी ऐसा ही एक वर्णन मिलता है जिसमें मौर्य शासक चितरंग (चित्रांग) के द्वारा एक चित्रकूट दुर्ग बनवाए जाने का उल्लेख मिलता है। इसके बाद महाराणा कुंभा ने इस Chittorgarh Fort का बहुत विस्तार किया और इसमें इसके मूल ढांचे में काफी हद तक परिवर्तन किया। महाराणा कुंभा के आधिपत्य में आने से पहले यह दुर्ग गुहिल वंशीय शासक बप्पा रावल के अधीन था जिन्होंने इसे अंतिम मौर्य शासक मान मौर्य (जिसे इतिहास में मान मोरी के नाम से भी जाना जाता है) को हराकर सात सौ चौबीस ईसवी में अपने अधीन किया था।
चित्तोड़गढ़ दुर्ग की विशेषता (Features of Chittorgarh Fort in Hindi) :
क्या आपको पता है कि चित्तौड़गढ़ दुर्ग भारत ही नहीं एशिया का सबसे बड़ा दुर्ग है? यह यूनेस्को की विश्व धरोहरों की सूची में भी शामिल है। यह अट्ठाइस किलोमीटर तक फैला हुआ है जबकि इसकी दीवार की परिधि तेरह किलोमीटर तक फैली हुई है। यहां पर कुल उन्नीस विशाल मंदिर हैं और बीस जल स्रोत है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग गिरी दुर्गों की श्रेणी में आता है। गिरी दुर्ग का मतलब होता है ऐसा दुर्ग जिसे किसी एकांत और ऊंचे पर्वत पर बनाया गया हो।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग का स्थापत्य (Architecture of Chittorgarh Fort In Hindi) :
प्राकृतिक रूप से अगम्य, मज़बूत और घुमावदार प्राचीर, विशाल बुर्ज़, सात अभेद्य द्वार और किले तक पहुंचने का लंबा और टेढ़ा मेढ़ा रास्ता – इन सब की वजह से चित्तौड़गढ़ का किला एक अभेद्य किला बन गया है। महाराणा कुंभा ने इस चित्तौड़गढ़ का किला में इस के प्रसिद्ध सात प्रवेश द्वार और विशाल रथमार्ग बनवाए थे। चित्तौड़गढ़ का किला का मुख्य दरवाजा जो इसका प्रवेश द्वार भी है जिसे पाटन पोल कहा जाता है।
इस दरवाजे के पास ही प्रतापगढ़ के देवलिया रियासत के रावत बाघसिंह जी का स्मारक है। Chittorgarh Fort में हुए दूसरे साके में बहादुर शाह जफर की सेना से वीरता पूर्वक लड़ते हुए रावत बाघसिंह जी ने अपनी जान गंवा दी। पाटन पोल के बाद भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोड़ला पोल और लक्ष्मी पोल प्रमुख दरवाज़े हैं। इसके बाद आता है सातवां और अंतिम दरवाजा जो Chittorgarh Fort का मुख्य दरवाज़ा है जिसे रामपोलकहा जाता है। रामपोल के पास पाटन पोल की तरह ही आमेट रियासत के शूरवीर पत्ता सिसोदिया का स्मारक है।
पत्ता सिसोदिया को Chittorgarh Fort में हुए तीसरे साके में मुगल सेना से लड़ते हुए वीरगति प्राप्त हुई। व्हेल मछली के आकार में बना यह चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान का सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट कहलाता है।
चित्तौड़गढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल (Famous Visiting Places in Chittorgarh Fort in Hindi) :
Chittorgarh Fort में कुकड़ेश्वर महादेव मंदिर, जैन कीर्ति स्तंभ, भगवान आदिनाथ मंदिर, गोरा बादल महल, नवलखा बुर्ज़, कुंभश्याम मंदिर, विजय स्तंभ, मीरा बाई मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर, स्वामी सिद्धेश्वर मंदिर, तुलजा भवानी मंदिर, शांतिनाथ जैन मंदिर, सतबीसी देवरी जैन मंदिर, चित्रांग मोरी तालाब, श्रृंगार चँवरी आदि प्रमुख पर्यटन और दर्शनीय स्थल है।
विश्व प्रसिद्ध विजय स्तंभ भी इसी Chittorgarh Fort में स्थित है। इसे राणा कुंभा ने सुल्तान महमूद खिलजी को युद्ध में हराने पर बनवाया था। विजय स्तंभ में नौ खंड है जो भारतीय शास्त्रों में वर्णित नवविधियों का प्रतीक है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग का सबसे प्रमुख आकर्षण रानी पद्मिनी का महल है। चित्तौड़गढ़ का किला के पास ही गोरा बादल के महल हैं।
चित्तोड़गढ़ दुर्ग कैसे पहुंचे? (How to reach Chittorgarh Fort in Hindi) :
चित्तौड़गढ़ का किला जाने के लिए आप कोई भी साधन अपना सकते हैं। यह जयपुर से तीन सौ, उदयपुर से दो सौ और जोधपुर से तीन सौ बारह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अगर आप हवाई जहाज से जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट महाराणा प्रताप एयरपोर्ट, उदयपुर जाना होगा। यहाँ आने के लिए आपको एयर इंडिया, स्पाइस जेट, इंडिगो और जेट एयरवेज की फ्लाइट्स मिल जाएंगी। वहां से चित्तौड़गढ़ का किला दो घण्टे की ड्राइव की दूरी पर है।
अगर आप ट्रैन से चित्तौड़गढ़ का किला जाना चाहते है तो किला चित्तोड़गढ़ जंक्शन से छह किलोमीटर की दूर है।यहां आने के लिए आप चेतक एक्सप्रेस, मेवाड़ एक्सप्रेस या दूसरी ट्रेन्स भी बुक कर सकते हैं।
और अगर आप बस द्वारा जा रहे हैं तो आपको रोडवेज़ बस स्टैंड भी काफी मिल जाएंगे जहाँ से आप रोडवेज़ या प्राइवेट कोई भी बस ले सकते हैं।
चित्तोड़गढ़ दुर्ग की फीस कितनी है? (Entrance Fees of Chittorgarh Fort in Hindi) :
चित्तौड़गढ़ का किला घूमने का समय सुबह छह से लगाकर शाम के छह बजे तक का है। चित्तौड़गढ़ घूमने के लिए भारतीय नागरिकों को लिए प्रति व्यक्ति पैतीस रुपये का प्रवेश टिकट लेना होता है। वहीं विदेशी पर्यटकों के लिए पांच सौ रुपये प्रति व्यक्ति प्रवेश टिकट रखा गया है।
चित्तौड़गढ़ किला किसने बनवाया?
चित्तौड़गढ़ किला चित्रांगद नामक मौर्य शासक ने बनवाया।
पद्मावती कौन थी?
पद्मावती चित्तौड़गढ़ के राणा रतन सिंह की पत्नी थी।
अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कब किया था?
अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 में चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया था।
विजय स्तंभ किसने बनवाया?
विजय स्तंभ महाराणा कुंभा ने सुल्तान महमूद खिलजी को हराने के उपलक्ष में बनवाया था।
चित्तौड़गढ़ का किला कहां है?
चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
भारत का सबसे बड़ा किला कौन सा है?
चित्तौड़गढ़ का किला भारत सहित एशिया का सबसे बड़ा किला है।
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