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चौथ माता की कथा सुनने पर बरसेगी चौथ माता माता कृपा (Chauth Mata ki Kahani)

चौथ माता का व्रत करने से और चौथ माता की कथा कहने से चौथ माता अपने भक्तो पर बहुत प्रसन्न होती है आज हम आपको चौथ माता की कथा सुनाएंगे। आप चौथ माता की कथा को बताएंगे तो आप चौथ माता की कथा को पूरा पढ़े और चौथ माता का आशीर्वाद प्राप्त करे।

चौथ माता की कथा पहला चमत्कार (Chauth Mata ki Kahani) :

एक बार की बात है एक गांव में एक बूढ़ी औरत अपने बेटे के साथ अकेले रहती थी। उसका बेटा गांव वालों के छोटे-मोटे काम करके और उनकी गायों को चराकर अपना और अपनी मां का भरण पोषण करता था वह बूढ़ी औरत अपने बेटे की खुशहाली और सलामती के लिए चौथ माता का व्रत करती थी और चौथ माता की कथा कहती थी।

हर चौथ आने पर वह बूढ़ी औरत पंसारी से घी और गुड़ खरीद के लाती और हमेशा उनके पांच लड्डू बनाती थी उन पांचों लड्डूओं में से पहले लड्डू से वह हमेशा चौथ माता को भोग लगाती थी। दूसरा लड्डू वह गणेश भगवान को अर्पण करती थी। तीसरा लड्डू का हमेशा दान में दे देती थी। चौथा लड्डू वह अपने बेटे को खिलाती और रात को चांद को अर्घ्य देने के बाद स्वयं खाती थी।

एक बार वो उस बुढ़िया का बेटा अपने पड़ोसी के वहां काम करने के लिए गया हुआ था तब उसकी पड़ोसन ने उससे कहा कि तू तो दिन भर मेहनत करके अपना खून पसीना एक कर-कर के पैसा कमाता है और तेरी मैया तेरे बाहर जाने के बाद लड्डू बना बना कर खाती रहती है और तुझे हमेशा भोजन के समय बासी रोटी और एक लड्डू पकड़ा देती है।

पड़ोसन की बात सुनकर वह लड़का सोच में पड़ गया जब वह शाम को घर गया तो उसकी मां ने उसे खाने में ठंडी रोटी दी ऐसी रोटी देखकर वह लड़का अपनी मां पर गुस्सा हो गया। गुस्से में वो अपनी मां से बोला कि मुझे ठंडी रोटी नहीं खाई जाती इसलिए आप चौथ का व्रत करना और चौथ माता की कथा कहना छोड़ दो।

अगर तुम व्रत करना और चौथ माता की कथा कहना छोड़ दोगी तो जो घी तुम लाती हो उससे हम गरम रोटी बनाकर खा सकते हैं तब बूढ़ी औरत ने अपने बेटे को समझाते हुए कहा कि यह व्रत तो मैं तेरी सुरक्षा और खुशहाली के लिए रखती हूं। अगर मैं यह व्रत करना छोड़ दूंगी तो चौथ माता मुझसे नाराज हो जाएगी इसलिए मैं यह व्रत करना नहीं छोड़ सकती हूं, इस पर बेटे ने और भी ज्यादा गुस्सा होते हुए अपनी मां से कहा कि अगर तुम व्रत नहीं छोड़ सकती हो तो मैं तुम्हें छोड़ दूंगा और तुम्हें छोड़कर मैं परदेस कमाने चला जाऊंगा।

क्योंकि मैं जितना भी कमा कर लाता हूं उसे तुम खाने पीने में बरबाद कर देती हो। मां ने अपने बेटे को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसने अपने मां की एक नहीं मानी। बूढ़ी औरत ने श्रद्धा भाव से चौथ माता के मोतियानी गेहूं के कुछ दाने पोटली में बांधकर अपने बेटे को देते हुए कहा कि जब भी तुझे लगे कि तू मुसीबत में फंस गया है तो तब चौथ माता का नाम लेकर इनमें से कुछ दाने अलग रख देना, चौथ माता की कृपा से तेरी मुसीबत टल जाएगी और तेरी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। लड़के ने वह पुतली अपने साथ लेकर चला गया।

आगे जाकर वह लड़का एक नगर में पहुंचा कुछ दूर चलने पर उसने देखा कि एक बूढ़ी औरत अपने घर के बाहर बैठकर जोर-जोर से रो रही थी उसने उसके पास जाकर उसके रोने का कारण पूछा तो बुढ़िया ने बताया कि इस गांव के दूसरी तरफ एक पहाड़ी है जिसके ऊपर एक बहुत ही भयानक राक्षस रहता है।

शुरू शुरू में वह दैत्य रोज गांव में आता और गांव में सब कुछ तहस-नहस करके जो भी उसके हाथ में आता उसको पकड़ कर पहाड़ी पर ले जाता और वहां उसे मारकर खा जाता। इस इस बात का हल निकालने के लिए हमारे गांव के मुखिया ने यह तय किया कि हर दिन गांव का एक आदमी खुद उस राक्षस के पास जाएगा और खुद को पूजन के रूप में उस राक्षस को सौंप देगा।

तब उस बुढ़िया ने रोते-रोते कहा कि मुखिया ने उस राक्षस के पास जाने के लिए आज मेरे बेटे को चुना है इसलिए मैं उसके लिए रो रही हूं वह राक्षस मेरे बेटे को मारकर खा जाएगा। उस लड़के को बुढ़िया पर दया आ गई और उसने कहा कि तुम अपने बेटे को राक्षस के पास मत भेजो मैं उसकी जगह राक्षस के पास जाऊंगा उस बूढ़ी औरत ने उसे खिला पिला कर अपने घर में सुला दिया।

जैसे ही रात हुई गांव का मुखिया बुढ़िया के बेटे को अपने साथ ले जाने के लिए आ गया तब उस बुढ़िया ने उस लड़के को उठाया और वह लड़का गांव के मुखिया के साथ राक्षस के पास पहाड़ी पर चला गया। पहाड़ के ऊपर पहुंच कर उसे याद आया कि उसकी मां ने उसके साथ चौथ माता के गाने भेजे थे।

उसे चौथ माता के कुछ गाने अपने हाथ में लेकर माता को याद करते हुए कहा कि हे चौथा माताअगर मेरी मैया सच्ची श्रद्धा भक्ति से मेरी सलामती के लिए आज तक व्रत किया है और चौथ माता की कथा कही है तो आप अपनी शक्ति से इस राक्षस का सर अलग कर दें, ऐसा कहते हुए उस लड़के ने उन दानों को दैत्य के शरीर के ऊपर फेंक दिया। चौथ माता ने अपनी शक्ति से उस दैत्य का सिर काट दिया। वह लड़का सही सलामत वापस गांव आ गया गांव के मुखिया ने उस लड़के को ढेर सारी उपहार देकर अपने गांव विदा कर दिया।

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चौथ माता की कथा दूसरा चमत्कार (Chauth Mata ki Kahani) :

वह लड़का चलते-चलते एक दूसरे गांव में पहुंचा कुछ दूर कुछ दूर चल कर उसने देखा कि एक घर में शोर होने की बहुत तेज आवाज आ रही है उसने उस घर में जाकर देखा तो एक औरत अपने बेटे को गले से लगा कर रो रही थी। वह उस घर के अंदर पहुंचकर उस औरत से रोने का कारण पूछा तो उस औरत ने कहा कि हमारे राज्य का राजा हवन करते समय राज्य के एक लड़के की बलि देता है। कल राजा ने बलि के लिए मेरे बेटे को चुना है कल मेरा बेटा मुझसे छीन लिया जाएगा मेरे बेटे के अलावा मेरा ही संसार में कोई नहीं है। अब मैं क्या करूंगी?

तब उस लड़के ने उस औरत से कहा कि हे माता तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारे बेटे की जगह जाऊंगा तुम मुझे बस खाना खिला दो और निश्चिंत रहो लड़के ने खाना खाया और उस औरत की बेटी की जगह पर सो गया। अगले दिन बहुत सवेरे ही राजा के सैनिक आए और उस लड़के को उस औरत का बेटा समझ कर पकड़ कर ले गए।

राज महल में जब बलि देने की तैयारियां की जाने लगी, तब लड़के ने चौथ माता के दाने हवन कुंड में डालते हुए कहा कि हे चौथ माता अगर मेरी मैया सच्ची श्रद्धा से तुम्हारा व्रत करती है और चौथ माता की कथा कहती है तो मेरी बली दिए बिना ही इस हवन की आहुति को पूरा कर दो।

चौथ माता ने अपनी शक्ति से हवन की आहुति पूरी कर दी और हवन कुंड में से सोने-चांदी के बर्तन बाहर आने लगे यह चमत्कार देखकर राजा ने उससे पूछा कि तुम क्या कैसे बच गए? तब लड़के ने राजा को बताया कि मेरी मां मेरी रक्षा के लिए चौथ माता का व्रत करती है और चौथ माता की कथा कहती है। उन्हीं के प्रताप से मैं जीवित हूं राजा को लड़के की बात पर विश्वास नहीं हुआ तब राजा ने एक पतले मुंह वाली लंबी सी सुराही मंगवाई और लड़के से कहा कि तुम अगर इस सुराही में से निकल कर दिखा दो तो मैं तुम्हारा विश्वास करूं।

तब लड़की ने चौथ माता के मोती उस राही में डालते हुए प्रार्थना की कि है चौथ माता अगर मेरी मैया ने चौथ माता की कथा और व्रत का पालन सही से किया है तो आप मुझे भंवरा बना दे और इस सुराही में से निकाल दें, चौथ माता के प्रताप से लड़का भंवरा बन गया और सुराही के अंदर से जाकर वापस बाहर आ गया। यह देखकर राजा लड़के से बहुत प्रसन्न हुआ और अपनी पुत्री का विवाह उस लड़के से करवा दिया।

राजा ने अपने नगर में ढिंढोरा पिटवा या कि आज से सारे लोग चौथ माता का व्रत और चौथ माता की कथा कहेंगे, कुछ समय तक लड़का उसी राज्य में सुख पूर्वक रहा। लेकिन फिर उसे अपनी मां की याद आई तब उसने राजा से कहा कि मुझे अपनी मैया से मिलने जाना है, तब राजा ने उसे ढेर सारा धन हाथी घोड़े और उपहार देकर अपनी बेटी को उस लड़के के साथ विदा कर दिया।

वह लड़का चौथ के दिन अपने गांव पहुंचा जब उस लड़के को इतनी धन-दौलत के साथ गांव के अंदर आते हुए देखा तो गांव के लोगों ने उसकी मां को जाकर बताया कि तुम्हारा बेटा बहुत सुंदर बहू के साथ हाथी घोड़े और ढेर सारा धन लेकर आ रहा है।

बुढ़िया को उन लोगों की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। लड़का कुछ ही देर में अपने घर पहुंच गया और घर पहुंचते ही अपने मां के चरणों में पढ़ कर रोने लगा और क्षमा मांगने लगा उसकी मां ने उसे माफ कर दिया और सच्चे दिल से चौथ माता को धन्यवाद दिया और बेटे बहू की आरती उतारकर उन्हें गले लगाया लड़के ने अपनी मां को बताया कि चौथ माता के आशीर्वाद से मुझे यह सब प्राप्त हुआ है।

तब लड़के की बातों से प्रभावित होकर गांव के सभी लोगों ने चौथ माता का व्रत और चौथ माता की कथा कहने का निश्चय किया इस प्रकार है चौथ माता आपने जिस तरीके से एक बूढ़ी माता और उसके लड़के पर चौथ माता की कथा कहने पर अपनी कृपा दृष्टि बरसाई। उसी तरीके से हम सब पर अपनी कृपा बनाए रखना। चौथ माता की कथा कहने वाले को और चौथ माता की कथा सुनने वाले को और चौथ माता की कथा का हुकार भरने वाले को इस व्रत का फल प्रदान करना।
।। बोलो चौथ माता की जय।।

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