भारतीय किसान पर निबंध – भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है कृषि। भारत की सत्तर प्रतिशत से भी ज़्यादा आबादी खेती और खेती से जुड़े दूसरे कामों में लिप्त हैं। भारत के ग्रामीण इलाकों का सबसे बड़ा आधार खेती ही है। अधिकांश जनसंख्या के खेतिहर किसान होने की वजह से भारत में मेहनतकश किसानों का देश कहा जाता है। इन मेहनती किसानों ने देश की अर्थव्यवस्था में यथाशक्ति अपना योगदान दिया है।
इसी वजह से आज की पोस्ट में हम आपके लिए भारतीय किसान पर निबंध एक बहुत ही सुंदर और सरल निबंध लेकर आए हैं। हमें आशा है कि इस निबंध को पढ़ने के बाद आप भारतीय किसान विषय पर अवश्य ही एक अच्छा निबंध लिख पाने में समर्थ होंगे।
भारतीय किसान पर निबंध की प्रस्तावना (Bhartiya Kisan Essay in Hindi) :
भारत का मेहनतकश किसान अपने देश की अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा योगदान अपनी मेहनत से देता है। किसान भाइयों के दिन-रात की मेहनत की वजह से उनके खेत हरी भरी फसलों से लहलहाते हैं। भारतीय किसान शहरों से दूर गांव में अपने घर और खेतों के बीच अपनी पूरी जिंदगी व्यतीत कर देता है। आधुनिक तकनीकों के अविष्कार की वजह से खेती का काम पहले से ज्यादा त्वरित गति से और अच्छे से होने लगा है।
लेकिन खेती के लिए सबसे आवश्यक बारिश किसान के लिए वरदान साबित होती है भारत में खेती का अधिकांश हिस्सा आज भी मौसमी बरसात के ऊपर आश्रित रहता है सिंचाई के अलग-अलग तरीकों की जानकारी के बावजूद किसान इसे अपनाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। क्योंकि उनके पास इन तकनीकों को इस्तेमाल करने के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं होती है।
ये भी पढ़े –
- मेरा प्रिय वैज्ञानिक पर निबंध – कक्षा 5 से 9 के लिए निबंध
- मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध
- मेरा प्रिय खेल क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, बैडमिंटन पर निबंध
- मेरी पाठशाला पर निबंध
भारतीय किसान की स्थिति (Indian Farmer Status in Hindi) :
भारत में अधिकतर किसान निम्न मध्यम और मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते हैं। भारत के कुछ ही किसान उच्च वर्गीय होते हैं। एक किसान अपनी फसल को अपने बालक की तरह मानकर बड़ा करता है। फसल में कीड़ा लगने पर चिंतित होता है और बारिश की वजह से फसल के लहराने पर भारतीय किसानके चेहरे पर भी खुशी झलक उठती है।
भारतीय किसान का जीवन अत्यंत सादा होता है। कम पढ़े अधिक मान सम्मान नहीं मिलता है। लेकिन फिर भी इस सब के बावजूद भारतीय किसान अपनी खेती के काम में जी जान से जुड़ जाता है। भारत में किसान सूरज उगने से पहले उठ जाते हैं। 6:00 बजे से पहले पहले सुबह का खाना खाकर खेतों की ओर चल पड़ते हैं।
भारतीय किसान को हमेशा एक ही चिंता लगी रहती है कि अगर ज्यादा बारिश हो गई तो फसल खराब हो जाएगी और अगर कम बारिश हुई तो उगी हुई फसल नष्ट हो जाएगी भारत में ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं जहां पर किसानों ने फसल के नष्ट होने की वजह से आत्म घात कर लिया क्योंकि उनके पास लोन के नाम पर चुकाने के लिए कुछ भी नहीं बचा था। इस सब के बाद भारत सरकार हरकत में आई और किसानों के लिए संपूर्ण ऋण मुक्ति का ऐलान किया
ये भी पढ़े –
- एकलव्य की मृत्यु कैसे हुई? भगवान कृष्ण ने एकलव्य को क्यों मारा?
- हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ था?
- जानिए शनिदेव के जन्म की कथा, कैसे हुई शनिदेव की दृष्टि टेढ़ी?
भारतीय किसान का योगदान (Contribution of Indian Farmer) :
भारत में किसान ना सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरे देशवासियों के लिए फसल उगाकर दिन रात मेहनत करता है। चिलचिलाती धूप हो, आंधी तूफान हो, मूसलाधार बारिश हो, यह हड़कंप आने वाली सर्दी भारत का किसान हमेशा अपनी फसल की रखवाली और देखरेख करने में लगा रहता है। फसल के पकने पर वह आनन्द से भर जाता है। भारत में फसलों की कटाई पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह के त्यौहार मनाए जाते हैं। पंजाब का लोहरी त्योहार भी फसल कटाई पर मनाया जाने वाला एक त्यौहार है।
कटी हुई फसल जब वह लेकर मंडी में जाता है तो कई बार किसानों को निराशा ही हाथ लगती है। क्योंकि उनकी दिन-रात की मेहनत से उगाई हुई फसल के दाम गिरने की वजह से उन्हें अपनी फसल कम दामों में बेचने की मजबूरी हो जाती है। लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि से होने वाले योगदान के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है। भारत का किसान भले ही गरीबी की हालत में जीता है।
ये भी पढ़े –
- बक्सर का युद्ध के कारण और परिणाम
- क्यों भारत के लिए नाक का सवाल था? खानवा के युद्ध की कहानी
- अंग्रेजों ने कैसे कर दिया मुग़ल साम्राज्य का खात्मा – आंग्ल-मुगल युद्ध
किसानो के लिए योजना (Scheme for Farmers in Hindi) :
लेकिन भारतीय किसानों के सम्मान और उनकी आर्थिक स्थिति को सही करने के लिए भारत सरकार ने कई सारी योजनाएं चलाई हुई है। इसमें भामाशाह योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना आदि प्रमुख हैं। किसान इन योजनाओं से लाभ लेकर अपने फसल से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।
भारत में शादियों पार्टियों जोहार और उत्सवों के दौरान अत्यधिक मात्रा में होने वाली खाने की बर्बादी को देख कर मन व्यथित हो जाता है। एक तरफ हमारे किसान दिन रात एक कर के अपनी फसलों को बड़ा करते हैं और दूसरी तरफ हम खाने की बर्बादी करके यह साबित करते हैं कि हमें उनके द्वारा उगाया अनाज की जरा से भी कदर नहीं है।
ऐसा करना तो हमारे किसान भाइयों का अनादर करना हुआ ऐसे में हमें चाहिए कि हम अपने किसान भाइयों की मेहनत के लिए उनका धन्यवाद दें और उत्सवों के दौरान होने वाली खाने की बर्बादी को कम करने की कोशिश करें। देश में सूखा और अकाल पड़ने पर यही किसान भाई अपने अनाज को अलग-अलग राज्यों में पहुंचाकर भारतीय बंधुओं की मदद करते हैं। इसलिए हमारा यह कर्तव्य है कि हम अपने किसान भाइयों के प्रति अपना आभार व्यक्त करें।
भारतीय किसान पर निबंध का उपसंहार (Essay on Farmer in Hindi) :
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारतीय किसान बहुत ही दयनीय अवस्था में रहकर अपने देश के लोगों को अनाज की पूर्ति करता है देश के लोगों का यह कर्तव्य है कि वे किसान भाइयों की मेहनत को व्यर्थ ना जाने दे शादियों त्योहारों और उत्सवों के दौरान होने वाली खाने की बर्बादी को रोककर हम उनके योगदान की सराहना कर सकते हैं
Leave a Reply