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भारत के भौतिक स्वरूप – परिभाषा, महत्व और विशेषताएँ (Bharat ka Bhautik Swaroop in Hindi)

भारत के भौतिक स्वरूप – भारत विविधताओं का देश है यहां पर सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विविधताओं के अलावा भौगोलिक विशेषताएं भी बहुत देखने को मिलती हैं। भारत को उपमहाद्वीप कहा जाता है। भारत को उपमहाद्वीप इसलिए कहा जाता है क्योंकि भारत चारों तरफ से भौगोलिक रूप से एशिया के बाकी हिस्सों से अलग दिखता है।

भारत की इसी विविधतापूर्ण भौगोलिक स्थिति की वजह से भारत एक विशिष्ट देश बन जाता है। भारत के भौतिक स्वरूप को छह भागों में बांटा जाता है। भारत के भौतिक स्वरूप को अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से हम इन्हें उत्तर से दक्षिण की तरफ जाते हुए पढ़ते हैं। इस पोस्ट में हम भारत के भौतिक स्वरूप, उनकी विशेषताएं और उनके महत्व के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।

हिमालय पर्वत (Himalaya Parvat in Hindi) :

ये भारत के भौतिक स्वरूप में सबसे पहला है। हिमालय के पहाड़ भारत का मुकुट कहलाते हैं। ये पहाड़ भारत की उत्तरी सीमा बनाते हैं। इन्हें उत्तरी सीमा का प्रहरी भी कहा जाता है। हिमालय पर्वत टेथीस सागर के भूगर्भ से ऊपर उठने की प्रक्रिया के तहत बने हुए नए और फोल्ड पहाड़ हैं। इनका विस्तार पश्चिम में सिंधु नदी से लगाकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी तक है। ये वर्षभर बर्फ से ढंके रहते हैं।

दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट भी इसी हिमालय का एक हिस्सा है। इसकी विशालता का पता आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसका विस्तार छह देशों में फैला हुआ है जिसमें पश्चिम से पूर्व की तरफ अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, भूटान, नेपाल और चीन आते हैं। हिमालय श्रृंखला विश्व की सबसे ऊंची श्रृंखला है। माउंट एवरेस्ट इसका सबसे ऊंचा पहाड़ है।

भारत के भौतिक स्वरूप में हिमालय पर्वत श्रृंखला को हम उत्तर से दक्षिण में तीन भागों में बाँटतें हैं। ये हैं :

हिमाद्रि पर्वत श्रृंखला

हिमालय की सबसे ऊंची और सीधी पहाड़ियों को हिमाद्रि कहा जाता है। इनकी आकृति एक जैसी समान है और इनमें हिमालय में पाई जाने वाली सभी प्रमुख और बड़ी चोटियां आती हैं।

हिमालय पर्वत श्रृंखला

इसे मध्य हिमालय भी कहा जाता है। हिमाद्रि से आकर और लम्बाई में छोटी पहाड़िया हिमाचल में आती हैं।

शिवालिक पर्वत श्रृंखला

हिमालय का सबसे दक्षिणी भाग शिवालिक कहलाता है। यहां तक आते आते हिमालय के पहाड़ सतत नहीं रह जाते हैं। छितरे हुए पहाड़ कम लम्बाई के और बिखरे हुए हैं। इनके दक्षिण से भारत का उत्तरी मैदान शुरू हो जाता है।

उत्तर भारत के मैदान (Uttar bharat ke maidan in Hindi) :

उत्तरी मैदान का विस्तार भारत में हिमालय के दक्षिण से लेकर प्रायद्वीपीय पठार के उत्तर तक फैला हुआ है। उत्तरी मैदान लगभग सात लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस मैदान की नदियां पूरे साल बहती है। उत्तरी मैदान भारत का सबसे ज़्यादा उपजाऊ मैदान है। यह मैदान पश्चिम में सिंधु नदी से लगाकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी तक फैला हुआ है।

इसके उपजाऊ होने की वजह से जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा यहां निवास करता है। औद्योगिक विकास से लेकर यातायात तक इस इलाके ने बहुत तेज़ प्रगति की है। यहां बहने वाली नदियों ने पिछले हज़ारों सालों से इस मैदान को उपजाऊ किया है इसलिए यहां पर जलोढ़ मिट्टी दो से तीन हज़ार मीटर की गहराई तक पाई जाती है।

यहां पर बहने वाली लगभग सारी ही नदियों का उद्गम स्थल हिमालय का कोई ना कोई पहाड़ है। नदियाँ बहुत धीमी और मन्थर गति से बहती हैं क्योंकि यह पूरा ही मैदानी इलाका काफी हद तक समतल हो चुका है। उत्तरी मैदान को हम उत्तर से दक्षिण तक चार भागों में बाँटते हैं जो इस प्रकार हैं – भाभर, तराई, खद्दर और बाँगर।

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थार मरुस्थल (Thar Desert in Rajasthan in Hindi) :

द ग्रेट इंडियन डेजर्ट जिसे भारत का थार मरुस्थल भी कहा जाता है, भारत के पश्चिमी भाग में आता है। राजस्थान राज्य पूरा ही थार के रेगिस्तान में आता है। राजस्थान की जनसंख्या का 61 प्रतिशत हिस्सा इसी रेगिस्तानी इलाके में रहता है। इस वजह से थार मरुस्थलको विश्व का सबसे धनी रेगिस्तान भी कहा जाता है। थार के रेगिस्तान का कुछ हिस्सा पाकिस्तान के अंदर भी पड़ता है।

इसी रेगिस्तान के ऊपर भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा भी बनाई गई है। यह इलाका पानी की कमी की वजह से शुष्क और सूखा है। दिन गर्म और रातें अपेक्षाकृत ठंडी होती है। बलुआ मिट्टी यहां पर बहुतायत में पाई जाती है। इस रेगिस्तान में मिट्टी के छोटे छोटे टीले बन जातें हैं जिन्हें यहां धोरे कहा जाता है।

थार के रेगिस्तान में 25 सेंटीमीटर से भी कम वार्षिक वर्षा होती है। यहां की हवा शुष्क है। कंटीली झाड़ियां और ऐसे पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो कम पानी में भी जीवित रह सकते हैं। प्राचीन सरस्वती नदी इसी रेगिस्तान से होते हुए गुजरात कच्छ के रण में बहती थी जो अब विलुप्त हो चुकी है।

प्रायद्वीपीय पठार (Peninsular Plateau in Hindi) :

ऐसा भूभाग जो तीन तरफ से जल स्रोतों या पानी से घिरा हुआ हो, प्रायद्वीप कहलाता है। भारत का प्रायद्वीपीय पठार भी तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है जिसके पश्चिम में अरब सागर, दक्षिण में हिन्द महासागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी है। यह आग्नेय और क्रिस्टलीय पत्थरों से बना एक फ्लैटलैंड हैं। पैंजिया जिसे सुपर कॉन्टिनेंट कहा जाता था के टूटने के बाद गोंडवानालैंड बना था।

जब यह भी टूटा तब इस पठारों का निर्माण हुआ था। इसे मुख्यतः दो हिस्सों में बांटा जाता है। पहला डेक्कन का पठार और दूसरा मध्य उच्च भूमि। नर्मदा नदी के उत्तर में मालवा के पठार वाला इलाका उच्च भूमि कहलाता है। नर्मदा के दक्षिण में स्थित त्रिकोणीय आकृति वाले हिस्से को डेक्कन का पठार कहा जाता है।

भारत के तटीय मैदान (Coastal Plains of India in Hindi) :

भारत का मुख्य भूमि प्रदेश तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ है और भारत के तटीय मैदान प्रायद्वीपीय पठार के दोनों ओर समानांतर पाए जाते हैं इन्हें मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है जिनमें से पहला है पूर्वी तटीय मैदान और दूसरा है पश्चिमी तटीय मैदान। ये दोनों तटीय मैदान भारत के कन्याकुमारी में आकर सबसे अंतिम दक्षिणी छोर पर मिल जाते हैं। तटीय मैदान भारत के भौतिक स्वरूप महत्वपूर्ण रूप हैं। भारत की कुल तटीय रेखा की लम्बाई 7516.6 किलोमीटर है।

पूर्वी तटीय मैदान (East Coast Plain in Hindi) :

इन्हें पूर्वी घाट भी कहा जाता है। पूर्वी तटीय मैदान भारत के पश्चिमी तटीय मैदान की तुलना में ज़्यादा फैला हुआ और सुखा है। पश्चिमी तटीय मैदान पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुडुचेरी राज्यों में फैला हुआ है। पूर्वी तटीय मैदानों में बहने वाली कावेरी, महानदी, गोदावरी और कृष्ना नदियाँ यहाँ पर प्रमुख डेल्टा बनाती हैं।

पूर्वी तटीय मैदान में पश्चिमी तटीय मैदान की अपेक्षा कम बंदरगाह है। पुलिकट झील और चिल्का झील इस तटीय मैदान के और भारत के भौतिक स्वरूप में महत्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताएं हैं। पूर्वी तटीय मैदान को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। तमिलनाडु पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश का तटीय मैदान संयुक्त रूप से कोरोमंडल मैदान कहलाता है। आंध्र प्रदेश और उड़ीसा का संयुक्त उत्तरी सिरकार तटीय मैदान कहलाता है।

पश्चिमी तटीय मैदान (Western Coastal Plain in Hindi) :

इन्हें पश्चिमी घाट भी कहा जाता है। भारत के पश्चिमी तटीय मैदान गुजरात से लेकर दक्षिण में केरल तक फैले हुए हैं। पश्चिमी तटीय मैदान भारत के 5 राज्यों को मिलाकर बनती है इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल राज्य शामिल हैं। पश्चिमी तटीय मैदान का इलाका संकरी पट्टी की तरह है जो उत्तर से दक्षिण तक लगभग 25 किलोमीटर लंबा है। मैदान बीच में संकरा है और बाकी हिस्सों में इसकी चौड़ाई ज़्यादा है।

यहां बहने वाली नदियां किसी भी तरह का डेल्टा नहीं बनाती है। पश्चिमी तट के कई हिस्से हैं जिन्हें कच्छ की खाड़ी, खम्भात की खाड़ी, कोंकण तट और मालाबार तट कहते हैं। पश्चिमी तटीय मैदान भारत के भौतिक स्वरूप में महत्वपूर्ण रूप हैं।

भारतीय द्वीप समूह (Indian Islands in Hindi) :

भारत के भौतिक स्वरूप में दो प्रमुख द्वीप समूह आते हैं जिन में से पहला है अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जो बंगाल की खाड़ी में स्थित है और दूसरा है लक्षद्वीप समूह जो अरब सागर में स्थित है।भारत के भौतिक स्वरूप अब इन दोनों के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल करेंगे :

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (बंगाल की खाड़ी) :

बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूहों की बात करें तो इसमें लगभग पांच सौ बहत्तर छोटे बड़े द्वीपों को शामिल किया गया है। ये सभी द्वीप आकर में बड़े हैं। जबकि लेब्रिन्थ और रिची द्वीप समूह आइलेट्स कहलाते हैं।

इन दीप समूह का निर्माण बर्मा प्लेट और भारतीय प्लेटों के मध्य टकराव की वजह से हुआ था। बंगाल की खाड़ी में स्थित दीप समूह को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा गया है – उत्तरी द्वीप समूह और दक्षिणी द्वीप समूह। उत्तरी द्वीप समूह को अंडमान द्वीप समूह कहा गया है और दक्षिणी द्वीप समूह को निकोबार दीप समूह कहा गया है। दोनों मिलाकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह कहलाते हैं।

उत्तरी और दक्षिणी द्वीप समूह को एक समतल और कम गहरे पानी के जल स्रोत से अलग किया गया है जिसे ‘टेन डिग्री चैनल’ कहा जाता है। इन द्वीप समूह में से कुछ तो प्राकृतिक रूप से ज्वालामुखी हैं। भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी निकोबार द्वीप समूह के ‘बैरन’ नामक द्वीप पर पाया जाता है। इनमे से कुछ द्वीपों पर सुंदर समुद्री तट पाए जाते हैं जबकि कुछ द्वीप पर प्रवाल निक्षेप पाए जाते हैं।

भूमध्य रेखा पर स्थित होने की वजह से यहां पर भूमध्य रेखीय प्रकार की वनस्पतियां पाई जाती हैं इसलिए यहां पर बारिश भी संवहनीय प्रकार की होती है जिसमें सतह की गर्म हवा ऊपर पहुंच कर फैल जाती है फिर ठंडी होकर बारिश के रूप में वापस जमीन पर बरसती है।

लक्षद्वीप (अरब सागर) :

लक्षद्वीप और मिनिकॉय नामक द्वीप समूह इसमें शामिल किये गए हैं। केरल राज्य के समुद्री तट से इनकी दूरी दो सौ अस्सी किलोमीटर से चार सौ अस्सी किलोमीटर तक हैं। लक्षद्वीप समूह के सारे के सारे द्वीप प्रवाल निक्षेपों के बने हुए हैं। इस द्वीप समूह में कुल छत्तीस द्वीप पाए जाते हैं जिनमें से ग्यारह द्वीपों पर इंसानी बसावट पाई जाती है।

मिनिकॉय इस द्वीप समूह का सबसे बड़ा द्वीप है जिसका क्षेत्रफल 453 वर्ग किलोमीटर है। लक्षद्वीप समूह के सारे द्वीपों को भी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की तरह ही टेन डिग्री चैनल द्वारा विभाजित किया गया है। इस द्वीपसमूह के समुद्री तट तूफानी समुद्र तट हैं।

भारत के भौतिक स्वरूप के प्रश्न उत्तर :

द्वीप किसे कहते हैं?

ऐसा भूभाग या ज़मीन का टुकड़ा जो चारों तरफ से पानी से घिरा हो दिलीप कहलाता है।

प्रायद्वीप किसे कहते हैं?

ऐसा भूभाग या ज़मीन का हिस्सा जो तीन तरफ से पानी से घिरा हुआ हो, प्रायद्वीप कहलाता है।

आइलेट क्या है?

एक सामान्य द्वीप से आकार में छोटे द्वीप को आइलेट कहा जाता है।

चैनल क्या है?

भूभाग या ज़मीन पर पाई जाने वाली पानी की एक सतत धारा जो कम गहरी और छिछली हो, चैनल कहलाती है। चैनल दो भूभागों या दो जल स्त्रोतों को अलग करती है।

प्रवाल क्या है?

पॉलिप या मूंगा कहे जाने वाले बहुत ही छोटे समुद्री जीवों को प्रवाल कहते हैं जो सैकड़ों, हजारों की संख्या में झुंड में रहकर अपनी कॉलोनी बना लेते हैं।

प्रवाल निक्षेप क्या है?

प्रवाल निक्षेप या प्रवाल भित्ति ऐसी संरचनाओं को कहा जाता है जो समुद्र के खारे पानी में घुले हुए केल्सियम कोर्बोनेट को ग्रहण कर के जालीदार विशाल चुना पत्थर जैसी दिखने वाली दीवारों को बनाते हैं। ये दीवारें पुराने प्रवालों के कंकालों पर नए प्रवालों के रहने की वजह से ठोस हो जाते हैं।

भारत के भौतिक स्वरूप कितने है?

भारत के भौतिक स्वरूप मुख्य रूप से छह है।

भारत के भौतिक स्वरूप कौन-कौन से हैं?

भारत के भौतिक स्वरूप हैं – विशाल हिमालय, उत्तरी मैदान, प्रायद्वीपीय पठार, तटीय मैदान, द्वीप समूह, थार रेगिस्तान है।

भारत के भौतिक स्वरूप किसे कहते है?

भारत के भौतिक स्वरूप ऐसे विशिष्ट भौगोलिक प्रदेश हैं जिनकी भारत में विशिष्ट संरचना और बनावट है। ऐसे भौगोलिक क्षेत्र जिनकी विशेषताओं की वजह से वहां की आबोहवा, मौसम, जलवायु, मिट्टी, लोगों का खानपान, रहन सहन और संस्कृति का प्रकार प्रभावित होता हो, भारत के भौतिक स्वरूप कहलाते हैं।

भारत के भौतिक स्वरूप की मुख्य विशेषताएँ क्या है?

भारत के भौतिक स्वरूप उत्तर पश्चिम से उत्तर पूर्व में हिमालय, पश्चिम में थार का रेगिस्तान, दक्षिण पश्चिम से दक्षिण पूर्व तक अरब सागर, हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी जैसे भारत के भौतिक स्वरूप की वजह से भारत एक उपमहाद्वीप कहलाता है।

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