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Bhagat Singh Essay in Hindi | भगत सिंह पर निबंध

Posted on June 24, 2022

Bhagat Singh Essay in Hindi – भारत की आजादी का संघर्ष अपने आप में ही अनूठा है। हम बचपन से ही ब्रिटिश हुकूमत और भारत की गुलामी के क़िस्से पढ़ते, सुनते और देखते हुए बड़े हुए हैं। उस दौर को याद करते हुए लेखकों, चित्रकारों, फिल्म निर्माताओं, कहानीकारों और कवियों आदि ने कई रचनाएं बनाई है और इन रचनाओं में जिन क्रांतिकारी वीरों का नाम सबसे ज़्यादा लिया जाता है उनमें से एक है अमर शहीद भगत सिंह।

आज की पोस्ट में हम भगत सिंह के जीवन, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान और उनके बलिदान के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करेंगे। अगर आप भी भगत सिंह पर एक बहुत ही सुंदर निबंध लिखना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें। हमें आशा है कि यह पोस्ट पढ़ने के बाद आप भी भगत सिंह पर एक बहुत ही सुंदर निबंध लिख पाने में समर्थ हो पाएंगे।

Bhagat Singh Essay in Hindi | भगत सिंह पर निबंध

भगत सिंह का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जहां का प्रत्येक पुरुष भारत के आजादी के संघर्ष में तन मन से जुटा हुआ था। बचपन से ही आजादी, स्वतंत्रता, संघर्ष, गुलामी, अंग्रेज़ी हुकूमत जैसे शब्दों को सुनते हुए बड़े हुए भगत सिंह के मन में भी अपने देश की आजादी के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा पैदा होने लगा। भगत सिंह का जन्म तत्कालीन भारत के पंजाब प्रांत के एक जाट परिवार में सरदार किशन सिंह के घर 28 सितंबर 1960 को हुआ था।

अपने पिताजी सरदार किशन सिंह और चाचा सरदार अजीत सिंह के क्रियाकलापों का उनके बचपन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। घर में मिले इसी माहौल की वजह से भगत सिंह आगे चलकर भारत के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक बन पाए।

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भगत सिंह – एक स्वतंत्रता सेनानी | भगत सिंह पर निबंध

गांधीजी के आंदोलनों से प्रभावित होकर भगत सिंह ने 13 साल की उम्र में ही स्कूल की अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी। अपने देश की आजादी का एक हिस्सा बनने के लिए उन्होंने आज़ादी के संघर्ष में अपने योगदान देने के लिए नौजवान भारत नाम की एक संस्था की स्थापना 1925 में की। अपनी गतिविधियों को और बढ़ाने के लिए भगत सिंह ने हिंदू रिपब्लिकन एसोसिएशन की सदस्यता भी हासिल की। इसके अलावा उन्होंने एक मासिक पत्रिका जिसका नाम कीर्ति किसान पत्रिका था, के लिए नियमित लेख लिखना भी शुरू किया।

दो हिस्सों में बंट चुकी कांग्रेस के प्रमुख कार्यकर्ता अब दो गुटों नरम दल और गरम दल में बंट गए थे। भगत सिंह गरम दल के विचारों से अत्यधिक प्रभावित हुए और इसी वजह से उन्होंने बाद में खुद को गरम दल की गतिविधियों का हिस्सा बना लिया जिसके चलते वे भारत के दूसरे क्रांतिकारियों के बीच में एक प्रखर युवा क्रांतिकारी के रूप में तो ऊभरे ही साथ ही साथ ब्रिटिश सरकार की आंखों में भी खटकने लग गए।

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भगत सिंह का बलिदान

एक क्रांतिकारी के रूप में उनके जीवन का सबसे पहला मोड़ तब आया जब साइमन कमीशन के विरोध में पूरे भारत में चल रहे धरना और प्रदर्शनों में लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इन आंदोलनों को दबाने के लिए जगह-जगह ब्रिटिश पुलिस ने लाठीचार्ज का सहारा लिया। ऐसी ही एक घटना में, जिसकी अगुवाई कांग्रेस के प्रमुख नेता लाला लाजपत राय कर रहे थे। पुलिस के अमानवीय लाठीचार्ज का शिकार हुए लाला लाजपत राय ने कुछ दिनों बाद दम तोड़ दिया।

इस घटना ने भगत सिंह को झकझोर कर रख दिया। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ दिनों दिन बढ़ रहे अपने गुस्से को एक दिशा देने के लिए उन्होंने उस इलाके के पुलिस निदेशक की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने भगत सिंह के ऊपर हत्या का इल्ज़ाम लगाकर उन पर मुकदमा चला दिया।

आगरा में एक बम फैक्ट्री को स्थापित करने के बाद उन्होंने केंद्रीय विधान सभा में भी बम फेंका जिसकी वजह से भगत सिंह ने आत्मसमर्पण भी किया। इन घटनाओं की वजह से भगत सिंह को जेल में कई तरह की यातनाएं दी गई लेकिन अपनी मातृभूमि को ब्रिटिश गुलामी से आजाद करने के लिए उनके जज़्बे में कोई कमी नहीं आई।

भगत सिंह का योगदान

जेल में रहते हुए भी ब्रिटिश सरकार के लिए अपना विरोध जताने के लिए उन्होंने कई दिनों तक भूख हड़ताल की। उनके तथाकथित अपराधों की वजह से उन्हें अंततः फांसी की सजा सुनाई गई। महज 23 वर्ष की छोटी सी उम्र में ही भगत सिंह ने अपने देश के लिए अपना जीवन कुर्बान कर के भारत के आज़ादी के संघर्ष को मानो एक नया जीवनदान दिया था।

जिसने भी भगत सिंह के बलिदान के बारे में सुना वह दंग रह गया। और आखिरकार 23 मार्च 1931 को इस युवा क्रांतिकारी ने वंदे मातरम और इंकलाब ज़िंदाबाद के नारे लगाते हुए फांसी के तख्ते पर अपना जीवन भारत माता के लिए कुर्बान कर दिया। भगत सिंह की फांसी के बाद भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जान मिली और देश के लोग एकजुट होकर ब्रिटिश सरकार का हर स्तर पर विरोध करने लगे।

उपसंहार – Bhagat Singh Essay in Hindi | भगत सिंह पर निबंध

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि छोटी सी उम्र में ही अपना जीवन कुर्बान कर देने वाले भगत सिंह जैसे एक अमर शहीद क्रांतिकारी के जीवन से हम कई सबक सीख सकते हैं ममन के अंदर तीव्र इच्छा हो तो हर असंभव लक्ष्य भी हासिल किया जा सकता है और यही वजह है कि 23 मार्च को संपूर्ण भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस प्रकार भगत सिंह और इनके अलावा अपने देश को आज़ाद करने में अपनी जान कुर्बान करने वाले अमर शहीदों के बलिदान को याद किया जाता है और उनके जीवन से युवा ही नहीं बच्चे और बूढ़े भी प्रेरणा लेते हैं।

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