बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध – भारत में प्राचीन काल से ही इसके गौरवशाली इतिहास में नारियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। प्राचीन काल से ही भारत में नारियों के योगदान को हमेशा ही महत्व और महान उपलब्धियों के रूप में सराहा जाता रहा है। वैदिक काल तक नारियों की स्थिति उच्च कोटि की और सम्माननीय थी।
लेकिन फिर मध्यकाल तक आते-आते नारियों की दशा दुर्दशा में परिवर्तित हो गई और भारत के इतिहास में यह दौर नारियों के पतन और उनकी दुर्दशा का दौर था। लेकिन फिर भी भारत की नारियों ने अपने सम्मान प्रतिष्ठा और सम्मान की भावना के लिए लड़ कर यह सिद्ध कर दिया कि नारियां भी पुरुषों की ही तरह ही हर क्षेत्र में उनके समान ही महत्वपूर्ण स्थान हासिल कर सकती है।
नारियों की महानता को याद करते हुए, आज की इस पोस्ट में हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध लेकर आए हैं, हमें आशा है कि वर्तमान समय में नारियों की दशा में हो रहे पतन को समझने समझने और इस दिशा में योगदान देने के लिए यह निबंध आपके लिए मददगार साबित होगा इस निबंध को पढ़कर आप बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध इतना ही सरल और सुंदर लिख पाने में सफल हो सकेंगे।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध की प्रस्तावना (Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi) :
प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में नारियों को बहुत सम्मान दिया जाता था। नारियों को शिक्षा और पैतृक संपत्ति में भी अधिकार मिलता था। लेकिन उत्तर वैदिक काल के बाद स्त्रियों की दशा में धीरे-धीरे गिरावट आना शुरू हो गई। मुगल काल के दौरान स्त्रियों की दशा अत्यधिक खराब हो गई। रजिया सुल्तान का उदाहरण जगजाहिर है, ब्रिटिश काल के दौरान स्त्रियों के पढ़ने लिखने पर भी पाबंदी लग गई। स्त्रियों की इस दुर्दशा को देखकर हमारे समाज सुधारकों ने स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए अथक प्रयास किए।
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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की आवश्यकता (Beti Bachao Beti Padhao Scheme in Hindi) :
भारतीय समाज एक पुरुष प्रधान समाज होने की वजह से यहां पर पुरुषों को ही अधिक महत्व दिया जाता रहा है। एक ही घर में बेटे और बेटी के बीच के भेदभाव ने बेटियों की दशा में सुधार करने की बजाय कमी ही लाई है। बेटों की चाह ने भारतीय समाज पर करोड़ों अनगिनत बेटियों की हत्या का कलंक हमारे देश के सबसे बड़ी कमी है।
कन्या भ्रूण हत्या जैसा घिनौना अपराध करने से भी भारत के लोग नहीं चूकते हैं। अनपढ़ हो या पढ़े लिखे सभी को बेटों की चाहा है और यही वजह है कि भारत में लड़कियों की संख्या बहुत तेजी से गिरने लगी, जिसकी वजह से समाज में एक गहरा और संतुलन छा गया।
इसी असंतुलन को कम करने के लिए भारतीय सरकार को कई बड़े और कठोर कानूनों का निर्माण करना पड़ा। भारतीय समाज में बेटों की चाह वाली इस मानसिकता को बदलने के लिए समाज के ही लोगों को आगे आना होगा। जिससे कि घर परिवार और समाज में बेटियों की जिंदगी सुरक्षित हो सके। क्योंकि जितना हक बेटे को है जीने का, उतना ही जीने का हक एक बेटी को भी है।
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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की विशेषता (Features of Beti Bachao Beti Padhao in Hindi) :
भारत सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान सिर्फ इसलिए शुरू किया, क्योंकि भारत में तेजी से गिरते लिंगानुपात को संतुलित करने के लिए और बेटियों से नफरत करने वाली और बेटियों को को समझने वाली इस सोच को बदलने के लिए कुछ कड़े कानूनों को लागू करने की आवश्यकता पड़ी।
सरकार ने बेटियों के महत्व को समझाने के लिए कई सारी योजनाओं को लागू किया, जिनमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कल्याण योजना, धन लक्ष्मी योजना, उज्जवला योजना जैसी कई योजनाएं चला रखी है।
वर्तमान समय में लोगों ने अपने बेटियों के महत्व को समझा है और यह भी समझा है कि बेटियां बोझ नहीं होती है। लेकिन फिर भी यह भावना समाज से अभी पूरी तरीके से गई नहीं है, इसे बदलने में बहुत लंबा समय लगने वाला है समाज की कुरीतियों का शिकार होने वाली बेटियों को भी बराबरी का हक मिलना चाहिए।
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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का औचित्य (Justification of Beti Bachao Beti Padhao in Hindi) :
इस योजना के माध्यम से सरकार लोगों की सोच को बदलना चाहती थी, जो यह कहती है कि बेटी तो बोझ होती है, इन्हें पढ़ा लिखा कर कुछ फायदा नहीं होने वाला है। जबकि यह बात बिल्कुल असत्य है, बेटियों ने अपनी काबिलियत साबित करके यह दिखा दिया है कि बेटियां भी हर क्षेत्र में बेटों से कम नहीं है।
अगर बेटे अव्व्ल आ सकते हैं तो बेटियां भी अव्वल आ सकती हैं। विज्ञान हो, तकनीकी क्षेत्र, चिकित्सा हो, निर्माण कार्य हो, लीडरशिप हो, बेटियों ने अपनी काबिलियत से हर क्षेत्र में अपने क्षमताओं का लोहा मनवाया है। भारत में लिंगानुपात की दर कि कम होने के पीछे भी कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध का बहुत बड़ा हाथ रहा है।
वर्तमान में भारत सरकार के द्वारा चलाई जा रही मुखबिर योजना के अंतर्गत भ्रूण की जांच करवाने लोगों की खबर देने पर, मुखबिर को 3 लाख नकद इनाम देने की बात कही गई है। इस प्रकार सरकार की अनेकानेक प्रयासों के बाद भारत में बेटियों की स्थितियों में कुछ सुधार देखने को मिला है। लेकिन अभी इस दिशा में बहुत सा काम होना बाकी है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध उपसंहार (Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi) :
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ निबंध अभियान में सफलता हासिल की है, और इसे समाज में बेटियों की तरह सकारात्मक सोच भी पैदा हुई है। लेकिन भारत को बेटियों के महत्व और समाज में उनके योगदान को समझने में, अभी लंबा वक्त लगेगा।
ऐसे में हमें चाहिए कि हम कन्या भ्रूण हत्या को रोक के बेटों को अधिक से अधिक मात्रा में पढ़ाएं और उन्हें बोलना समझ कर, उन्हें समाज का एक हिस्सा समझे और अपने बेटों के बराबरी करते हुए, अधिकार प्रदान करें। जिससे कि उनमें आत्म सम्मान की भावना जागृत हो सके और बेटियां हीन भावना की शिकार ना हो और उन्हें अपने अपने जीवन की महत्ता पर गर्व हो।