अंधभक्त किसे कहते है? -भारत को अगर हम एक धार्मिक देश कहते है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी इस देश में सभी धर्म और जाति के लोग परस्पर भाईचारे और सम्मान की दृष्टि से एक दूसरे का सहयोग करते हुए देश के विकास में अपना योगदान देते हैं, ऐसे देश में जहां पर लोगों को अपने मत जाहिर करने की और उनके बारे में बात करने की पूरी स्वतंत्रता है लेकिन यहाँ कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिन्हे अपने मत और अपने धारणाओं के बारे में ही बोलना और सुनना पसंद होता है। ऐसे लोग अवश्य ही प्रवत्ति धीरज की कमी वाले लोगे होते हैं।
इस पोस्ट के माध्यम से आज हम आपको ऐसे ही लोगों के बारे में बताने की चेष्टा करने वाले हैं इस पोस्ट में अंधभक्त किसे कहते हैं? अंधभक्त क्या होता है? भक्त और अंधभक्त में क्या अंतर है? इन सब के बारे में आपको जानकारी देने की कोशिश करेंगे तो इस पोस्ट को अंदर तक जरूर पढ़िएगा।
अंधभक्त किसे कहते है? (Andhbhakt kise kahate hain in Hindi) :
अंध भक्तों की परिभाषा में बहुत सारे लोग अंधभक्त किसे कहते हैं के जवाब में कई सारे तर्क देते हैं कुछ लोगों को अंधभक्त कहा जाना अपमानजनक लगता है और कुछ लोग इस शब्द को मजाक की तरह लेते हैं लेकिन अंधभक्त का वास्तविक अर्थ क्या है वह व्यक्ति जो किसी भी धर्म संप्रदाय संगठन तथ्य जानकारी राजनैतिक दल अभिप्राय व्यक्ति पुरुष देवी देवता परंपराएं धारणाएं संस्कृति रहन-सहन खान-पान और सोच के मामले में बिना अपनी तर्कशक्ति का इस्तेमाल किए दूसरों के कहे अनुसार या सुने अनुसार अपनी एक निश्चित धारणा बना लेता है और अपने उस बनाई हुई धारणा पर अटल रहता है और अपनी इस धारणा के विपक्ष में कोई भी तर्क सुनना पसंद नहीं करता है,
जिसे अपना ही तर्क अपनी ही धारणाएं सबसे सही लगती हैं और वह व्यक्ति जो सब जगह अपनी इन्हीं सुनी सुनाई या देखी गई धाराओं का प्रचार प्रसार करता रहता है वह व्यक्ति जो उस धारणा को बनाने वाले व्यक्ति या धारणा या समाज या संगठन के द्वारा कही गई सारी बातों को जस का तस मान लेता है और दूसरों पर उसे थोपने की कोशिश करता है या उनके द्वारा आदेश दिए जाने पर बिना किसी प्रश्न के उसे मान लेता है वह व्यक्ति अंधभक्त कहलाता है।
अंधभक्त के लक्षण (Andhbhakt ke Lakshan in hindi) :
- अंधभक्त तर्क करना नहीं जानते।
- ये दूसरों की बातें सुनना पसंद नहीं करते सही और गलत की समझ मुश्किल नहीं है।
- अंध भक्तों की अंधभक्ति स्वार्थी होती है यह उन्हीं लोगों की अंधभक्ति करेंगे जहां से उनका स्वार्थ सिद्ध हो जाए अंध भक्तों से अपने तर्क मनवाना बेवकूफी है। अंध भक्तों के लिए इनकी दुनिया चौकोर है।
- यह जिनके अंदर भक्ति करते हैं उनके हर आदेश को सर आंखों पर रखकर उसे पूरा करना इनका परम कर्तव्य है।
- इनके तर्क बुद्धिजीवी समाज के लोगों के समझ से परे हैं ऐसे व्यक्ति जिनके सामने विज्ञान के अर्थ फोन तर्कों की जगह धार्मिक विश्वास आडंबर रिती रिवाज ज्यादा मायने रखते हैं उन्हें अंधभक्त कहा जाता है। कुछ लोगों की अंधभक्ति उनकी धर्म जाति विशेष धर्म विशेष संप्रदाय विशेष पंत विशेष को लेकर होती है और यह अपने सामने दूसरों की जाति धर्म संप्रदाय पंत को नगण्य मांगते हैं दूसरों के मत मतों का खंडन करना अपना अधिकार मानते हैं अपनी धारणा अपने मत की पैरवी करना ही करने में ही अपना सौभाग्य समझते हैं।
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अंधभक्त कितने प्रकार के होते हैं? (Andhbhakt ke Prakar in Hindi) :
अंध भक्तों के प्रकारों की अगर बात करने जाएं तो यह कई तरह के हो सकते हैं अंधभक्ति के प्रकारों की विवेचना हमें किसी किताब में तो नहीं मिलती है लेकिन हम अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके यहां पर अंध भक्तों के कुछ प्रकार जरूर बता रहे हैं हमें आशा है आप समझ जाएंगे (in case if you’re not an ‘Andhbhakt’ 😂)
- धर्म विशेष के नाम पर अंधभक्ति करने वाले।
- जाति विशेष के नाम पर अंधभक्ति करने वाले।
- संप्रदाय विशेष के नाम पर भक्ति करने वाले।
- व्यक्ति विशेष के नाम पर अंदर भक्ति करने वाले।
- धारणा विशेष के नाम पर अंधभक्ति करने वाले।
- देश विशेष के नाम पर अंधभक्ति करने वाले।
- समूह विशेष के नाम पर अंधभक्ति करने वाले।
- स्थल विशेष के नाम पर अंधभक्ति करने वाले।
भक्त और अंधभक्त में अंतर (Bhakt aur Andhbhakt me Antar in Hindi) :
हमारे पुराणों और धर्म शास्त्रों में कहीं पर भी अंधभक्त या अंधभक्ति शब्द का उल्लेख नहीं मिलता है। लेकिन फिर भी आपकी सुविधा के लिए हम यहां पर भक्त और अंधभक्त में अंतर प्रस्तुत कर रहे हैं :
भक्त अपनी इच्छा या अपनी सहमति से किसी का भक्त बनने का फैसला लेते हैं जबकि अंधभक्त सिर्फ एक विशेष मान्यता को ही सबकुछ मानते हैं।
भक्त किसी के बहकावे में नहीं आते जबकि अंधभक्त अपना पूरा जीवन एक ऐसे तथ्य को मानने में निकाल देते हैं जो क्या पता उनके कभी काम आती भी होगी या नहीं।
भक्त को किसी चीज़ की लालसा नहीं होती जबकि अंधभक्त अपनी मान्यताओं के स्वार्थ के चलते सबसे बैर मोल ले लेते हैं।
भक्त अपनी तर्क शक्ति से सही गलत का फैसला लेकर ही किसी चीज़ के बारे में अपने धारणा बनाते हैं जबकि लेकिन अंधभक्त सिर्फ किसी के कहने पर से ही किसी चीज के निकट निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं।
एक सच्चा भक्त किसी के बहकावे में नहीं आता लेकिन एक अंधभक्त अपनी उस एक धारणा के चक्कर में हमेशा बैठे हुए ही रहते हैं।
एक सच्चा भक्त खुद के लिए अपने परिवार के लिए समाज के लिए और देश के लिए सहयोग और प्रेम भावना को बढ़ाने की सोच रखता है जबकि एक अंधभक्त अपने जाति धर्म पंथ संप्रदाय स्वामी मुखिया नेता के द्वारा कही गई बात को ही मील का पत्थर मानकर हर उस चीज का व्यक्ति के खिलाफ चला जाता है जो उसके और उसके मत काया तो विरोध करते हैं या मानने से इनकार करते हैं।
हमें आशा है अंधभक्त किसे कहते है? और अंधभक्त के लक्षण क्या होते है? के बारे में पूरी तरह से जान गए होंगे।
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