आस माता की कथा कहने और आस माता का व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। जो लोग आस माता की कथा सुनते और पढ़ते है, उनके घरो में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है। इसलिए आस माता की कथा को पूरा पढ़े, आस माता आपकी सारी मनोकामनाएँ पूरी करेगी।
आस माता की कथा (Aas Mata ki Kahani)
एक बार की बात है एक गांव में चार भाइयों का परिवार रहता था। तीन भाइयों के घर में धन की कोई कमी नहीं थी। लेकिन सबसे छोटा भाई उन तीनों से सबसे ज्यादा गरीब था। उसकी पत्नी अपने तीन जेठानीयों के वहां जाकर उनके घर के कामकाज करती उनकी गायों का दूध निकालती, गायों को खाना खिलाती और उनके बच्चों को संभालती थी।
उसकी जेठानीया आस माता का व्रत करती और आस माता की कथा कहती थी। उनको देखकर उसने भी आस माता का व्रत करना और आस माता की कथा कहना शुरू किया। जब भी वह पूजा करती तो यह कहती कि हे आस माता धन देना, धन्य देना, सुख समृद्धि देना, बेटे बहू का सुख देना, देवरानी और जेठानीयों का साथ देना, गले में हार देना, दूध घी देना, उसकी जेठानीया जब भी उसको ऐसा कहते हुए सुनती तो उसकी हंसी उड़ा दी और आपस में कहते कि इसके पास है तो कुछ भी नहीं लेकिन दुनिया भर की चीजें मांग लेती है।
एक दिन सभी देरानिया जेठानी या खेत में काम कर रही थी और बच्चे घर पर खेल रहे थे। जब बच्चों को भूख लगी तो वह अपने घर पर खाने चले गए उस गरीब औरत के बच्चे भी उनके पीछे-पीछे उनके साथ गए, सब ने बैठकर खाना खाया तो उन्होंने देखा कि उनके घर पर खाने के लिए कितना कुछ बना हुआ है।
उन बच्चों ने उन दोनों के घर पर बनी हुई खीर खाई तो उन्हें खीर बहुत स्वादिष्ट लगी। शाम को जब उनकी मांग घर पर आई तो उन्होंने जिद करना शुरू किया कि मां हम भी खीर खाएंगे। यह सुनकर वह औरत दुखी हो गई कि मेरे पास तो इनको खिलाने के लिए कुछ भी नहीं है। मैं फिर कहां से लाऊं? अगले दिन जब वापस उनके घर पर काम करने गई, तो मक्खन निकालने के बाद वह बिना हाथ धो ही अपने घर जाने लगी तो उसकी जेठानी ने उसे ठोकते हुए कहा कि यह मक्खन से भरे हुए हाथ लेकर कहां जा रही हो?
गरीब औरत ने कहा कि कोई बात नहीं, मैं अपने घर जाकर धो लूंगी। लेकिन उसकी जेठानी ने जिद करके उसको अपने घर पर ही हाथ धुलवा दिए। शाम को जब उसके बच्चे खेल कर आए, तो उन्होंने बोला कि मां हमें भूख लगी है। माँ ने दुखी होते हुए कहा कि मैं मक्खन से सने हुए हाथ लेकर घर आती तो उस हाथ पर लगे हुए मक्खन को पानी में घोलकर तुम लोगों को पिला देती। लेकिन आज मैं वह भी नहीं कर पाई। अब वो दुखी हो गई कि मैं अपने पति और बच्चों को क्या खिलाऊंगी?
उसने कुछ कंकड़ इकट्ठा किए और उन्हें हांडी में डालकर सोने चली गई उसका पति खेत से आया और पूछने लगा कि घर में खाने को है ना पीने को पानी, मुझे भूख लगी है अब मैं क्या खाऊंगा? गुस्से से आगबबूला होकर वह प्रणाम कर के घर से निकल गया। वहीं दूसरी तरफ भूख, प्यास, नींद और आस माता चारों घूमने निकले। अब वो चारों आपस में बात करने लगे लगी कि इसने घर से निकलने से पहले किसको प्रणाम किया। हमें इस से पूछना चाहिए यह किसको प्रणाम कर के घर से निकला है।
जब वह उनके सामने से गुज़रा तब भूख ने उसे रोककर पूछा की तुमने किसको प्रणाम किया था? तब उस आदमी ने पूछा आप कौन? तब भूख ने कहा मैं भूख, क्या तुमने मुझे प्रणाम किया था? उस आदमी ने जवाब दिया, नहीं मैंने आपको प्रणाम नहीं किया। क्योंकि मैं भूखा ही घर से निकला हूं। घर पर मेरी पत्नी और बच्चे सब भूखे हैं मैंने आपको प्रणाम नहीं किया।
फिर नींद ने उससे पूछा कि क्या तुमने मुझे प्रणाम किया था उस आदमी ने पूछा, आप कौन? तब नींद ने जवाब दिया मैं नींद हूं। तब आदमी बोला कि नहीं। मैंने आपको प्रणाम नहीं किया, क्योंकि जब इंसान भूखा होता है तो उसे नींद नहीं आती इसलिए मैंने आपको भी प्रणाम नहीं किया।
तब उस आदमी से पूछा कि क्या तुमने मुझे प्रणाम किया आदमी ने पूछा कि आप कौन? प्यास ने बताया कि मैं प्यास हूं। क्या तुमने मुझे प्रणाम किया था। तब उस आदमी ने कहा कि पानी पीकर किसी की भूख नहीं मरती है। इसलिए मैंने आपको प्रणाम नहीं किया था।
तब आस माता ने उससे पूछा कि क्या तुमने मुझे प्रणाम किया था। उसने पूछा कि आप कौन हो? उन्होंने बताया मैं आस माता हूं। तो उसने कहा कि मेरी पत्नी आपका व्रत करती है और आस माता की कथा कहती है। लेकिन फिर भी उसके घर के सब लोग भूखे सोए हैं। तो मैं आपको प्रणाम क्यों करूं? तो आस माता ने उसे कहा की तुम्हें आगे जाकर एक नगर मिलेगा, तुम वहां जाना और तुम्हें जो चाहिए वह तुम्हें मिल जाएगा। अब आगे चलकर एक नगर में पहुंचा वहां जाकर उसे पता चला कि वहां के राजा की अकाल मृत्यु हो गई है और वहां की प्रजा अपने राजा के लिए दुखी हो रही है।
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उसने उस गांव के लोगों को बातें करते सुना कि अब अगला राजा किसे बनाया जाए तो एक आदमी ने जवाब दिया कि हमें गांव वालों की एक सभा बुलानी चाहिए और उस सभा में हाथी ने जिसकी भी गले में माला पहनाएगां, वह हमारा अगला राजा होगा।
गांव के सभी लोग नहा धोकर स्वच्छ होकर नए कपड़े पहन कर सभा में उपस्थित हो गए। वह गरीब आदमी एक पेड़ के पीछे छुप कर यह सारी चीजें देखने लगा हथिनी को बुलाया गया और उसके सूंड में एक माला रखी गई। गांव के सभी आदमी कतार में खड़े हो गए कि हथिनी पता नहीं किसके गले में हार पहना दे हथिनी ने इकट्ठा हुए सभी लोगों के बीच से एक चक्कर लगाया और पेड़ के पीछे छिपकर खड़े उस आदमी के गले में माला डाल दी।
सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए कि हथिनी से गलती हो गई तब लोगों ने कहा कोई बात नहीं हम अगले दिन फिर एक सभा करेंगे और इस बार हम दूसरी हथिनी लाएंगे। दूसरे दिन फिर सभा हुई लोग आज नई हथिनी को लेकर आए थे। उसने भी जाकर उस गरीब के गले में माला डाल दी। लेकिन दूसरे दिन भी लोगों को लगा कि हथिनी से गलती हो गई।
तीसरे दिन में सभा बुलाई गई और वही बात दोहराई गई। अब लोगों की समझ में आ गया कि यही व्यक्ति हमारा नया राजा बनेगा। सब लोग उसे राज दरबार में ले गए और उसके राजतिलक की तैयारी होने लगी। जब लोगों ने उसे उसके परिवार का पता पूछा और बोला कि तुम्हारा राजतिलक हो रहा है। तुम्हारे परिवार को बुलाएंगे राज्य के लोग उसके परिवार को लेने गए तो परिवार वालों ने पूछा कि आप लोग कौन हो? और कहां से आए हो?
तब लोगों ने कहा कि आपके परिवार का सदस्य हमारे राज्य का नया राजा बनने वाला है और हम आप को आमंत्रित करने के लिए आए हैं। उसके बड़े भाई भाइयों को उससे बहुत ईर्ष्या हुई कि हमारा छोटा भाई जिसके पास कुछ भी नहीं है। वो राजा कैसे बन गया? लेकिन फिर भी सब ने नहा धोकर नए कपड़े पहन कर उसके राजतिलक में शामिल होने के लिए रवाना हो गए। इस तरह उसकी पत्नी भी अपने बच्चों को लेकर अपने पति को देखने के लिए चल पड़ी जिस प्रकार उस गरीब ने आस माता की कथा और व्रत किया।
उसी तरीके से सभी को आस माता की कथा और व्रत करने वाले की इच्छा पूरी होती है। आपने जिस तरह उस गरीब की इच्छा को पूरा किया और उसके घर को धन-धान्य से भर दिया वैसे ही आप सब की आस पूरी करना और सब पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखना। आस माता की कथा कहने वाले और आस माता की कथा सुनने वाले की सभी इच्छाएं पूरी हो।
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