भगवान कृष्ण ने एकलव्य को क्यों मारा? आज हम आपको बतांएगे कि एकलव्य की मृत्यु कैसे हुई थी? कृष्ण द्वारा एकलव्य को कैसे और क्यों मारा था? क्या वजह थी इसकी? महाभारत काल में एकलव्य द्रारा अपना अंगूठा काटकर अपने गुरु द्रोणाचार्य को देने की कहानी महाभारत की सबसे लोकप्रिय कहानियो में से एक है।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं की एकलव्य की मृत्यु कैसे हुई? और भगवान कृष्ण ने एकलव्य को क्यों मारा था? तो हम आज आपको बताएंगे की एकलव्य मृत्यु कैसे हुई? भगवान कृष्ण ने एकलव्य को क्यों मारा था?
एकलव्य की मृत्यु कैसे हुई? भगवान कृष्ण ने एकलव्य को क्यों मारा?
तो यह कहानी कुछ इस प्रकार है कि, रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक के बेटी थी और राजा भीष्मक मगध के राजा जरासंध का जागीरदार था। लेकिन राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी को भगवान कृष्ण से प्रेम हो गया था और रुक्मिणी भगवान कृष्ण से विवाह करना चाहती थी। रुक्मिणी के पिता राजा भीष्मक भी अपनी पुत्री का विवाह भगवान कृष्ण से करवाना चाहते थे लेकिन रुक्मिणी के भाई ने इसका विरोध किया।
क्योंकि रुक्मिणी के भाई को यह बात पता थी कि कृष्ण और जरासंध की आपस में शत्रुता थी अगर वो अपनी बहन का विवाह श्री कृष्ण से करेगा तो जरासंध उनकी इस बात से क्रोधित हो जाएगा। इसलिए रुक्मिणी का भाई चाहता था उसकी बहन की शादी शिशुपाल से हो जाए। शिशुपाल चेदि नामक साम्रज्य का राजकुमार था और जरासंध का करीबी रिश्तेदार भी था। दोनों तरफ से हो रहे अपने इस फायदे के लिए वह अपनी बहन रुक्मिणी का विवाह चेदि राज्य के राजकुमार शिशुपाल से करवाना चाहता था।
जब रुक्मिणी को उस बात का पता चला तो उसने तुरंत भगवान श्री कृष्ण को यह संदेश भिजवा दिया कि उसका भाई उसका विवाह चेदी के राजकुमार से करवाने की बात सोच रहा है। और उसने श्री कृष्ण को विदर्भ आने के लिए और कोई युद्ध नहीं करने के लिए कहा। क्योंकि रुक्मिणी जानती थी कि अगर कोई युद्ध हुआ तो इसमें उसी के रिश्तेदार और सगे संबंधी मारे जा सकते है। इस मुसीबत का हल निकालने के लिए रुक्मिणी ने भगवान श्री कृष्ण को उन्हें खुद का अपहरण करने का सुझाव दिया।
जब कृष्ण भगवान रुक्मिणी का अपहण करके ले जा रहे थे तब रुक्मिणी के भाई के आदेश पर एकलव्य ने कृष्ण भगवान का पीछा किया और फिर कृष्ण भगवान और एकलव्य के बीच में युद्ध हुआ जिसमें एकलव्य की मृत्यु हो गई।
लेकिन कृष्ण भगवान ने एकलव्य को कैसे मारा इसके पीछे बहुत दन्त कथाएँ प्रचलित है।
ये भी पढ़े –
कुछ दन्त कथाओं के अनुसार एकलव्य ने रुक्मिणी और कृष्ण भगवान के रथ का पीछा किया और कृष्ण भगवान और एकलव्य के बीच हुए भीषण युद्ध में एकलव्य की मृत्यु हो गई।
एक और दन्त कथा के मुताबिक जब राजा युधिष्ठर राजसूय यज्ञ करवा रहे थे तब भीम ने कृष्ण भगवान के कहने पर जरासंध को मार डाला था। एकलव्य को अपने राजा की ऐसी मृत्यु पर बहुत दुःख हुआ और वह अपने राजा की मृत्यु का बदला भगवान कृष्ण और उनके परिवार को मारकर लेना चाहता था। जब द्वारका पर हमला हुआ था तो एकलव्य भगवान कृष्ण के हाथों मारा गया।
लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि वह इस युद्ध में बच गया था और वहाँ से भागकर दुर्योधन के दरबार में पहुंच गया था। जहाँ दुर्योधन ने वीर एकलव्य का स्वागत किया। दुर्योधन ने एकलव्य को अपने राज्य हस्तिनापुर के सभी वनों का मंत्री बना दिया था। कुछ समय बाद दुर्योधन ने एकलव्य को भगवान कृष्ण के बड़े पुत्र साम्ब को मारने का आदेश दिया और जब एकलव्य ने कृष्ण भगवान के पुत्र साम्ब को मारने की कोशिश की तो भगवान कृष्ण ने एकलव्य का वध कर दिया।
एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने एकलव्य को उनकी मृत्यु के समय ये वरदान दिया था की द्रोणाचार्य को मारने के लिए एकलव्य का पुनर्जन्म होगा और वरदान के अनुसार अंत में एकलव्य ने द्रोणाचार्य का वध कर दिया था।